बेंगलुरु, छह अक्टूबर (भाषा) कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने रविवार को कहा कि सरकार ने बहुप्रतीक्षित सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट को मंत्रिमंडल के समक्ष रखने का फैसला किया है, जिसे ‘‘जाति जनगणना’’ के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में इस पर चर्चा की जाएगी और निर्णय लिया जाएगा कि इसे विधानमंडल में पेश किया जाए या सीधे सार्वजनिक किया जाए।
कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपने तत्कालीन अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े के नेतृत्व में 29 फरवरी को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को रिपोर्ट सौंपी थी।
यह रिपोर्ट समाज के कुछ वर्गों की आपत्तियों के बीच प्रस्तुत की गई। माना जाता है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर भी इस रिपोर्ट को लेकर अलग-अलग राय हैं।
कर्नाटक के दो प्रमुख समुदायों – वोक्कालिगा और लिंगायत – ने सर्वेक्षण पर आपत्ति जताते हुए इसे ‘‘अवैज्ञानिक’’ बताया है, तथा मांग की है कि इसे खारिज किया जाए और नया सर्वेक्षण कराया जाए।
परमेश्वर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस (सर्वेक्षण रिपोर्ट) पर मंत्रिमंडल में चर्चा करने का निर्णय लिया गया है….(रिपोर्ट को मंत्रिमंडल के समक्ष रखने में) देरी के कुछ कारण हैं, अब इसे मंत्रिमंडल के समक्ष रखने का निर्णय लिया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस पर मंत्रिमंडल में चर्चा होने दीजिए और उसके बाद तय किया जाएगा कि इसे विधानसभा में पेश किया जाए या नहीं, या इसे ऐसे ही जारी किया जाए। अगर इसे विधानसभा में पेश करने की जरूरत पड़ी तो इसे अगले सत्र में लाया जाए या बाद में, इन सब बातों पर भी फैसला किया जाएगा।’’
परमेश्वर ने कहा कि यदि मंत्रिमंडल यह निर्णय लेता है कि जाति जनगणना रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह एक आयोग की रिपोर्ट है, तो इसे उसी रूप में जारी किया जा सकता है।
इस बीच, वरिष्ठ कांग्रेस नेता बी.के. हरिप्रसाद ने कहा कि जाति जनगणना रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए और आज ही लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जाति जनगणना से सभी का भला होगा और यह सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है।
भाषा शफीक नरेश
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