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Friday, 29 March, 2024
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10वीं-12वीं बोर्ड के पेपर में कई गलतियों पर सवाल उठने के बाद CBSE ने गठित किया रिव्यू पैनल

सीबीएसई के प्रश्नपत्र में शनिवार को ‘नारीवादियों’ के लिए एक विवादास्पद संदर्भ की न केवल सोशल मीडिया की आलोचना हुई, बल्कि इस मामले पर संसद में भी हंगामा हुआ. यह इस महीने लगातार तीसरा पेपर है जिसमें गलती सामने आई है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सोमवार को एक बयान जारी कर ‘प्रश्नपत्र तैयार करने की प्रक्रिया की गहन समीक्षा और उसमें सुधार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति’ के गठन की घोषणा की.

यह कदम बोर्ड की 10वीं और 12वीं की पहले टर्म की परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों में बार-बार त्रुटियों सामने आने के बाद उठाया गया है. सीबीएसई के प्रश्नपत्रों में इस माह कम से कम तीन गलतियां सामने आई हैं, जिनमें से एक नारीवादियों को लेकर विवादास्पद संदर्भ से जुड़ी थी और इस पर सोमवार को संसद में काफी हंगामा भी हुआ.

शनिवार को हुए कक्षा 10 के अंग्रेजी के एक पेपर में एक प्रश्न के साथ एक एक अंश दिया गया था, जिसमें लिखा था, ‘20वीं शताब्दी में बच्चे की संख्या घटी और यह नारीवादी विद्रोह का नतीजा था. अनुशासन के साथ अब यह मुख्य समस्या नहीं रही है, पारिवारिक जीवन में बदलाव आया है.’

सोशल मीडिया पर इसकी खासी आलोचना हुई. कांग्रेस नेताओं प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस अंश की आलोचना के लिया ट्विटर का सहारा लिया.

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस मुद्दे को संसद में उठाया. हंगामे के मद्देनजर बोर्ड ने मूल्यांकन प्रक्रिया से इस प्रश्न को हटा दिया और इसके बदले में छात्रों को पूरे अंक देने को कहा.

इससे पहले, 12वीं कक्षा के छात्रों के सोशियॉलजी के पेपर में 2002 के गुजरात दंगों पर पूछे गए एक प्रश्न ने विवाद खड़ा कर दिया था और बोर्ड को अंततः स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा था. शनिवार को कक्षा 10 के एक अन्य अंग्रेजी प्रश्नपत्र में कथित तौर पर कई गड़बड़ियां थीं—पेपर में दो बार, बहुविकल्पीय प्रश्नों में केवल उत्तर वाले विकल्प दिए गए थे, प्रश्न गायब थे.

सीबीएसई ने सोमवार को ट्विटर पर जारी अपने बयान में कहा कि विशेषज्ञ समिति का गठन ‘भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने’ के लिए किया गया है.

इस साल प्रश्नपत्रों को लेकर हंगामे के बाद शिक्षकों और शिक्षा विशेषज्ञों ने बोर्ड के मूल्यांकन के नए प्रारूप पर चिंता जताई है, साथ ही प्रश्नपत्र सेट करने वालों की ट्रेनिंग पर भी सवाल उठाए हैं.


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‘मूल्यांकन का नया प्रारूप आज़माने की कोशिश’

दिप्रिंट ने जिन कई स्कूलों के शिक्षकों से बात की उन्होंने दावा किया कि यह शायद पहली बार है कि सीबीएसई के पेपर में इतनी त्रुटियां सामने आई हैं. शिक्षकों के मुताबिक, इसका एक प्रमुख कारण इस वर्ष बोर्ड की तरफ से पेश किया गया नया मूल्यांकन प्रारूप था—इसमें छात्रों का संज्ञानात्मक कौशल देखने-परखने के लिए वस्तुनिष्ठ प्रश्न शामिल किए गए थे.

दिल्ली के एक स्कूल की प्रिंसिपल ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि ‘सीबीएसई के प्रश्नपत्रों में जिस तरह की गलतियां सामने आई हैं, उन्हें टाला जा सकता था. अगर बोर्ड ने अपने पेपर-सेटर और मॉडरेटर को अच्छी तरह से ट्रेंड किया होता.’

उन्होंने आगे कहा, ‘वे ऐसे प्रश्न पूछना चाहते हैं जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप और नैसर्गिक हों लेकिन फिर भी ऐसी चीजें पूछ रहे हैं जैसे नारीवाद एक परिवार के पतन की ओर ले जाता है. ये वो बातें नहीं हैं जो हम अपने छात्रों को पढ़ाना चाहते हैं.

दिल्ली के एक स्कूल में टीचर रुतुजा धनकड़ ने दावा किया कि ये परीक्षाएं शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों के लिए भी एक पीड़ादायक अनुभव रही हैं, क्योंकि बोर्ड ने इस बार बहुत सारे बदलाव किए हैं—एक वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा, वस्तुनिष्ठ प्रश्न, और साथ ही इस तरह के सवाल भी पूछे जा रहे हैं.

धनकड़ ने कहा, ‘मुझे लगता है कि छात्रों और शिक्षकों के लिए यह बदलाव कुछ जरूरत से ज्यादा हो गया है. इस शैक्षणिक वर्ष से लागू सभी बदलाव के साथ एडजस्ट कर पाना थोड़ा मुश्किल हो गया है.’

सूरत के एक स्कूल शिक्षक, जिनका नाम जाहिर नहीं किया जा सकता, ने गलतियों के लिए प्रश्नपत्र के वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रारूप को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, ‘प्रश्नपत्रों में पहले भी छोटी-मोटी त्रुटियां होती थीं, लेकिन प्रश्नों का वर्तमान प्रारूप त्रुटियों की संभावना बढ़ा देता है. पेपर में उत्तर और प्रश्न दोनों हैं और इसलिए और भी गलतियां हो सकती हैं.’

‘10 साल का अनुभव जरूरी’

प्रश्नपत्र सेट करने वालों और प्रश्नों के मॉडरेटर की पहचान को बोर्ड गोपनीय रखता है. बोर्ड के नियमों के मुताबिक, बोर्ड और परीक्षा संबंधी नियमों के मद्देनजर सभी पेपर-सेटर, मॉडरेटर, गोपनीयता अधिकारी, मुख्य परीक्षक और परीक्षक सीबीएसई अध्यक्ष की तरफ से नियुक्त किए जाते हैं.

नियमों के तहत यह भी अनिवार्य है कि कोई भी ऐसा व्यक्ति उस साल का पेपर सेट नहीं कर सकता है, जब उनके ‘निकट संबंधी’–पत्नी/पति, बेटे और बेटियां और उनके परिवार के अन्य सदस्य सहित जैसे भतीजा, भतीजी या उनके पत्नी/पति आदि बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में हिस्सा ले रहे हों.

पेपर-सेटर के लिए प्रासंगिक विषय या संबद्ध विषय में स्नातकोत्तर डिग्री होना आवश्यक है. उसके पास संबंधित विषय को पढ़ाने का कम से कम 10 साल का अनुभव भी होना चाहिए.

पेपर-सेटर के लिए घोषित तौर पर यह बताना जरूरी होता है कि उसने ‘विषय से संबंधित किसी भी गाइड-बुक, हेल्प-बुक, की या इसी तरह कोई अन्य सामग्री, भले ही कोई भी नाम हो, को लिखा या संशोधित नहीं किया है.’ नियम कहते हैं कि संबंधित व्यक्ति को ‘निजी तौर पर या किसी निजी संस्थान में ट्यूशन या कोचिंग पढ़ाने से जुड़ा नहीं होना चाहिए और इस तरह की किसी अन्य गतिविधि का हिस्सा नहीं होना चाहिए.’

बोर्ड नियमों के तहत यह भी अनिवार्य है कि पेपर-सेटर यह सुनिश्चित करे कि प्रश्न पत्र विषय के पाठ्यक्रम, ब्लूप्रिंट, डिजाइन और पाठ्यपुस्तकों और रिकमंड की गई किताबों पर ही आधारित हो.

उनसे यह सुनिश्चित करने की भी अपेक्षा की जाती है कि कोई भी प्रश्न ‘गलत तरीके से’ या ‘अस्पष्ट’ नहीं लिखा हो जिससे पढ़ने वाला उसका कोई और मतलब निकाले.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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