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Sunday, 21 September, 2025
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कर्नाटक में सोमवार से जातिवार गणना, विभिन्न समुदाय खुद को मजबूत करने का प्रयास करेंगे

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बेंगलुरु, 21 सितंबर (भाषा) कर्नाटक में सोमवार से सामाजिक एवं शैक्षणिक सर्वेक्षण के लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं। यह कवायद विभिन्न जातियों और सामुदायिक समूहों द्वारा अपनी-अपनी आबादी को सुदृढ़ करने के प्रयासों के बीच की जा रही है जिसका उद्देश्य उनकी संख्यात्मक ताकत सुनिश्चित करना है।

इस सर्वेक्षण को ‘जातिवार गणना’ के नाम से भी जाता है।

हालांकि, ग्रेटर बेंगलुरु क्षेत्र में, जहां पांच नये नगर निकाय बनाये गए हैं, प्रशिक्षण और आवश्यक तैयारियों के लिए अधिकारियों के अनुरोध पर सर्वेक्षण में एक या दो दिन की देरी हो सकती है।

कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा 7 अक्टूबर तक चलने वाले इस सर्वेक्षण को 1.75 लाख कर्मी करेंगे, जिनमें से अधिकांश सरकारी स्कूल के शिक्षक होंगे। वे राज्य भर के लगभग 2 करोड़ परिवारों के करीब 7 करोड़ लोगों का सर्वेक्षण करेंगे।

अधिकारियों के अनुसार, 420 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाला यह सर्वेक्षण ‘‘वैज्ञानिक तरीके से’’ किया जाएगा, जिसके लिए 60 प्रश्नों की प्रश्नावली होगी।

इस बीच, सर्वेक्षण के लिए तैयार की गई जातियों की सूची में कुछ जातियों की दोहरी पहचान होने को लेकर विभिन्न वर्गों की आलोचना और आपत्तियों की पृष्ठभूमि में, आयोग ने कहा कि इन जातियों के नाम ‘‘छिपा’’ दिये जाएंगे, लेकिन हटाए नहीं जाएंगे।

जातियों की दोहरी पहचान को लेकर कांग्रेस के अंदर से भी आलोचना एवं आपत्तियां आई हैं।

सूची में कई ऐसी जातियां शामिल हैं जिनकी दोहरी पहचान है – जिनके ईसाई और हिंदू, दोनों के नाम हैं – जैसे ‘कुरुबा ईसाई’, ‘ब्राह्मण ईसाई’, ‘वोक्कालिगा ईसाई’ आदि।

पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष मधुसूदन आर. नाइक ने रविवार को कहा कि पुस्तिका में जातियों की सूची सार्वजनिक जानकारी के लिए नहीं है और इसकी कोई कानूनी वैधता नहीं है। यह केवल गणनाकर्ताओं को वर्णानुक्रम के अनुसार जातियों की सूची प्राप्त करने में मदद करने के लिए है।

उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ऐप इन 33 जातियों को दोहरी पहचान के साथ नहीं दिखाएगा, क्योंकि अब इन्हें छिपा दिया गया है। हालांकि, नागरिक अपनी पसंद के अनुसार गणना कराने के लिए स्वतंत्र हैं।

नाइक ने कहा, ‘‘हमारा सर्वेक्षण 22 सितंबर से शुरू होगा। हमने पूरी तैयारी कर ली है। जनता में कुछ भ्रांतियां थीं और कुछ मुद्दों पर बहस चल रही थी। इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने बैठक की और विचार-विमर्श किया।’’

आयोग के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि ग्रेटर बेंगलुरु के प्रशासनिक अधिकारियों के अनुरोध पर, शहर में सर्वेक्षण में एक-दो दिन की देरी हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमारा कार्यक्रम 22 सितंबर से 7 अक्टूबर तक की पूरी अवधि के लिए है।’’

अधिकारियों के अनुसार, प्रत्येक घर को उसके बिजली मीटर नंबर का उपयोग करके जियो-टैग किया जाएगा और उसे एक विशिष्ट घरेलू पहचान पत्र (यूएचआईडी) दिया जाएगा।

डेटा संग्रह प्रक्रिया के दौरान, राशन कार्ड और आधार विवरण को मोबाइल नंबर से जोड़ा जाएगा।

राज्य में विपक्षी भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर ‘‘हिंदुओं को विभाजित करने’’ के लिए ‘‘जल्दबाजी’’ में सर्वेक्षण कराने का आरोप लगाया है।

भाजपा ने सर्वेक्षण की आवश्यकता पर भी सवाल उठाया है, जब केंद्र पहले ही राष्ट्रीय जनगणना में जातिवार गणना की घोषणा कर चुका है।

भाषा सुभाष नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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