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Friday, 17 May, 2024
होमदेशहरियाणा के सरकारी कार्यालयों में कार रजिस्ट्रेशन, कागजी कार्रवाई रुका- वेतन बढ़ाने के लिए क्लर्क हड़ताल पर

हरियाणा के सरकारी कार्यालयों में कार रजिस्ट्रेशन, कागजी कार्रवाई रुका- वेतन बढ़ाने के लिए क्लर्क हड़ताल पर

क्लर्क एसोसिएशन वेलफेयर सोसाइटी और हरियाणा मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसोसिएशन के सदस्य मौजूदा 19,900 रुपये प्रति माह के बजाय 35,400 रुपये प्रति माह के शुरुआती वेतन की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.

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चंडीगढ़: हरियाणा के फतेहाबाद जिले के निवासी सुरेश चंदर ने इस साल जून में एक कार डीलर के माध्यम से एक पुरानी कार खरीदी थी. जब उन्होंने 7 जुलाई को वाहन को अपने नाम पर स्थानांतरित करने के लिए पंजीकरण अधिकारियों से संपर्क किया, तो उन्होंने पाया कि प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी क्योंकि सभी विभागों के क्लर्क बेहतर वेतन की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे.

इस बीच, विक्रेता उस पर प्रक्रिया में तेजी लाने का दबाव बना रहा है. कार डीलर के साथ काम करने वाले विकास शर्मा ने कहा कि अकेले उनकी एजेंसी से खरीदी गई कारों के कम से कम 35 ऐसे मामले – नए वाहनों का पंजीकरण और स्वामित्व का हस्तांतरण – हड़ताल के कारण अधिकारियों के पास लंबित हैं.

शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, “फतेहाबाद जैसे छोटे जिले में, हड़ताल के कारण वाहन पंजीकरण के कम से कम 200 मामले और पुराने वाहनों के हस्तांतरण के 300 मामले लंबित हैं. ड्राइविंग लाइसेंस जारी करना और सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य सेवाएं भी फिलहाल रुकी हुई हैं.”

इसी तरह, पानीपत में गुलशन कुमार एक जमीन के विक्रय पत्र का पंजीकरण नहीं करा सकते.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “मैंने 12 अप्रैल को एक प्लॉट खरीदने के लिए एक समझौता किया. हमारे समझौते के अनुसार, मुझे 12 जुलाई को या उससे पहले बिक्री को अपने नाम पर पंजीकृत कराना था.”

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उसने आगे कहा, “लेकिन हड़ताल के कारण मैं ऐसा नहीं कर पाया. मेरे वकील बताते हैं कि देरी मेरी वजह से नहीं हुई है, लेकिन विक्रेता लगातार इंतजार नहीं करना चाहता है और पैसो के लिए दबाव डाल रहा है. लेकिन मुझे प्लॉट का पंजीकरण [मेरे नाम पर] कराए बिना भुगतान क्यों करना चाहिए?”

हरियाणा में भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध क्लर्क एसोसिएशन वेलफेयर सोसाइटी (सीएडब्ल्यूएस) 5 जुलाई को हड़ताल पर चली गई, जबकि सर्व कर्मचारी संघ के प्रति निष्ठा रखने वाले हरियाणा मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसोसिएशन से जुड़े लोगों ने 12 जुलाई को हड़ताल शुरू कर दी. वे अपने मौजूदा 19,900 रुपये प्रति माह के बजाय 35,400 रुपये प्रति माह के शुरुआती वेतन की मांग कर रहे हैं और कहते हैं कि अगर मांग पूरी नहीं हुई तो वे अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखेंगे.

सीएडब्ल्यूएस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत तंवर ने कहा कि लगभग 20,000 क्लर्क इस समय हड़ताल पर हैं और अपने-अपने जिलों के लघु सचिवालयों के बाहर धरने पर बैठे हैं. कई जिलों में महिला क्लर्क अपने हाथों पर मेहंदी से 35,400 रुपये लिख रही हैं और इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रही हैं.

भले ही सरकार अपने ई-सेवाओं (सरल) पोर्टल के माध्यम से 342 जी2सी (सरकारी से नागरिक) सेवाएं प्रदान करती है, इस प्रक्रिया में एक क्लर्क की भूमिका महत्वपूर्ण है. शनिवार को लिपिक संघ के एक प्रतिनिधि ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, “एक बार जब कोई नागरिक पोर्टल पर किसी सेवा के लिए आवेदन करता है, तो उसकी फ़ाइल अनुमोदन के लिए संबंधित अधिकारी के समक्ष रखी जाती है. फ़ाइल शुरू करने और फिर उसे अधिकारी के सामने रखने का वास्तविक काम लिपिक कर्मचारियों द्वारा किया जाता है.”

हालांकि, कुछ काम हड़ताल के दायरे से बाहर रह गए हैं.

हरियाणा मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार श्योराण ने कहा, “हमने सरकार को सूचित कर दिया है कि हम आपदा प्रबंधन, या चुनाव संबंधी कर्तव्यों से संबंधित किसी भी काम से इनकार नहीं करेंगे, लेकिन हम कोई अन्य काम भी नहीं करेंगे.”

उन्होंने कहा, “हरियाणा में, मंत्रालयिक कर्मचारियों (क्लर्कों) को 19,900 रुपये का शुरुआती मूल वेतन मिलता है, जबकि पंजाब में हमारे समकक्षों को 32,100 रुपये का मूल वेतन मिलता है. 2014 के विधानसभा चुनावों से पहले, भूपेंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पंजाब के बराबर वेतनमान की घोषणा की थी और 1 नवंबर 2014 से नए वेतनमान लागू करने का वादा किया था.

श्योराण ने कहा, “यहां तक कि अक्टूबर 2014 में सत्ता में आई भाजपा सरकार ने भी पंजाब के समान वेतनमान देने का वादा किया था…अगर हमें 2014 में पंजाब के बराबर वेतनमान मिलता, तो 2016 में 7वें वेतन पैनल के बाद हमारा वेतन 35,400 रुपये होता.”

हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों ने कहा कि पिछले गुरुवार को सीएम मनोहर लाल खट्टर के विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी) जवाहर यादव के साथ बातचीत बेनतीजा रही थी. यूनियन नेताओं ने सीएम से मुलाकात की मांग की है लेकिन अभी तक बात नहीं बन पाई है.

दिप्रिंट से बात करते हुए ओएसडी यादव ने कहा, “हड़ताली क्लर्कों ने मुझे बताया कि उनके साथ 1969 से भेदभाव किया जा रहा है. बीजेपी 2014 में ही सत्ता में आई थी. मैं सीएम से तभी बात कर सकता हूं जब मैं उनकी मांगों से संतुष्ट हो जाऊंगा.”


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‘1969 से भेदभाव’

ओएसडी यादव को सौंपे गए अदिनांकित ज्ञापन की एक प्रति साझा करते हुए, सीएडब्ल्यूएस प्रमुख तंवर ने दिप्रिंट को बताया कि विभिन्न विभागों में क्लर्क, बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एमपीएचडब्ल्यू), जूनियर बेसिक ट्रेनिंग (जेबीटी) शिक्षक, जूनियर इंजीनियर (जेई) और वन विभाग में डिप्टी रेंजर 1957 के पहले वेतन आयोग के बाद उन्हें वही शुरुआती मूल वेतन 60 रुपये मिला.

उस समय वर्तमान हरियाणा पंजाब का ही भाग था. हालांकि, 1969 में दूसरे वेतन पैनल की रिपोर्ट आने तक, हरियाणा 1966 में पंजाब से अलग होकर एक अलग राज्य बन गया था.

उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में, विभिन्न वेतन आयोगों के माध्यम से, शुरुआती वेतन के बीच असमानता बढ़ती रही, यहां तक कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों में क्लर्कों और एमपीएचडब्ल्यू को 5,200 रुपये के मूल शुरुआती वेतन पर रखा गया, जेबीटी शिक्षकों, जेई, और डिप्टी रेंजर प्रत्येक के लिए 9,300 रुपये थे.

उन्होंने कहा, 2016 में खट्टर के कार्यकाल के दौरान आई 7वें वेतन पैनल की सिफारिशों के बाद, क्लर्कों का मूल वेतन 19,900 रुपये था, एमपीएचडब्ल्यू को 35,400 रुपये के शुरुआती वेतन पर स्थानांतरित कर दिया गया, जो जेबीटी शिक्षकों, जेई और वन रेंजरों के लिए भी निर्धारित वेतन था.

(इस इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: अलमिना खातून)


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