नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने से संबद्ध विद्यालयों को बच्चों के चीनी सेवन पर नजर रखने और उसे कम करने के लिए ‘शुगर बोर्ड’ लगाने का निर्देश दिया है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
सीबीएसई ने उल्लेख किया है कि पिछले दशक में बच्चों में टाइप 2 मधुमेह के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो पहले मुख्य रूप से वयस्कों में देखा जाता था।
बोर्ड ने स्कूल प्रधानाचार्यों को लिखे पत्र में कहा, ‘‘यह खतरनाक प्रवृत्ति मुख्य रूप से चीनी के अधिक सेवन के कारण है, जो अकसर स्कूल के वातावरण में मीठे स्नैक्स, पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की आसानी से उपलब्धता के कारण होता है। चीनी के अत्यधिक सेवन से न केवल मधुमेह का खतरा बढ़ता है, बल्कि मोटापा, दांत की समस्याएं और अन्य चयापचय संबंधी विकार भी होते हैं, जो अंततः बच्चों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं।’’
अध्ययनों से पता चलता है कि 4 से 10 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए दैनिक कैलोरी सेवन में चीनी का हिस्सा 13 प्रतिशत है, तथा 11 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए यह 15 प्रतिशत है, जो अनुशंसित 5 प्रतिशत की सीमा से काफी अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इस अत्यधिक सेवन के लिए स्कूल में आसानी से उपलब्ध होने वाले मीठे स्नैक्स, पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का अत्यधिक उपयोग जिम्मेदार है।’’
यह निर्देश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के कहने पर जारी किया गया। एनसीपीसीआर एक वैधानिक निकाय है, जिसका गठन बच्चों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने लिए किया गया था, खासकर उन बच्चों के जो सबसे कमजोर और हाशिए पर हैं।
विद्यालयों को ‘शुगर बोर्ड’ (चीनी पट्टिका) लगाने के लिए कहा गया है, जिस पर छात्रों को चीनी के अत्यधिक सेवन के जोखिमों के बारे में शिक्षित करने के लिए जानकारी प्रदर्शित की जाए।
इसने कहा, ‘‘इस पट्टिका पर आवश्यक जानकारी प्रदान की जानी चाहिए, जिसमें अनुशंसित दैनिक चीनी का सेवन, आम तौर पर खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ (जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स आदि जैसे अस्वास्थ्यकर भोजन) में चीनी की मात्रा, उच्च चीनी के सेवन से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम और स्वस्थ आहार विकल्प शामिल हैं। यह छात्रों को सूचित भोजन विकल्पों के बारे में शिक्षित करेगा और छात्रों के बीच दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभों को बढ़ावा देगा।’’
विद्यालयों को इस संबंध में जागरूकता सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित करने के लिए भी कहा गया है।
बोर्ड ने कहा, ‘‘15 जुलाई से पहले विद्यालयों द्वारा एक संक्षिप्त रिपोर्ट और कुछ तस्वीरें अपलोड की जा सकती हैं।’’
भाषा अमित नेत्रपाल
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