नयी दिल्ली, 24 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को क्रिकेटर युवराज सिंह के गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) की उस याचिका पर केंद्र से जवाब तलब किया, जिसमें विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) पंजीकरण शीघ्र जारी करने की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने एनजीओ ‘युवराज सिंह फाउंडेशन’ की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 30 जनवरी, 2025 तक के लिए स्थगित कर दी।
अदालत ने अधिकारियों को इस तारीख से पहले याचिकाकर्ता की पुनरीक्षण याचिका पर फैसला करने का भी निर्देश दिया।
एनजीओ ने कहा कि उसने 13 जनवरी, 2023 को एफसीआरए नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था और एक साल से अधिक की देरी के बाद अधिकारियों ने चार मार्च, 2024 को याचिका खारिज करते हुए बिना किसी व्याख्या वाला एक आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता देवदीप्ता दास और चैतन्य पूनिया पेश हुए।
अधिवक्ताओं ने दलील दी कि उन्हें (उनके मुवक्किल को) सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया और उसके बाद 21 मार्च, 2024 को एनजीओ ने अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दायर की, जो फिलहाल लंबित है।
वकील नैनश्री गोयल और राघव भेरवानी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता अपने एजेंट के माध्यम से एफसीआरए अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में रहे हैं। फिर भी, कोई प्रगति नहीं हुई है और याचिकाकर्ता विभिन्न सामाजिक रूप से हाशिये पर पड़े रोगियों और अन्य व्यक्तियों की मदद के लिए अपने बैंक खाते में पड़े विदेशी धन को प्राप्त करने और उसका इस्तेमाल करने में असमर्थ हैं।’’
एनजीओ 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के हाशिये के कैंसर रोगियों के उपचार और शिक्षा के लिए मौद्रिक सहायता प्रदान करने, देश भर में स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने और मुफ्त जांच करने में शामिल है।
संगठन ने कहा कि प्राधिकारियों की कार्रवाई के कारण वह ऐसे कार्यों में प्रभावी रूप से योगदान करने में असमर्थ है, तथा उसने एफसीआरए प्रमाणपत्र दिए जाने तक अंतरिम अवधि में विदेशी धन प्राप्त करने और उसका उपयोग करने का अनुरोध किया।
भाषा सुरेश माधव
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