नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथा स्थिति बहाल करने के लिये चल रही व्यापक बातचीत का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकलता है तो भारतीय सशस्त्र सेनाएं सैन्य विकल्पों के लिये भी तैयार हैं.
चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर काफी समय से चल रहे गतिरोध पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल विपिन रावत ने यह बात कही.
चीन-भारत सीमा मुद्दे को लेकर सैन्य रणनीति बनाने वाले शीर्ष सैन्य अधिकारियों का हिस्सा जनरल रावत ने कहा कि शांति से गतिरोध के समाधान के लिये ‘पूर्ण सरकारी’ नजरिये का पालन किया जा रहा है.
तीन महीनों से भी ज्यादा समय से सीमा पर चल रहे विवाद के बारे में पूछे जाने पर सीडीएस ने कहा कि नियंत्रण रेखा पर यथा स्थिति बहाल करने के लिये अगर सभी प्रयास ‘फलदायी’ नहीं होते हैं तो सशस्त्र बल हमेशा सैन्य कार्रवाई के लिये तैयार हैं.
दिसंबर 2016 से दिसंबर 2019 तक सेना प्रमुख रहे जनरल रावत ने कहा कि एलएसी को लेकर दोनों देशों की अलग धारणा के कारण अतिक्रमण हुआ.
बीते ढाई महीनों में भारत और चीन के बीच कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता हो चुकी हैं लेकिन सीमा गतिरोध के समाधान की दिशा में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई.
दोनों पक्षों के बीच बृहस्पतिवार को कूटनीतिक वार्ता का एक और दौर हुआ जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे लंबित मुद्दों को ‘तेजी के साथ’ मौजूदा समझौतों और व्यवस्थाओं के जरिये निपटाने पर सहमत हैं.
पूर्वी लद्दाख में भारत की सैन्य तैयारियों की समीक्षा और क्षेत्र में बन रही स्थितियों के मद्देनजर उपाय करने के लिये रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जनरल रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख नियमित रूप से बैठक कर रहे हैं.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक सैन्य वार्ता में भारतीय सेना चीन से अप्रैल के पूर्व की यथास्थिति बहाल करने पर सख्ती से जोर दे रही है क्योंकि यही विवाद के हल का एक मात्र तरीका है.
सेना में यह विचार भी बढ़ रहा है कि चीनी सेना विवाद के हल की इच्छुक नहीं है और वह बातचीत में ‘कभी आगे कभी पीछे’ हो रही है जबकि भारतीय पक्ष ने इस मामले में अपनी स्थिति से उसे बेहद स्पष्ट रूप से अवगत करा दिया है.
सूत्रों ने कहा कि सीमा विवाद से अलग भारत लद्दाख क्षेत्र में प्रमुख आधारभूत ढांचों के विकास के साथ ही नयी सड़कों को बनाने का काम भी कर रहा है.
एक सूत्र ने कहा, ‘हमारे द्वारा किया जा रहा सड़क निर्माण पीएलए के आधारभूत ढांचे के जवाब में नहीं बल्कि हमारे लोगों की जरूरतों के आधार पर है.’
दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया छह जुलाई को शुरू हुई थी. इसके एक दिन पहले करीब दो घंटे तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने इलाके में तनाव घटाने के लिये किये जाने वाले उपायों को लेकर फोन पर चर्चा की थी. हालांकि यह प्रक्रिया मध्य जुलाई के बाद से आगे नहीं बढ़ी.