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Sunday, 26 May, 2024
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चंद्रयान-3 ने चांद की दो तिहाई दूरी तय की, लैंडिंग के बाद ऐसा करने वाला चौथा देश होगा भारत

चांद पर उतरने के बाद चंद्रयान-3 यह एक चंद्र दिवस तक काम करेगा. चंद्रमा पर एक दिन, पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है. 

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नई दिल्ली : चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट (अंतरिक्ष यान), जिसे 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था, चंद्रमा की दो तिहाई दूरी तय कर ली है.

इंडियन स्पेस रिसर्च संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को ट्वीट किया, “लांच किए गए स्पेसक्राफ्ट ने चांद की दो तिहाई दूरी तय कर ली है. लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन को 5 अगस्त 2023 को लगभग 9 बजे के लिए निर्धारित किया गया है.”

चंद्रयान-3 भारत का तीसरा लूनर एक्सप्लोरेशन (अन्वेषण) मिशन है, इस एयरक्राफ्ट की लैंडिंग के बाद भारत दुनिया के चार देशोंं में शामिल हो जाएगा, जिसमें अमेरिका, चीन और रूस हैं. चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कर यह देश की क्षमता को प्रदर्शित करेगा.

स्पेसक्राफ्ट को 14 जुलाई, 2023 को 14:35 IST पर LVM-3 पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था. अंतरिक्ष यान वर्तमान में चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के लिए कक्षा संचालन की श्रृंखलाओं से गुजर रहा है.

चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने में लांच की तारीख से लगभग 33 दिन लेगा. उतरने पर, यह एक चंद्र दिवस तक काम करेगा, जो कि धरती के लगभग 14 दिन के बराबर है. चंद्रमा पर एक दिन, पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है.

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चंद्रयान -3 घटकों में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल उपप्रणालिया शामिल हैं, जिनका मकसद सुरक्षित और आराम से लैंडिंग सुनिश्चित करना है, जैसे कि- नेविगेशन सेंसर, प्रोपल्सन सिस्टम्स (प्रणोदन प्रणाली- आगे की तरफ धक्का देने वाली), मार्गदर्शन और नियंत्रण आदि हैं.

इसके अतिरिक्त, दोतरफा संचार-संबंधित एंटेना और अन्य ऑनबोर्ड इलेक्ट्रॉनिक्स रोवर को रिलीज करने वाले तंत्र हैं.

चंद्रयान-3 की स्वीकृत लागत (लॉन्च वाहन लागत को छोड़कर) रु. 250 करोड़ है. चंद्रयान-3 को बनाने की शुरुआत जनवरी 2020 में हुई और 2021 में लॉन्च की योजना बनाई गई. हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण मिशन की प्रगति के काम में अप्रत्याशित देरी हुई.

वहीं, चंद्रयान-2 मिशन को 2019 में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चुनौतियों का सामना करने के बाद, जिसे कि आखिर में अपने मुख्य मिशन उद्देश्यों में विफल माना गया, इसके बाद इसरो ने चंद्रयान-3 को भेजने की कोशिश की है.


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