केवडिया (गुजरात), नौ अप्रैल (भाषा) केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने शनिवार को कहा कि मध्यस्थता विधेयक को संसदीय स्थायी समिति के पास भेज दिया गया है और यह ‘‘बहुत अच्छा स्वरूप ले रहा है।’’ साथ ही, उन्होंने कहा कि सरकार इसे व्यापक बनाने के लिए आवश्यक जानकारी और संशोधन के साथ प्रस्तावित कानून को आगे बढ़ाएगी।
उन्होंने कहा कि मध्यस्थता को बढ़ावा देने वाला और समझौतों को लागू कराने के उद्देश्य से बनाया जा रहा यह विधेयक भारत में न्याय वितरण प्रणाली में परिवर्तनकारी बदलाव ला सकता है।
कानून मंत्री ने कहा, ‘‘केंद्र के मध्यस्थता विधेयक को कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के पास भेज दिया गया है। यह बहुत अच्छा स्वरूप ले रहा है और उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के मौजूदा और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों सहित सभी हितधारकों के साथ-साथ कुछ कानूनी फर्म ने इस बिल पर अपने सुझाव दिए हैं।’’
रिजीजू गुजरात के नर्मदा जिले के केवडिया में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के पास आयोजित मध्यस्थता और सूचना प्रौद्योगिकी पर दो दिवसीय राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि एक बार जब यह विधेयक सरकार के पास वापस आ जाएगा, तो हम इसे सभी आवश्यक सूचनाओं के साथ-साथ आवश्यक संशोधनों के साथ आगे बढ़ाएंगे ताकि इसे बहुत व्यापक बनाया जा सके।’’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार ने भी सम्मेलन में शिरकत की।
रिजीजू ने कहा, ‘‘मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि यह कानून हमारे देश में न्याय वितरण प्रणाली में परिवर्तनकारी बदलाव ला सकता है।’’
सभा को संबोधित करते हुए राज्यपाल देवव्रत ने कहा कि संसद, सरकार और न्यायपालिका लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार ने कहा कि मध्यस्थता ‘‘सबसे सरल, सुविधाजनक और लागत प्रभावी वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तंत्र है।’’
मुख्यमंत्री पटेल ने कहा कि वल्लभभाई पटेल भारत की एकता और अखंडता के प्रतीक हैं तथा आजादी के बाद 562 बड़ी और छोटी रियासतों के विलय में मध्यस्थता का एक प्रमुख उदाहरण हैं। पटेल ने कहा, ‘‘हमारी सनातन संस्कृति में भी ऐसी मध्यस्थता की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह परंपरा अब वर्तमान न्याय प्रणाली में भी प्रासंगिक होती जा रही है।’’
भाषा आशीष पवनेश
पवनेश
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