नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सर्जरी के दौरान रक्त वाहिकाओं को बंद करने के लिए उपयोग किए जाने वाले उन्नत उपकरणों की खरीद में अनियमितताओं के आरोप में एम्स-ऋषिकेश के एक प्रोफेसर और दो निजी कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
सीबीआई ने उपकरणों की खरीद में कथित तौर पर एम्स-ऋषिकेश को 6.57 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाने और खुद को अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप में प्रोफेसर बलराम जी. उमर और निजी कंपनियों आरोग्य इंटरनेशनल तथा रिया एजेंसीज व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
प्राथमिकी के अनुसार, उपकरणों के लिए तकनीकी निविदा 12 अक्टूबर, 2018 को खोली गई थी, जिसमें निजी कंपनी आरोग्य इंटरनेशनल ने अर्हता प्राप्त की थी और वह 5 जनवरी, 2019 को खोली गई वित्तीय बोलियों में सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी रही थी।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है, ‘खरीद अधिकारी डॉ. बलराम जी उमर ने 10 जनवरी, 2019 को अपने नोट में पात्र बोलीदाता आरोग्य इंटरनेशनल के बजाय जोधपुर की रिया एजेंसीज से 55.38 लाख रुपये प्रति यूनिट से अधिक की अत्यधिक कीमत पर कुल 3.87 करोड़ रुपये में सात उपकरण खरीदने की सिफारिश की।’’
सीबीआई ने आरोप लगाया कि उमर और निविदा समिति के अन्य सदस्यों आरोग्य इंटरनेशनल और रिया एजेंसीज को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए खरीद प्रक्रिया में निविदा की शर्तों का ‘खुले तौर पर उल्लंघन’ किया।
प्राथमिकी में कहा गया है, ‘लोक सेवक के रूप में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके, उन्होंने अत्यधिक कीमत पर उन्नत उपकरणों की खरीद कर आरोग्य इंटरनेशनल और रिया एजेंसीज को अनुचित लाभ पहुंचाया और इस तरह एम्स-ऋषिकेश को 6.57 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाया, जबकि आरोपियों को फायदा हुआ।”
सीबीआई ने आरोप लगाया कि उमर ने साजिश के तहत आरोग्य इंटरनेशनल से मानक मूल्य जान लिया जिससे उनकी सिफारिश वाले अत्यधिक मूल्य को सही ठहराया जा सके।
सीबीआई ने एम्स-ऋषिकेश का औचक निरीक्षण कर अनियमितताओं का पता लगाया था।
भाषा जोहेब वैभव
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