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Saturday, 4 May, 2024
होमदेशचंद्रयान-3: सबकुछ ठीक रहा तो कल होगी लैंडिंग, 4 फेज में उतरेगा लैंडर, हालात बिगड़े तो 27 को करेगा लैंड

चंद्रयान-3: सबकुछ ठीक रहा तो कल होगी लैंडिंग, 4 फेज में उतरेगा लैंडर, हालात बिगड़े तो 27 को करेगा लैंड

लैंडिंग का पहला चरण रफ ब्रेकिंग होगा जो लगभग 700 सेकेंड का होगा. इस दौरान लैंडर लगभग 1.68 किमी प्रति सेकेंड की तेजी के साथ यात्रा कर रहा होगा जिसे घटाकर 358 मीटर प्रति सेकेंड पर लाया जाएगा.

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नई दिल्ली: चंद्रयान-3 की लैंडिंग 23 अगस्त को शाम 6:04 बजे कराने की कोशिश की जाएगी. इसरो के मुताबिक लैंडिंग में 15 से 17 मिनट तक लग सकते हैं. अगर लैंडिंग में कोई दिक्कत होती है तो अगली लैंडिंग 27 अगस्त को की जाएगी. लैंडिंग के दौरान लैंडर उच्च गति वाली क्षैतिज स्थिति में स्थानांतरित करना होगा.

चंद्रयान-3 अगर सफलतापूर्वक लैंड करता है तो इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना मिशन उतारने वाली पहली अंतरिक्ष एजेंसी बन जाएगी.

रिपोर्ट के मुताबिक लैंडिंग चार चरणों में पूरी होगी. अगर सबकुछ सही रहा तो लैंडिंग का प्रोसेस 5:45 बजे शुरू होगा. इसे चार फेज में कराया जाएगा जिसमें रफ ब्रेकिंग फेज, एल्टीट्यूड होल्ड फेज, फाइन ब्रेकिंग फेज और टर्मिनल डिसेंट फेज शामिल हैं.

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बीते दिनों कहा था कि  चंद्रयान-3 लगभग 90 डिग्री तक झुका हुआ है लेकिन लैंडिंग के दौरान चंद्रयान-3 का लंबवत होना आवश्यक है. चंद्रयान-2 में लैंडिंग के दौरान यहीं समस्या हुई थी. लैंडिंग का पहला चरण रफ ब्रेकिंग होगा जो लगभग 700 सेकेंड का होगा. इस दौरान लैंडर लगभग 1.68 किमी प्रति सेकेंड की तेजी के साथ यात्रा कर रहा होगा जिसे घटाकर 358 मीटर प्रति सेकेंड पर लाया जाएगा. इसके बाद लैंडर की रफ्तार को कम करने के लिए 400 न्यूटन के 4 इंजन फायर किए जाएंगे.

इसका अगला चरण एल्टीट्यूड होल्डिंग फेज होगा जिसकी शुरुआत चांद की सतह से 7.4 किलोमीटर की दूरी पर होगी. इसमें लैंडर और चांद के सतह के बीच की दूरी को घटाकर 6.8 किलोमीटर की जाएगी. इस दौरान चंद्रयान-3 के लैंडर की गति को और घटाकर 336 मीटर प्रति सेकेंड की जाएगी.

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इसके बाद अगले चरण फाइन ब्रेक्रिंग का होगा. इसमें लैंडर को चांद की सतह से 800 मीटर की ऊंचाई के बीच ले जाया जाएगा. यहां पहुंचने के बाद लैंडर की स्पीड लगभग शून्य हो जाएगी और लैंडर वहां मंडराने लगेगा. यह काफी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यहां लैंडर चांद की सतह का अध्ययन करेगा और लैंडिंग के लिए अनुकूल जगह की खोज करेगा. इसके बाद लैंडर चांद की सतह से 150 मीटर की दूरी पर पहुंचेगा जहां वह यह तय करेगा कि सबसे उपयुक्त जगह लैंडिंग के लिए कौन सी है.

इसके बाद सबसे अंतिम चरण टर्मिनल डिसेंट फेज का होगा. इसमें लैंडर 150 मीटर की ऊंचाई से धीरे धीरे नीचे जाएगा और जब वह 10 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचेगा तो उसकी रफ्तार काफी कम हो जाएगी. उस वक्त लैंडर की रफ्तार 1 से 2 मीटर प्रति सेकेंड से भी कम रह जाएगी. इस दौरान जब चांद पर लैंडर उतरेगा तो उसका वजन 800 किलोग्राम के आसपास रहेगा.


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