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छत्तीसगढ़: ‘फर्जी’ हृदय रोग विशेषज्ञ और निजी अस्पताल पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज

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बिलासपुर, 20 अप्रैल (भाषा) ‘फर्जी’ हृदय रोग विशेषज्ञ नरेंद्र यादव उर्फ ​​नरेंद्र जॉन कैम और बिलासपुर के एक अस्पताल पर 19 साल पहले विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की मौत के मामले में गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि शनिवार रात यादव और निजी अस्पताल के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी में गैर इरादतन हत्या (धारा 304) के अलावा भारतीय दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप भी शामिल किए गए हैं।

बिलासपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) रजनेश सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश के दमोह स्थित एक अस्पताल में गलत सर्जरी के बाद सात मरीजों की मौत के मामले में गिरफ्तार किए गए यादव ने यहां निजी अस्पताल में शुक्ला का कथित तौर पर ऑपरेशन किया था, जिसके बाद विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष की मौत हो गई थी।

कोटा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के तत्कालीन विधायक शुक्ला का 2006 में बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। वह 2000 से 2003 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले अध्यक्ष रहे थे।

विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष के बेटे प्रदीप शुक्ला ने हाल में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जब उनके पिता इस निजी अस्पताल में भर्ती थे, तब यादव उस अस्पताल से जुड़े हुए थे।

शिकायत में कहा गया, ‘‘यादव ने मेरे पिता की हृदय संबंधी सर्जरी की थी और फिर 20 अगस्त 2006 को मृत घोषित किए जाने से पहले उन्हें 18 दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया था। अस्पताल प्रबंधन ने मेरे पिता के इलाज के लिए राज्य सरकार से 20 लाख रुपये लिए थे।’’

प्रदीप शुक्ला ने कहा कि उन्हें हाल में खबरों के माध्यम से दमोह अस्पताल में हुई मौतों और यादव के बारे में पता चला।

एसएसपी सिंह ने बताया कि पुलिस ने पाया कि यादव की डिग्री फर्जी है तथा भारतीय चिकित्सा परिषद/छत्तीसगढ़ चिकित्सा परिषद में उसके पंजीकरण का दस्तावेज अभी तक नहीं मिला है।

उन्होंने बताया कि बिना उचित जांच के अस्पताल प्रबंधन ने यादव को हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त करके विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष शुक्ला के साथ-साथ कई अन्य हृदय रोगियों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया।

यादव को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा एक शिकायत प्राप्त होने के बाद गिरफ्तार किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि दमोह के मिशन अस्पताल में सात लोगों की मौत हो गई थी, जहां उसने हृदय रोगों के इलाज के नाम पर मरीजों का ऑपरेशन किया था।

इंदौर स्थित एक रोजगार परामर्श फर्म के निदेशक ने पिछले सप्ताह कहा था कि यादव ने 2020 से 2024 के बीच नौकरी के लिए तीन बार अपना ‘बायोडाटा’ भेजा था और दावा किया था कि उन्होंने हजारों मरीजों का ऑपरेशन किया है।

यादव ने खुद को ‘‘बड़ी साजिश’’ का शिकार बताया है और दावा किया है कि उनकी डिग्रियां असली हैं।

भाषा

देवेंद्र खारी

खारी

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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