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Saturday, 4 May, 2024
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‘विरोध-प्रदर्शनों को दबाने की कोशिश’- चंडीगढ़ कैंपस में तनाव, ‘वीडियो लीक’ के बाद एक सप्ताह के लिए कक्षाएं रद्द

यूनिवर्सिटी के संस्थापक ने इस दावे का खंडन किया कि यह कदम विरोध-प्रदर्शनों को दबाने के लिए उठाया गया है. साथ ही उन्होंने छात्रों के साथ एक 'कम्युनिकेशन गैप' रहने की भी बात कही. उधर छात्रों को शोर्ट नोटिस पर कैंपस छोड़ने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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चंडीगढ़: मोहाली जिले के घरुआन स्थित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में छात्रों और उनके अभिभावकों के चेहरे पर तनाव साफतौर पर देखा जा सकता है. विश्वविद्यालय में भारी संख्या में पुलिस तैनात है. चिंतित माता-पिता और स्थानीय अभिभावक गेट के बाहर इंतजार कर रहे हैं, छात्र घरों की ओर वापिस जाने के लिए अपना सामान पैक करने में लगे हैं.

छात्राओ के ‘सीक्रेट’ वीडियो लीक होने को लेकर प्राइवेट यूनिवर्सिटी में चल रहे विरोध प्रदर्शन को तीन दिन हो चुके हैं. हालांकि शनिवार और रविवार को शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब खत्म हो गया है. लेकिन कई छात्रों के लिए असल परेशानियां तो अभी शुरू हुई है.

बायोटेक की एक 20 साल के छात्रा के परेशान पिता ने दिप्रिंट को बताया, ‘वे उन्हें (छात्रों को) वापस भेज रहे हैं ताकि वे विरोध न कर सकें.’ वह अपनी बेटी और तीन अन्य कॉलेज के साथियों का सामान लोड करने में लगे थे. वह अब चारों को वापस हिमाचल प्रदेश ले जा रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘अगर विश्वविद्यालय ने मामलों को पहले ही नियंत्रण में ले लिया होता और उनसे झूठ नहीं बोला होता, तो ऐसा नहीं होता. अब यह अभिभावकों और छात्रों दोनों के लिए परेशानी का सबब बन गया है.’

पहले यूनिवर्सिटी की तरफ से सोमवार सुबह तक कक्षाएं निलंबित करने का आदेश जारी किया गया था, विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब इसे एक सप्ताह के लिए शनिवार तक के लिए बढ़ा दिया है. चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रो-चांसलर आर.एस. बावा ने दिप्रिंट को बताया था कि यह कदम ‘बाहरी प्रभाव’ से बचने के लिए उठाया गया है.

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लेकिन छात्र इसे विरोध प्रदर्शन को शांत करने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं.

नाम न बताने की शर्त पर झारखंड की एक 19 साल की बी.टेक छात्रा ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह सिर्फ विरोध को दबाने के लिए किया गया है.’ वह आगे कहती हैं, ‘ यह कैंपस को खाली करने का एक अप्रत्यक्ष तरीका है. वे जानते हैं कि आउट-पास (कैंपस छोड़ने की अनुमति) के बिना हम में से ज्यादातर छात्र होस्टल से निकल जाएंगे. उन्होंने हमसे कहा है कि अगर आप जा रहे हैं तो नाइट पास लें, डे पास के लिए हमारे पास न आएं.

सोशल मीडिया पर कई कथित ‘छात्राओं के सीक्रेट वीडियो’ की खबरें सामने आने के बाद माता-पिता अपने बच्चों को लेकर खासे चिंतित हैं.

एमबीए कर रही एक 22 वर्षीय छात्रा के पिता ने कहा, ‘सोशल मीडिया पर बहुत कुछ है. हम नहीं जानते कि क्या सच है और क्या नहीं. टीवी देखना भी हमारे लिए मुश्किल हो रहा है, वह हमारी चिंता बढ़ा रहा है. यह सबसे अच्छा है कि हम उन्हें अभी के लिए घर ले जाएं.’

विश्वविद्यालय की सोमवार की अधिसूचना में कहा गया है कि कक्षाएं 24 सितंबर तक निलंबित रहेंगी. लेकिन इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि उस दौरान ऑनलाइन कक्षाएं होंगी या नहीं.

छात्रों के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए यूनिवर्सिटी के संस्थापक सतनाम सिंह संधू ने दिप्रिंट को बताया कि वे विरोध को दबाने की कोशिश नहीं कर रहे है, दरअसल यहां एक ‘कम्युनिकेशन गैप’ आ गया है.

जब छात्रों के इन आरोपों के बारे में पूछा गया कि विश्वविद्यालय विरोध को कुचलने की कोशिश कर रहा है, तो संधू ने दिप्रिंट को बताया, ‘वे विरोध करके, कुछ भी गलत नहीं कर रहे हैं. यहां ‘कम्यूनिकेशन गैप’ आ गया है. हम छात्रों को आश्वासन देने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं. पिछली (रविवार) रात हमारे आश्वासन के बाद ही छात्र वहां से गए थे.

यह घटना शनिवार को तब सामने आई जब कुछ छात्राओं ने होस्टल के एक कॉमन बाथिंग एरिया में एक छात्रा को अपने फोन के साथ कुछ करते हुए देखा. वार्डन को सूचना दी गई और यह आरोप लगाया गया कि वह कुछ वीडियो रिकॉर्ड करने की कोशिश कर रही थी.

इसके बाद के दो दिनों में छात्राओं की यूनिवर्सिटी के अधिकारियों और पुलिस के साथ झड़प हुई.

जिस छात्रा पर वीडियो लीक करने का आरोप है, उसे दो अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया है. ये दोनों कथित तौर पर छात्रा का प्रेमी और उसका दोस्त है.

हालांकि उन पर कई वीडियो लीक करने का आरोप लगाया गया था, लेकिन पुलिस का दावा है कि उन्हें उसके फ़ोन में कुछ भी नहीं मिला है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार लोगों के सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है.

संधू ने इस घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘हम मामले को नियंत्रण में लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. मामले की जांच वरिष्ठ प्रशासनिक स्टाफ ने की. उसके बाद एफआईआर दर्ज की गई. छात्रा (गिरफ्तार छात्रा) को निष्कासित कर दिया गया है. छात्रों को आश्वासन दिया गया है कि उचित कार्रवाई की जाएगी और उनकी सभी मांगों को ध्यान में रखा गया है. हम पुलिस के साथ सहयोग कर रहे हैं.’

लाचारी और चिंता

Students leaving Chandigarh University | Bismee Taskin | ThePrint
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय छोड़ने वाले छात्र | बिस्मी तस्कीन | दिप्रिंट

सोमवार की सुबह यूनिवर्सिटी की अधिसूचना ने छात्रों के बीच दहशत और गुस्सा पैदा कर दिया. इनमें से से अधिकांश छात्र तो अपने मिड-सेमेस्टर ऑनलाइन एग्जाम के बाद पिछले सप्ताह ही परिसर में लौटे थे.

छात्रों ने दिप्रिंट को बताया कि उनके छात्रावास के वार्डन ने ‘डे पास’ – एक परमिशन स्लिप जो छात्रों को दिन में हॉस्टल से बाहर निकलने और शाम तक वापस आने की अनुमति देती है- जारी करने से इनकार कर दिया है. 19 साल की कानून की एक छात्रा ने दिप्रिंट को बताया कि उसके माता-पिता ‘बेहद चिंतित थे. जब उन्हें पता चला कि कक्षाएं रद्द कर दी गईं है, तो उन्होंने मुझे घर वापस आने के लिए कहा’.

छात्रों के ऑटो रिक्शा की तलाश में गेट से बाहर आते ही, मीडिया उन्हें घेर लेती है. वे चमकते कैमरों से अपना चेहरा छुपाते हुए आगे निकल जाते हैं. अनिश्चितता साफतौर पर देखी जा सकती है. चंडीगढ़ के सेक्टर 43 के बस स्टैंड पर खड़े छात्र अपने घरों की तरफ जाने के लिए बड़ी संख्या में इंतजार कर रहे थे.

एक 20 वर्षीय बी.टेक छात्र ने दिप्रिंट को बताया कि अपने शहर गुवाहाटी में वापिस जाना काफी मुश्किल है. वह कहते हैं, ‘ हवाई जहाज की टिकट महंगे हैं. मुझे ट्रेन में भी रिजर्वेशन नहीं मिला. अब मैं उत्तर प्रदेश में अपने एक रिश्तेदार के यहां जा रहा हूं.’

एक अन्य 19 साल के बायोटेक छात्र ने शिकायत करते हुए कहा कि निलंबित कक्षाओं का मतलब होगा प्रैक्टिकल का न होना.

माता-पिता के लिए भी यह कुछ दिन चिंताओं से भरे रहे हैं. लॉ कर रही एक 18 वर्षीय छात्रा की मां ने कहा, ‘पुलिस और विश्वविद्यालय को घटनाओं के बारे में पारदर्शी होना चाहिए था. हम इस बात को लेकर चिंतित थे कि चीजें कैसे सामने आएंगी. सोशल मीडिया अफवाहों से भरा पड़ा है. कुछ ने तो यहां तक कह दिया कि लाठीचार्ज किया गया था.’

पुलिस ने रविवार रात के विरोध प्रदर्शन के दौरान किसी भी तरह के लाठीचार्ज के दावों को खारिज कर दिया था.

17 साल के एक अन्य लॉ स्टूडेंट ने दिप्रिंट को बताया कि वह चाहता था कि चीजें वापस सामान्य हो जाएं. उसने कहा, ‘पिछले दो दिनों से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. बाहर से छात्र भी आए हैं और कैंपस में पुलिस की मौजूदगी है. यह एक बहुत ही डरावना अनुभव रहा है.’

अधिसूचना की वजह से पैदा हुई सामान्य चिंता के बावजूद, कुछ का मानना है कि कक्षाएं बंद करने से चीजों को शांत करने में मदद मिल सकती है. एक 21 वर्षीय एमबीए छात्र ने कहा, ‘पंजाब विश्वविद्यालय के छात्र कल (रविवार) आए थे. हालात और खराब हो सकते थे, इसलिए उन्होंने हमारी कक्षाएं रोक दीं.’

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी और उसके फाउंडर

2012 में स्थापित इस चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में 50 कोर्स – ग्रेजुएट और मास्टर प्रोग्राम के लिए – चलाए जाते हैं. फिलहाल यहां लगभग 30,000 छात्र नामांकित हैं, जिनमें 54 देशों के छात्र भी शामिल हैं.

शिक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) 2022 में, विश्वविद्यालय सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की श्रेणी में 29 वें स्थान पर था, और इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट स्टडीज के लिए 45 वें और 40 वें स्थान पर था.

यह क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में आने वाला दुनिया के सबसे कम उम्र के विश्वविद्यालय के रूप में शुमार हुआ था, और भारत के टॉप के प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में तीसरे स्थान पर रहा. 2019 में इसे राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा A+ से मान्यता दी गई थी.

2018 में एडमिशन के दौरान कन्फ्यूजन को लेकर चंडीगढ़ विश्वविद्यालय और पंजाब विश्वविद्यालय दोनों के बीच एक विवाद छिड़ गया. पंजाब यूनिवर्सिटी ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था.

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के संस्थापक संधू एक उद्यमी हैं. अप्रैल में संधू ने सिख एनआरआई और समुदाय के अन्य प्रमुख सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जो दिल्ली में ‘सद्भावना कार्यक्रम’ के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे.

दरअसल, घटना के सामने आने से ठीक एक दिन पहले शनिवार को संधू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 72वां जन्मदिन चंडीगढ़ में एक मुफ्त स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर मना रहे थे. इसका आयोजन न्यू इंडिया डेवलपमेंट और चंडीगढ़ वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा किया गया था. दोनों की स्थापना संधू ने की है. इसका उद्घाटन पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने किया और इस दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी उपस्थित थीं.

संधू पंजाब के फिरोजपुर के रसूलपुर गांव के रहने वाले हैं और उन्होंने 2000 में मोगा के एक कॉलेज से ग्रेजुएशन की थी. 2001 में राशपाल सिंह धालीवाल के साथ उन्होंने लांडरां में चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेज की स्थापना की.

एक ‘मध्यम वर्ग’ किसान परिवार से आने वाले संधू ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने पंजाब में अनुकरणीय शिक्षा और रोजगार मुहैया कराने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा. ‘मैंने देखा था कि इस क्षेत्र के युवाओं का एक बड़ा प्रतिशत उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाता है. इसे ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी को विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों के समान शिक्षा प्रदान करने और प्लेसमेंट के जरिए रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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