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Friday, 22 November, 2024
होमदेशकोविड-19 टैक्स मामले में सीबीडीटी ने तीन आईआरएस अधिकारियों के खिलाफ जारी किया आरोप पत्र

कोविड-19 टैक्स मामले में सीबीडीटी ने तीन आईआरएस अधिकारियों के खिलाफ जारी किया आरोप पत्र

भारतीय राजस्व सेवा के कुछ उत्साही कर अधिकारियों ने कोरोनावायरस महामारी से लड़ने के लिये संसाधन जुटाने के वास्ते एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें अति धनाढ्यों और विदेशी कंपनियों पर ऊंचा कर लगाने सहित कुछ अन्य सुझाव दिये गए थे .

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नई दिल्ली: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने युवा करदाताओं को भ्रमित करने और अनधिकृत रूप से एक रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए तीन प्रधान आयुक्त रैंक के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारियों के विरुद्ध सोमवार को आरोप पत्र जारी किया. रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए कर में वृद्धि करने की बात कही गई थी.

तीन आईआरएस अधिकारी- संजय बहादुर, श्री प्रकाश दुबे और प्रशांत भूषण को आरोप पत्र के संबंध में 15 दिन के भीतर लिखित जवाब दाखिल करने को कहा गया है. तीनों अधिकारियों को केंद्रीय सिविल सेवा नियम का उल्लंघन करने के लिए ड्यूटी से भी हटा दिया गया है.

भारतीय राजस्व सेवा के कुछ उत्साही कर अधिकारियों ने कोरोनावायरस महामारी से लड़ने के लिये संसाधन जुटाने के वास्ते एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें अति धनाढ्यों और विदेशी कंपनियों पर ऊंचा कर लगाने सहित कुछ अन्य सुझाव दिये गए थे .


यह भी पढ़ें: मोदी सरकार ने ‘कोविड टैक्स’ से झाड़ा पल्ला, सीबीडीटी ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने वाले आईआरएस के खिलाफ जांच शुरू की


उनकी एसोसिएशन ने तुरंत इसे सरकार को भेज दिया और इसे इसे ट्वीटर पर डाल दिया. चौबीस घंटे बाद एसासिएशन ने कहा कि यह रपट सभी नहीं बल्कि कुछ अधिकारियों की सोच दर्शाती है.

इस रिपोर्ट को लेकर अब राजस्व सेवा अधिकारियों का संगठन आईआरएसए सवालों के घेरे में है और केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने संगठन को पत्र लिखकर यह पूछा है कि इस रिपोर्ट को बोर्ड की अनुमति के बिना ही संगठन ने सार्वजनिक क्यों किया.

भारतीय राजस्व सेवा के करीब 46 नये उत्साही अधिकारियों ने इस रिपोर्ट को तैयार किया और राजस्व सेवा अधिकारियों के संगठन ने रिपोर्ट को सरकार को सौंपने के साथ ही इसे ट्विटर पर भी जारी कर दिया. लेकिन रिपोर्ट सार्वजनिक होने को लेकर सरकार की नाराजगी सामने आने के बाद 24 घंटे से भी कम समय में आईआरएस एसोसियेसन को यह कहना पड़ा कि रिपोर्ट में जो कुछ कहा गया है वह समूचे राजस्व सेवा अधिकारियों का विचार नहीं है.

आईआरएस एसोसियेसन के महासिचव प्रशांत भूषण ने रिपोर्ट के बारे में किसी फोन कॉल का जवाब नहीं दिया. भूषण ने ही इस रिपोर्ट को सीबीडीटी को 23 अप्रैल को भेजा था.

एसोसियेसन के अध्यक्ष विनय के झा शुरू में बातचीत के लिये तैयार हो गये थे लेकिन बाद में फोन कॉल का जवाब नहीं दिया.

सीबीडीटी ने सोमवार को आईआरएस एसोसियेसन को पत्र लिखकर इस मामले में जवाब मांगा है. उससे पूछ गया है कि बोर्ड की अनुमति के बिना रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों किया गया. फिलहाल रिपोर्ट तैयार करने वाले किसी भी अधिकारी से बात नहीं हो पाई.

इस रिपोर्ट में कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये सरकार को अतिरिक्त संसाधन कहा से मिल सकते हैं इस बारे में कुछ सुझाव दिये गये हैं. इसमें कहा गया है कि एक करोड़ रुपये से अधिक कमाई करने वालों पर 40 प्रतिशत की बढ़ी दर से आयकर लगाया जाना चाहिये. वहीं पांच करोड़ रुपये से अधिक के आयवर्ग में आने वाले लोगों पर संपत्ति कर फिर से लागू किया जाना चाहिये.

इस 43 पृष्ठों की रिपोर्ट को तैयार करने में भारतीय राजस्व सेवा के जिन 46 अधिकारियों का नाम सामने आया है उनमें से एक तिहाई यानी करीब 14 अधिकारियों ने 2018 और 2019 में ही राजस्व सेवा में शुरुआत की है. ये अधिकारी फिलहाल नागपुर स्थिति प्रत्यक्ष कर राष्ट्रीय अकादमी (एनएडीटी) में दो साल के अनिवार्य प्रशिक्षण से गुजर रहे हैं. अकादमी के प्रमुख वरिष्ट कर अधिकारी अल्का त्यागी हैं.

आईआरएस एसोसियेसन ने हालोकि 25 अप्रैल को जारी ट्वीट में कहा था कि करीब 50 युवा अधिकारियों ने कर संबंधी नीतिगत सुझाव सौंपे हैं. इस दस्तावेज में दो वरिष्ठ मार्गदर्शक और छह अन्य वरिष्ठों सहित 46 अधिकारियों का योगदान इसमें बताया गया है. सबसे वरिष्ठ अधिकारी 2014 बैच के हैं जबकि रिपोर्ट तैयार करने में योगदान करने वाले 23 अधिकारी 2015 से 2018 बैचे के और 15 अधिकारी 2018 और 2019 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं.

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