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Saturday, 16 November, 2024
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केंद्र ने 57,613 करोड़ रुपये की PM-eBus सेवा योजना को दी मंजूरी, कई शहरों में बनेगा ये गेम चेंजर

इस योजना के तहत तीन लाख और उससे अधिक की आबादी वाले शहरों को कवर करते हुए - PPP मॉडल में 10,000 बसें तैनात की जाएंगी. केंद्र 10 वर्षों में 20,000 करोड़ रुपये प्रदान करेगा और बाकी राज्यों से होगा.

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नई दिल्ली: शहरों में बस परिवहन को बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 57,613 करोड़ रुपये की पीएम-ईबस सेवा योजना को मंजूरी दे दी, जिसके तहत केंद्र सरकार 10,000 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए 20,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देगी.

पीएम-ईबस सेवा योजना को मुख्य रूप से उन शहरों में लागू किया जाएगा जहां बहुत कम या कोई संगठित परिवहन सेवा नहीं है, और हरित गतिशीलता के लिए बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा.

इस योजना की घोषणा पहली बार 2021 में केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई थी. इसके कुल परिव्यय में से, केंद्र 10 वर्षों की अवधि के लिए 20,000 करोड़ रुपये प्रदान करेगा जबकि शेष राज्यों से आएगा.

धनराशि का उपयोग दो घटकों के लिए किया जाएगा: सिटी बस सेवाओं को बढ़ाना और हरित शहरी गतिशीलता पहल के लिए, जैसे चार्जिंग बुनियादी ढांचे की स्थापना आदि.

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने योजना के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा, “पीएम-ईबस सेवा का उद्देश्य शहरों में सिटी बस संचालन को बढ़ाना है, ज्यादातर उन शहरों में जहां संगठित बस सेवाएं नहीं हैं. यह योजना सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर लागू की जाएगी.

यह योजना 2011 की जनगणना के अनुसार 3 लाख और उससे अधिक की आबादी वाले शहरों को कवर करेगी. इसके तहत, 169 शहर पीएम-ईबस सेवा के लिए पात्र हैं और इलेक्ट्रिक बसों के लिए अंतिम उम्मीदवारों का चयन एक प्रतियोगिता के माध्यम से किया जाएगा.

ठाकुर ने कहा, “2011 की जनगणना के अनुसार, 169 शहरों की आबादी 3 लाख से 40 लाख है, और वे इस योजना के लिए आवेदन करने के पात्र हैं. इनमें से 100 शहरों को एक चुनौती के माध्यम से चुना जाएगा.”

उन्होंने कहा कि 20 से 40 लाख की आबादी वाले शहर 150 इलेक्ट्रिक बसों के लिए पात्र होंगे, जबकि 5 से 20 लाख और 3 से 5 लाख की आबादी वाले शहरों को क्रमशः 100 और 50 बसें मिलेंगी.

ठाकुर के अनुसार, हरित शहरी गतिशीलता पहल के लिए 181 शहर आवेदन करने के पात्र हैं.

आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (एमओएचयूए), जो योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय है, योजना के तौर-तरीकों पर काम कर रहा है और इसे “अगले कुछ महीनों” में लॉन्च करने की योजना बना रहा है.

जबकि नौ बड़े शहर जो केंद्र की फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) II योजना के अंतर्गत आते हैं, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास को बढ़ावा देना है, वे पीएम-ईबस सेवा के तहत बसों के लिए आवेदन करने के पात्र नहीं होंगे. मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि ये शहर इसके हरित गतिशीलता घटक के तहत वित्त पोषण के लिए आवेदन कर सकते हैं.

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “169 शहर बस वृद्धि योजना के लिए आवेदन करने के पात्र हैं और (अंतिम शहरों) को एक प्रतियोगिता के माध्यम से चुना जाएगा. जिन शहरों को बसें मिलेंगी उनकी अंतिम संख्या चुनौती के तहत आवेदन करने वाले शहरों की संख्या पर निर्भर करेगी.

अधिकांश शहरों में, विशेषकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में, संगठित बस परिवहन सेवाएं या तो अस्तित्वहीन हैं या ख़राब हैं.

शहरी परिवहन विशेषज्ञों ने पीएम-ईबस सेवा की मंजूरी का स्वागत किया है और इसे परिवहन क्षेत्र में संभावित “गेम चेंजर” बताया है.

इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन के प्रबंध निदेशक-भारत अमित भट्ट ने दिप्रिंट को बताया, “पीएम-ईबस सेवा पहल में गेम चेंजर बनने की क्षमता है, क्योंकि यह सार्वजनिक परिवहन क्षमता को 25 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है. इसके अलावा, इस पहल के तहत इलेक्ट्रिक बसों पर ध्यान केंद्रित करने से सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पर्याप्त लाभ मिलते हैं.”


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‘शहरों को मदद’

पीएम-ईबस सेवा योजना को पीपीपी मोड में लागू किया जाएगा, जैसा कि सीतारमण ने 2021 में अपने बजट भाषण में घोषित किया था.

उन्होंने कहा था, “सार्वजनिक बस परिवहन सेवाओं के विस्तार में सहायता के लिए 18,000 करोड़ रुपये की लागत से एक नई योजना शुरू की जाएगी. यह योजना निजी क्षेत्र के व्यापारियों को 20,000 से अधिक बसों के वित्तपोषण, अधिग्रहण, संचालन और रखरखाव में सक्षम बनाने के लिए नवीन पीपीपी मॉडल की तैनाती की सुविधा प्रदान करेगी.”

हालांकि, 20,000 इलेक्ट्रिक बसें शुरू करने के शुरुआती प्रस्ताव को घटाकर 10,000 कर दिया गया है.

पीएम-ईबस सेवा के तहत, शहर निजी व्यापारियों को शामिल करेंगे जो बसें खरीदेंगे, जबकि राज्य सरकारें उनके संचालन और संबंधित बुनियादी ढांचे, जैसे डिपो आदि प्रदान करने के लिए भुगतान करेंगी.

ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय सहायता से 20,000 करोड़ रुपये में से 15,930 करोड़ रुपये बस संचालन के लिए, 2,264 करोड़ रुपये बुनियादी ढांचे के विकास के लिए और 1,506 करोड़ रुपये हरित शहरी गतिशीलता पहल के लिए दिए जाएंगे.

आवास मंत्रालय के अधिकारी ने पहले उल्लेख किया है, “राज्य सरकारें या तो निजी खिलाड़ियों को किराया वसूलने की अनुमति दे सकती हैं या उन्हें प्रति किलोमीटर के आधार पर भुगतान कर सकती हैं.”

एक दूसरे अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “हमारा लक्ष्य अगले कुछ महीनों में इस योजना को लागू करना है और बसों की खरीद दो साल की अवधि में की जाएगी. यह योजना खरीद की तारीख के आधार पर 10 वर्षों की अवधि के लिए वैध होगी.

मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, हरित शहरी गतिशीलता पहल के तहत, बस बुनियादी ढांचे, मल्टीमॉडल इंटरचेंज सुविधाएं, राष्ट्रीय सामान्य गतिशीलता कार्ड-आधारित स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली, चार्जिंग बुनियादी ढांचे आदि का विकास किया जाएगा.

एक शोध संगठन, वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट इंडिया के सीईओ, माधव पई ने दिप्रिंट को बताया, “मजबूत परिवहन प्रणालियों की कमी वाले मध्यम और छोटे शहरों को प्रदान की जा रही सहायता विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.”

उन्होंने कहा, “छ: मिलियन यात्रियों की अनुमानित दैनिक सवारियों के साथ, इन बसों से अपने पूरे जीवनचक्र में 6 बिलियन बस-किलोमीटर की दूरी तय करने की उम्मीद है. इसके अलावा, इलेक्ट्रिक बसों को अपनाने से 10 वर्षों के दौरान संभावित रूप से 16.5 मिलियन टन CO2-समतुल्य टेलपाइप उत्सर्जन कम हो सकता है.”

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन अलमिना खातून)


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