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Tuesday, 5 November, 2024
होमदेशसरकार अर्थव्यवस्था में मांग फिर से रिवाइव करने के पहले कोविड वैक्सीन का करेगी इंतजार : के. सुब्रमण्यम

सरकार अर्थव्यवस्था में मांग फिर से रिवाइव करने के पहले कोविड वैक्सीन का करेगी इंतजार : के. सुब्रमण्यम

कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने एक वर्चुअल सेमीनार को संबोधित करते हुए कहा कि अनिश्चितता के कारण मांग पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और बताया कि लोग खर्च से ज्यादा बचत को तरजीह दे रहे हैं.

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नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा है कि भारत सरकार मांग बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद वाले एक और कदम की घोषणा करने के संभवत: पहले कोविड-19 की वैक्सीन का इंतजार करेगी.

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की तरफ से बुधवार को आयोजित एक वर्चुअल सेमीनार में कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि सरकार उपभोग को बढ़ाने के लिए जो भी जरूरी हो वह कदम उठाने को तैयार है, लेकिन स्पष्ट किया कि ‘सवाल ऐसा करने को लेकर नहीं है बल्कि यह है कि कब किया जाए.’

उन्होंने कहा, ‘एक बार जब हमारे पास टीका आ जाएगा तो लोगों में अनिश्चितता की भावना काफी हद तक घट जाएगी. यदि अगले कुछ महीनों में टीका आ जाता है तो यह किसी आर्थिक मदद के लिए कदम उठाने का सही मौका होगा, क्योंकि तब सोच-समझकर किए जाना वाला खर्च भी मांग को बढ़ाएगा. समय बेहद अहम है इसलिए मांग ज्यादा से ज्यादा बढ़ने की स्थिति आने तक इंतजार किया जाना चाहिए.’

इस हफ्ते ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के ट्रायल को लेकर कुछ सकारात्मक खबर आई है जिसमें नोवेल कोरोनावायरस के प्रति दोहरी प्रतिरक्षात्मक क्षमता दिखाई दी है. हालांकि, टीके को आगे अभी और परीक्षणों के दौर से गुजरना है.

लोग खर्च के बजाय बचत पसंद कर रहे

कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि महामारी के कारण कायम अनिश्चितता मांग के बुरी तरह प्रभावित होने के संकेत देती है जिसमें लोगों खर्च करने के बजाय बचत को तरजीह दे रहे हैं.

अपने इस तर्क के समर्थन में कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने बताया कि जनधन खातों का डाटा दिखाता है कि लोग अपना पैसा बचा रहे हैं खाते से रकम निकाल नहीं रहे.

महामारी के पहले आम तौर पर इन खातों में बचत की प्रवृत्ति कम ही नजर आती थी. सुब्रमण्यम ने यद्यपि यह तो बताया कि इन खातों में नकद राशि 20,000 करोड़ रुपये तक बढ़ गई है, लेकिन इसका जिक्र नहीं किया कि किस समयावधि की बात कर रहे हैं.

कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कई उद्योगपतियों और अर्थशास्त्रियों ने सरकार से इंतजार करने के बजाये अब मांग बढ़ाने वाले राहत उपायों की घोषणा करने का आग्रह किया है, जिसमें इस पर जोर दिया गया है कि ऐसा करने में नाकाम रहने की स्थिति में अपने माल की डिमांड न होने के कारण कई छोटे कारोबारियों को धंधा बंद करना पड़ सकता है.

इस बीच, सरकार का मानना है कि बढ़ती अनिश्चितता की स्थिति को देखते हुए आर्थिक राहत पैकेज ऐसे समय तक टालना ज्यादा मुनासिब होगा जब लोग सिर्फ आवश्यक वस्तुओं के अलावा भी कुछ खरीदारी करने के लिए तैयार हों.

सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ महीनों में 21 लाख करोड़ रुपये से अधिक के आर्थिक उपाय घोषित किए हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर कदम पूंजीगत समर्थन के तौर पर कंपनियों को बैंक से कर्ज के रूप में दिए जाने वाले हैं. इन उपायों का वित्तीय असर केवल 2.5 लाख करोड़ रुपये के आसपास होने की उम्मीद है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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