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Thursday, 6 November, 2025
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छत्तीसगढ़: ‘मृत’ बेटे को जिंदा पाकर परिवार में खुशी, किसी अन्य शव का कर दिया था अंतिम संस्कार

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सूरजपुर (छत्तीसगढ़), छह नवंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के एक गांव में 25 वर्षीय युवक पुरुषोत्तम महज एक सप्ताह के भीतर शोक, सदमे और खुशी का विषय बन गया। पुरुषोत्तम को मृत मानकर उसका अंतिम संस्कार कर चुके गमगीन परिजनों के चेहरे तब खुशी से खिल उठे जब उन्होंने घर लौटे अपने लाल (पुरुषोत्तम) को जिंदा देखा।

दरअसल परिजनों ने अपना लापता बेटा समझकर एक दूसरे व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार कर दिया था।

पुलिस अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि पुलिस अब उस व्यक्ति के परिजनों की तलाश शुरू कर दी है जिसका अंतिम संस्कार किया गया था।

सूरजपुर जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) संतोष महतो ने बताया कि एक नवंबर (शनिवार) को सिटी कोतवाली पुलिस थाना के अंतर्गत मानपुर इलाके के एक कुएं से एक अनजान व्यक्ति की लाश मिली थी, जिसके बाद पहचान के लिए आस-पास के इलाकों में सूचना दी गई।

पड़ोसी गांव चंदरपुर के रहने वाले पुरुषोत्तम (25) के परिवार ने शव मिलने की खबर सुनकर पुलिस से संपर्क किया, क्योंकि पुरुषोत्तम दो दिनों से लापता था।

अधिकारी ने बताया कि शव देखने के बाद परिवार के लोगों ने शव की पहचान पुरुषोत्तम के रूप में की है।

उन्होंने बताया कि पुलिस ने दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज किया और शव परिवार को सौंप दिया। बाद में परिवार ने रीति रिवाज से शव को गांव के श्मशान घाट में दफना दिया।

अधिकारी ने बताया कि बाद में पुरुषोत्तम की ‘मौत’ की खबर सुनकर गांव पहुंचे रिश्तेदारों ने दुखी परिवार को बताया कि उसे अंबिकापुर में देखा गया है।

एएसपी ने बताया कि जब पुरुषोत्तम की खोज शुरू की गई तब वह एक रिश्तेदार के घर में मिला और चार नवंबर को उसे घर वापस लाया गया।

महतो ने बताया कि जिस व्यक्ति के शव को गलती से पुरुषोत्तम समझा गया था, उसकी पहचान नहीं हो पाई है।

शव के डीएनए सैंपल, फिंगरप्रिंट, कपड़े और अन्य सामान सुरक्षित रखे गए हैं तथा उसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की गई है, जो आगे की जांच में मदद करेगी।

उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि अनजान व्यक्ति की मौत डूबने से हुई थी।

इस घटना से इलाके में सनसनी फैल गई है और पुलिस हैरान है। पुरुषोत्तम ने स्थानीय संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं सरगुजा जिले के अंबिकापुर गया था। बाद में मुझे एक रिश्तेदार से पता चला कि मेरे परिवार ने किसी व्यक्ति के शव को मेरा शव समझकर मुझे मृत मान लिया और शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया है। बाद में मैं घर लौट आया।”

पुरुषोत्तम की मां, मानकुंवर ने कहा, ‘‘मुझे शव की एक फोटो दिखाई गई थी और गांव के लोगों ने कहा था कि वह मेरे बेटे का शव था। मैं खुश हूं कि मेरा बेटा जिंदा है। मैं और कुछ नहीं कहना चाहती।’’

भाषा सं संजीव संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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