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Sunday, 6 October, 2024
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सीबीआई ने पुरातात्विक उद्यानों के रखरखाव को लेकर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया

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नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा) केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित तौर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों द्वारा एक निजी ठेकेदार की मिलीभगत से उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक स्थलों जैसे ‘द रेजीडेंसी’ और ताजमहल में पुरातात्विक उद्यानों के रखरखाव में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

ऐसा आरोप है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के मैसूर, दिल्ली और कोटा मंडलों में लगे अकुशल श्रमिकों को लखनऊ में ऐतिहासिक स्थलों के उद्यानों का रखरखाव करते हुए दिखाकर फर्जी बिल जमा कर ठेकेदार ने सरकारी धन की हेराफेरी की।

उन्होंने बताया कि कुशीनगर, आगरा, कानपुर आदि शहरों में भी उद्यानों के रखरखाव के लिए इसी तरह के फर्जी बिल जमा किए गए थे, जिसके आधार पर ठेकेदार कुलदीप सिंह द्वारा भारी धनराशि का गबन किया गया।

शिकायत, जो अब प्राथमिकी का एक हिस्सा है, ने उत्तर प्रदेश में प्रतिष्ठित ताजमहल जैसे पुरातात्विक स्थलों और लखनऊ में रेजीडेंसी के बारे में विशिष्ट विवरण दिया।

रेजीडेंसी, जिसे ब्रिटिश रेजीडेंसी और रेजीडेंसी कॉम्प्लेक्स भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक आम परिसर में कई इमारतों का एक समूह है।

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि आगरा के सिकंदरा, राम बाग और फतेहपुर सीकरी में भी इसी तरह की धोखाधड़ी हुई।

उन्होंने बताया कि ठेकेदार को विनीत अग्रवाल, बागवानी सहायक, रेजीडेंसी, लखनऊ; बागवानी एएसआई आगरा मंडल-एक में तैनात उपाधीक्षक पी .के. चौधरी और सेवानिवृत्त अधिकारी राज कुमार सहित एएसआई अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर सहायता प्रदान की गई थी।

उन्होंने बताया कि सिंह को वर्ष 2019-20 के लिए उत्तर प्रदेश में पुरातत्व उद्यानों के रखरखाव के लिए 22 अक्टूबर, 2019 को 2.5 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था और फिर इस ठेके को इसी राशि पर अगले वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया था।

शिकायत में कहा गया है कि अग्रवाल ने कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज बनाने में सिंह की मदद की। इसमें कहा गया है कि इन फर्जी दस्तावेजों में मैसूर मंडल के तहत काम करने वाले सात फर्जी मजदूरों की तैनाती को दिखाया गया है, जिनके नाम मेगवन, मनोकरण, कोमल, कुप्पम्मल, कला के कुप्पन, इलंगोवन और अय्यासामी हैं।

इसमें कहा गया है कि एएसआई अधिकारी ने चौधरी और कुमार की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेजों का ‘सत्यापन’ किया, जिसके आधार पर सिंह को लाखों रुपये की राशि दी गई।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि इसी तरह, जनवरी 2020 के लिए, दिल्ली मंडल में सूचीबद्ध आठ मजदूरों के नाम पर ‘द रेजीडेंसी’ के रखरखाव संबंधी बिल जारी किए गए थे।

अधिकारियों ने कहा कि दो बिलों से पता चला है कि कोटा, राजस्थान के आठ मजदूर एक ही समय में कोटा और द रेजीडेंसी, लखनऊ दोनों स्थानों पर काम कर रहे थे।

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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