(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल सरकार ने (उच्चतम न्यायालय में) बुधवार को सीबीआई को ‘‘अवांछित अतिथि’’ बताते हुए कहा कि जांच के लिए सामान्य सहमति वापस लिये जाने के बाद उसे राज्य के अंदर मामलों की जांच करने का अधिकार नहीं है।
पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष यह दलील दी।
शीर्ष अदालत बंगाल के आसनसोल-रानीगंज क्षेत्र में कथित अवैध कोयला व्यापार की सीबीआई जांच के संबंध में शुष्क ईंधन की खरीद-फरोख्त करने वाली कंपनी के निदेशक अनूप माजी समेत आरोपियों की नौ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
सिंघवी ने कहा, ‘‘जब राज्य (पश्चिम बंगाल) ने (सीबीआई को आपराधिक मामलों की जांच के लिए) सहमति वापस ले ली, तो सीबीआई का अधिकार क्षेत्र समाप्त हो गया…सीबीआई एक अवांछित अतिथि की तरह प्रवेश कर रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, राज्य सरकार का निजी व्यक्ति के खिलाफ इस वर्तमान आपराधिक मामले से कोई लेना-देना नहीं है।’’
उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कहा,‘‘मैं अवांछित अतिथि (सीबीआई) के बारे में चिंतित हूं और मुझे वर्तमान विवाद की चिंता नहीं है।’’
पीठ ने आरोपियों की याचिकाओं पर सुनवाई तब सात मई तक के लिए स्थगित कर दी, जब सीबीआई की ओर से एक वकील ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस मामले में बहस करेंगे, लेकिन वह उपलब्ध नहीं हैं।
सीबीआई ने दृढ़ता के साथ कहा कि अपराध रेलवे से संबंधित है और इसलिए यह उसके अधिकार क्षेत्र में आता है।
पीठ ने पहले इस मामले में माजी को गिरफ्तारी से बचाया था।
पीठ ने राज्य सरकार द्वारा दायर एक अलग मुकदमे के बारे में भी पूछा, जिसमें सामान्य सहमति वापस लेने के बावजूद राज्य में मामलों की जांच करने की सीबीआई की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।
पश्चिम बंगाल ने 16 नवंबर, 2018 को सीबीआई को राज्य में मामलों की जांच करने या छापा मारने की अनुमति देने वाली सामान्य सहमति वापस ले ली थी।
पीठ को बताया गया कि पिछले साल 10 जुलाई को न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली एक अन्य पीठ ने पश्चिम बंगाल द्वारा दायर मुकदमे की स्वीकार्यता पर केंद्र की आपत्ति को खारिज कर दिया था और कहा था कि सीबीआई केंद्र सरकार के नियंत्रण में काम करती है।
शीर्ष अदालत ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की, जिसने सीबीआई को राज्य की मंजूरी के बिना पश्चिम बंगाल में कोयले के कथित अवैध खनन और परिवहन के मामले की जांच करने की अनुमति दी थी।
भाषा राजकुमार माधव
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