नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा कि क्या वह तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा पुर्तगाल सरकार को दिये गये इस आश्वासन से बंधी है कि गैंगस्टर अबु सलेम को अधिकतम सजा 25 साल से अधिक नहीं दी जाएगी।
न्यायालय ने कहा कि अगली बार किसी भगोड़े अपराधी को भारत लेकर आने के वक्त पुर्तगाल के साथ किये गये वायदे पर केंद्र सरकार के रुख का व्यापक असर होगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दाखिल हलफनामे से संतुष्ट नहीं है, जिसमें कहा गया है कि मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के दोषी सलेम के प्रत्यर्पण के दौरान पुर्तगाल सरकार के साथ भारत का आश्वासन भारतीय अदालतों पर बाध्यकारी नहीं हैं।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौनल और न्यायामूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने केंद्रीय गृह सचिव को एक हलफनामा देने का निर्देश दिया जिसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया हो कि क्या भारत सरकार तत्कालीन उप प्रधानमंत्री द्वारा पुर्तगाल को दिये गये आश्वसान से बंधी है।
सुनवाई के प्रारम्भ में पीठ ने सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज से कहा कि एजेंसी ने वैसा हलफनामा नहीं दायर किया है जैसा न्यायालय चाहता है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘आपको किसने हलफनामा दायर करने को कहा है? सीबीआई केवल एक अभियोजन एजेंसी है। हमने यह जानकारी देने के लिए कहा है कि क्या आप दिये गये आश्वासन से बंधे हैं? क्या सरकार यह कह रही है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से किये गये आश्वासन के प्रति प्रतिबद्ध नहीं है?’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मानती है कि अपराध गम्भीर हैं, लेकिन राजनीतिक बुद्धिमता के तहत भारत सरकार द्वारा दिये गये वचन से पलटने के व्यापक प्रभाव का भी मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
सलेम की ओर से पेश वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि पुर्तगाल में अदालतें 25 साल से अधिक की सजा नहीं दी सकतीं और इसी सिद्धांत पर भारत सरकार ने सलेम के प्रत्यर्पण के मामले में वचन दिया था कि यदि इस गैंगस्टर को प्रत्यर्पित किया जाता है तो उसे 25 साल से अधिक की सजा नहीं होगी, लेकिन टाडा अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
भाषा सुरेश अनूप
अनूप
अनूप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.