चुड़ाचांदपुर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मणिपुर यात्रा से तीन दिन पहले चुड़ाचांदपुर के स्थानीय आदिवासी नेता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और संबित पात्रा से मिलने के लिए दो घंटे इंतजार करने के बाद शुक्रवार को जिला कलेक्टर कार्यालय से बाहर चले गए. राय और पात्रा दोनों भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मणिपुर की प्रभारी हैं.
राय और पात्रा कांगपोकपी में थे, जहां चुड़ाचांदपुर के आदिवासी नेताओं के अनुसार, उन्होंने उन घटनाओं पर चर्चा करने के लिए बैठकें कीं, जिन्होंने इस महीने की शुरुआत में जातीय हिंसा को जन्म दिया.
स्थानीय आदिवासी नेताओं का 20 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, जिसमें छह महिलाएं शामिल हैं, मणिपुर में पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अलग प्रशासन की मांग को लेकर दोपहर 2:30 बजे बैठक के लिए चुड़ाचांदपुर स्थित डीसी कार्यालय पहुंचे. बाहर निकलने से पहले उन्होंने दो घंटे से अधिक समय तक इंतजार किया. बैठक का स्थान, जो पहले 27 सेक्टर असम राइफल्स के एक शिविर में आयोजित किया जाना था, को अंतिम समय में डीसी कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया.
प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य गिन्ज़ा वुआलज़ोंग ने दिप्रिंट को बताया, “यह अनादर का इशारा है. इससे पता चलता है कि ये राजनेता हमारी चिंताओं के प्रति गंभीर नहीं हैं. वे जिस तरह से हमारे साथ बर्ताव कर रहे हैं, उससे हम खुश नहीं हैं.”
एक अन्य सदस्य, रोज नगैहते ने दोहराया कि बैठक दोपहर 2:30 बजे होनी थी. उन्होंने कहा, “वे लोगों को अंतहीन इंतजार नहीं करवा सकते.”
प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों ने कहा कि उनके पास भाग लेने के लिए राहत कार्य है और भाजपा के जूनियर नेताओं को अपना ज्ञापन सौंपने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. हालांकि, उन्होंने कहा कि वे शाह से मिलने के लिए इच्छुक हैं, जो 29 मई से राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर जाने के लिए तैयार हैं.
यह भी पढ़ें: मणिपुर की ताजा हिंसा के बाद बिष्णुपुर की महिलाओं ने सुरक्षा बलों का रास्ता रोका, बोलीं- मूक दर्शक है RAF
कुकी स्वयंसेवक घायल, मैतेइयों के घरों में आगज़नी
इस बीच, बिष्णुपुर-चुड़ाचांदपुर बॉर्डर से सटी बस्तियों से हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं. एक अस्थिर क्षेत्र, यह उन बस्तियों में से एक था जहां सबसे पहले मैतेइ और कुकी समुदाय के लोगों के बीच लड़ाई शुरू हुई थी.
स्थानीय आदिवासी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के चुड़ाचांदपुर डीसी कार्यालय से बाहर निकलने से कुछ ही देर पहले अपराह्न करीब 4 बजे बिष्णुपुर के क्वाकटा गांव और चुराचांदपुर के कंगवई गांव के बीच पड़ने वाले इलाके में गोलियां चलाई गईं. यह इलाका चुड़ाचांदपुर के तोरबंग से महज 2-3 किलोमीटर की दूरी पर है, जो संघर्ष शुरू होने के बाद से हिंसा का केंद्र रहा है.
कुकी ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि काली टी-शर्ट पहने पुरुषों ने – एक अंडरग्राऊंड मैतेइ समूह की संलिप्तता का संकेत देते हुए – कुकी समुदाय के लोगों के घरों पर गोलियां बरसाईं. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उनके साथ असम राइफल्स, भारतीय रिजर्व बटालियन, पुलिस कमांडो और ग्राम रक्षा बलों के सदस्य भी थे.
वहीं, लाइसेंसी हथियारों से लैस स्थानीय कुकी समुदाय के स्वयंसेवक जवाबी कार्रवाई में लगे हुए हैं. दो स्वयंसेवकों, जिनमें से एक को हाथ में और दूसरे को पैर में गोली लगी थी, को गोली लगने से घायल होने पर इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. दिन के समय में ममंग लीकाई गांव में कथित तौर पर कुकी समुदाय के लोगों ने मैतेइ समुदाय के लोगों के दो घरों में आग लगा दी.
(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: मैतेइ व्यक्ति की मौत के एक दिन बाद, मणिपुर के MP राजकुमार रंजन सिंह के घर पर उपद्रवियों ने किया हमला