चेन्नई, 23 अक्टूबर (भाषा) तमिलनाडु के मंत्री एस रेगुपथी ने दावा किया है कि केंद्र ने राज्य के नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के रूप में नियुक्ति के लिए अपने पसंदीदा अधिकारियों के नाम प्रस्तावित किए थे, लेकिन राज्य सरकार ने इसे ‘‘अस्वीकार्य’’ बताते हुए इनकार कर दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि नए डीजीपी की नियुक्ति में देरी केंद्र सरकार की वजह से हुई है।
रेगुपथी ने अन्नाद्रमुक के महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी पर निशाना साधा, जिन्होंने सरकार पर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए शीर्ष पुलिस पद को खाली रखने का आरोप लगाया था।
प्राकृतिक संसाधन मंत्री ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि पलानीस्वामी भूल गए हैं कि उनकी अन्नाद्रमुक सरकार ने कितने समय तक बिना डीजीपी के राज्य पर शासन किया था। अब वह मुख्यमंत्री (एम के स्टालिन) पर आरोप लगा रहे हैं, जो राज्य के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।’’
वह पलानीस्वामी की इस आलोचना का जवाब दे रहे थे कि मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर चुनावी लाभ के लिए पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति नहीं की है और वह ‘‘लोगों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।’’
पलानीस्वामी ने बुधवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, ‘‘तमिलनाडु में कानून-व्यवस्था डीजीपी का कार्यकाल अगस्त में समाप्त हो गया था। लेकिन मुख्यमंत्री ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति नहीं की है, बल्कि उनका उद्देश्य चुनाव के दौरान मदद के लिए एक उपयुक्त अधिकारी की नियुक्ति करना है।’’
मंत्री ने दावा किया कि संघ लोक सेवा आयोग ने तमिलनाडु सरकार के विचारों को स्वीकार नहीं किया, बल्कि केवल उन्हीं अधिकारियों के नाम प्रस्तावित करते हुए सूची भेजी, जिन्हें वह चाहता था।
रेगुपथी ने दावा किया कि यह ‘‘हस्तक्षेप’’ के समान है।
उन्होंने कहा कि चयन समिति की बैठक में, तमिलनाडु सरकार ने ‘‘नियमों का उल्लंघन’’ करते हुए कुछ नामों के प्रस्ताव पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई।
शंकर जीवाल की 31 अगस्त को सेवानिवृत्ति के बाद से जी वेंकटरमन कार्यवाहक डीजीपी के रूप में कार्यरत हैं।
भाषा
नोमान नेत्रपाल
नेत्रपाल
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