शिमला, 27 मई (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के मुख्य अभियंता विमल नेगी की मौत के मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने और साझा मंशा के आरोपों पर मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
कुछ दिन पहले ही उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी।
अधिकारियों ने बताया कि शिमला पुलिस द्वारा 19 मार्च को दर्ज मामले के आधार पर नयी दिल्ली में प्राथमिकी दर्ज की गई तथा पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) बृजेन्द्र प्रसाद सिंह जांच अधिकारी होंगे।
उन्होंने बताया कि मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3 (5) (समान मंशा) के तहत दर्ज किया गया है।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 23 मई को मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि राज्य के पुलिस महानिदेशक ने अपनी वस्तु स्थिति रिपोर्ट में जांच के तरीके पर गंभीर चिंता जताई थी।
एचपीपीसीएल के मुख्य अभियंता नेगी 10 मार्च को लापता हो गए थे और 18 मार्च को उनका शव संदिग्ध परिस्थितियों में बिलासपुर जिले में मिला था। विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि उनके (विमल के) वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें परेशान किया।
परिजनों ने 19 मार्च को नेगी के शव को शिमला में एचपीपीसीएल कार्यालय के बाहर रखकर प्रदर्शन किया था, जिसके बाद मामला दर्ज किया गया था। शिमला के पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल द्वारा इसकी जांच की जा रही थी।
इस मामले ने हिमाचल प्रदेश में बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था और भाजपा ने कांग्रेस नीत सरकार पर मामले को दबाने का आरोप लगाया था।
न्यायमूर्ति अजय गोयल की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने मामले को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था।
आदेश में कहा गया कि जांच के दौरान सीबीआई यह सुनिश्चित करेगी कि हिमाचल प्रदेश कैडर का कोई भी अधिकारी जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) का हिस्सा नहीं होगा।
फैसले में कहा गया कि ‘‘अदालत का यह सुविचारित मत है कि इस मामले में असाधारण स्थिति है, जिसके लिए मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी आवश्यक है, क्योंकि पुलिस महानिदेशक ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में जांच के तरीके और पद्धति पर गंभीर चिंता जताई है।’’
भाषा आशीष माधव
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