नई दिल्ली: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह कोच्चि में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में एक समारोह में देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रांत को देश को सौंप दिया है. कमीशनिंग से पहले, पीएम मोदी ने शिपयार्ड में गार्ड ऑफ ऑनर प्राप्त किया, कमीशनिंग समारोह के लिए पहुंचने पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर मिला. इस दौरान अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि यह युद्धपोत समंदर की सभी चुनौतियों को भारत का जवाब है.
‘विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है. ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है. आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करता है. आज INS विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है.’
पीएम मोदी ने कहा कि समुंद्र में चुनौतिया अनंत है और उन्हें भारत का जवाब विक्रांत है.
महिला सैनिकों पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, विक्रांत जब हमारे समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उतरेगा, तो उस पर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी. समंदर की अथाह शक्ति के साथ असीम महिला शक्ति, ये नए भारत की बुलंद पहचान बन रही है.’
‘अब इंडियन नेवी ने अपनी सभी शाखाओं को महिलाओं के लिए खोलने का फैसला किया है. जो पाबन्दियाँ थीं वो अब हट रही हैं. जैसे समर्थ लहरों के लिए कोई दायरे नहीं होते, वैसे ही भारत की बेटियों के लिए भी अब कोई दायरे या बंधन नहीं होंगे.’
#WATCH | Kochi, Kerala | Hoisting of the new Naval Ensign 'Nishaan', on #INSVikrant in the presence of Prime Minister Narendra Modi. pic.twitter.com/DaFdg52iMU
— ANI (@ANI) September 2, 2022
भारत के समुद्री इतिहास में अब तक के सबसे बड़े जहाज तथा स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ का आज जलावतरण किया गया.बृहस्पतिवार को यहां पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोचीन शिपयार्ड में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित और अत्याधुनिक स्वचालित यंत्रों से लैस युद्धपोत का जलावतरण किया. प्रधानमंत्री इस अवसर पर औपनिवेशिक अतीत को खत्म करते हुए नए नौसेना ध्वज (निशान) का भी अनावरण किया.
ध्वज का आवरण करते हुए उन्होंने कहा, ‘अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी. लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा.’
पीएम मोदी ने कहा, ‘पिछले समय में इंडो-पैसिफिक रीज़न और इंडियन ओशन में सुरक्षा चिंताओं को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता रहा. लेकिन आज ये क्षेत्र हमारे लिए देश की बड़ी रक्षा प्राथमिकता है. इसलिए हम नौसेना के लिए बजट बढ़ाने से लेकर उसकी क्षमता बढ़ाने तक हर दिशा में काम कर रहे हैं.’
मोदी ने दो सितंबर की तारीख को ‘रक्षा क्षेत्र में आत्मानिर्भर बनने की दिशा में भारत के प्रयासों के लिए एक ऐतिहासिक दिन’ बताया है क्योंकि देश में डिजाइन और निर्मित किए गए पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को सेवा में शामिल किया जाएगा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, एर्नाकुलम के सांसद हिबी ईडन, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरी कुमार और नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के शीर्ष अधिकारी सहित कई गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में मौजूद रहे.
भारतीय नौसेना के इन-हाउस वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिज़ाइन किया गया और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित, पोर्ट, शिपिंग और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का शिपयार्ड, विक्रांत को अत्याधुनिक ऑटोमेशन सुविधाओं के साथ बनाया गया है और भारत के समुद्री इतिहास में निर्मित अब तक का सबसे बड़ा जहाज है.
स्वदेशी विमान वाहक का नाम उनके शानदार पूर्ववर्ती, भारत के पहले विमान वाहक के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
इसमें बड़ी मात्रा में स्वदेशी उपकरण और मशीनरी हैं, जिसमें देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक एमएसएमई शामिल हैं. विक्रांत के चालू होने के साथ, भारत के पास दो ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे.
भारतीय नौसेना के अनुसार, 262 मीटर लंबे वाहक का पूर्ण विस्थापन लगभग 45,000 टन है जो कि उसके पूर्ववर्ती की तुलना में बहुत बड़ा और अधिक उन्नत है.
आईएसी विक्रांत की विशिष्टताओं के बारे में बोलते हुए, वाइस एडमिरल हम्पीहोली ने कहा था: ‘विक्रांत में लगभग 30 विमानों का मिश्रण होता है. यह मिग 29k लड़ाकू विमान को एंटी-एयर, एंटी-सरफेस और लैंड अटैक भूमिकाओं में उड़ा सकता है. यह सक्षम होगा कामोव 31 का संचालन करते हैं जो एक प्रारंभिक वायु चेतावनी हेलीकॉप्टर है, हाल ही में शामिल किया गया है लेकिन अभी तक चालू नहीं हुआ है एमएच -60 आर जो एक बहु-भूमिका हेलीकॉप्टर है और साथ ही हमारा स्वदेशी एएलएच भी है. यह लगभग 45,000 टन विस्थापित करता है जो निश्चित रूप से भारतीय नौसेना सूची में सबसे बड़ा युद्धपोत है.’
विक्रांत के साथ, भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास स्वदेशी रूप से एक विमान वाहक डिजाइन और निर्माण करने की क्षमता है. IAC विक्रांत में 2,300 डिब्बों के साथ 14 डेक हैं जो लगभग 1,500 समुद्री योद्धाओं को ले जा सकते हैं और भोजन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, लगभग 10,000 जहाज की रसोई में चपाती या रोटियां बनाई जाती हैं, जिसे जहाज की गली कहा जाता है.
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