कोलकाता: हाई कोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भारतीय सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में अनियमित भर्तियों के आरोपों की जांच शुरू करने का आदेश दिया.
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जय सेनगुप्ता ने कहा कि चूंकि, मामला राष्ट्रीय चिंता का है, इसलिए सीबीआई को तुरंत एफआईआर दर्ज़ करनी चाहिए और आरोपों की जांच शुरू करनी चाहिए.
हुगली जिले के निवासी याचिकाकर्ता बिष्णु चौधरी ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान, और भारतीय सेना की भर्ती में “भ्रष्ट प्रथाओं को अपनाने” के संबंध में 26 नवंबर, 2022 को कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित एक पत्र लिखा था.”
चौधरी ने बांग्ला में लिखे पत्र में कहा, “…अपराधियों का एक सक्रिय रैकेट है जो जिला मजिस्ट्रेट, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, नगर पालिका के अध्यक्ष, नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी और साथ ही पुलिस अधिकारियों द्वारा जारी किए गए अधिवास प्रमाण पत्र, एससी और ओबीसी प्रमाण पत्र जैसे जाली दस्तावेज़ बनाते थे.” दिप्रिंट के पास पत्र की एक प्रति मौजूद है.
दिप्रिंट से बात करते हुए चौधरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में भर्ती प्रक्रिया “थोड़ी ढीली” है क्योंकि यह एक सीमावर्ती राज्य है. बंगाल में, जब जिलेवार सीट आवंटन की बात आती है, तो छात्रों को उस जिले की प्रकृति के आधार पर समूहों में विभाजित किया जाता है, जहां से वे आते हैं — सीमा, सामान्य या नक्सली. जिलों के भीतर, जाति के आधार पर उनका कट-ऑफ अलग-अलग होता है.
चौधरी ने कहा, “चूंकि परीक्षाएं अंग्रेज़ी और हिंदी में आयोजित की जाती हैं, पश्चिम बंगाल में, जहां बंगाली भाषी आबादी है, कट-ऑफ लगभग 30-50 प्रतिशत है, जो उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की तुलना में कम है जहां कट-ऑफ 80 फीसदी के लगभग है. यह पश्चिम बंगाल को परीक्षा में बैठने का एक आसान विकल्प बनाता है.”
कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे अपने पत्र में चौधरी ने चरित्र और पूर्ववृत्त प्रमाण पत्र और अधिवास प्रमाण पत्र जैसे कथित रूप से जाली दस्तावेज संलग्न करने का दावा किया है. चौधरी ने कहा, “आधिकारिक मुहरों वाले जाली दस्तावेज़ के लिए अधिकारियों द्वारा उम्मीदवारों से 6-8 लाख रुपये की राशि ली गई थी.”
मामला सबसे पहले जस्टिस राजशेखर मंथा की बेंच के तहत सूचीबद्ध किया गया था. 13 जून, 2023 को मामले की सुनवाई करते हुए मंथा ने न केवल सीबीआई, भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय को मामले में पक्षकार बनाया, बल्कि पश्चिम बंगाल सीआईडी को भी रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया.
सीआईडी रिपोर्ट 27 जून को सीलबंद लिफाफे में न्यायाधीश के सामने पेश की गई, जिन्होंने सीबीआई को प्रारंभिक जांच का आदेश दिया. इसके बाद मामला न्यायमूर्ति सेनगुप्ता की पीठ के पास ट्रांसफर कर दिया गया, जिसने हाई कोर्ट में दायर पुलिस-संबंधित मामलों की सुनवाई शुरू की.
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‘सीबीआई विदेशी नागरिकों की भर्ती से इनकार नहीं कर रही’
बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुतियां देते हुए, सीबीआई ने अदालत से एक नियमित मामला (आरसी) दर्ज करने और जांच शुरू करने की अनुमति मांगी क्योंकि उन्हें शुरुआती जांच के दौरान अनियमित भर्तियों के कम से कम चार मामले सामने आए थे, जहां उत्तर भारतीय निवासियों ने सीआरपीएफ में नौकरी पाने के लिए जाली दस्तावेज़ का दुरुपयोग किया था.
हालांकि, सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि अभी तक उन्हें भारतीय सेना में अनियमित भर्ती का कोई मामला सामने नहीं आया है. हालांकि, यह केंद्रीय बलों में विदेशी नागरिकों की भर्ती से इनकार नहीं कर रहा है, जिसकी जांच की जानी चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है.
दिप्रिंट से बात करते हुए मामले में सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे डिप्टी सॉलिसिटर जनरल बिलवाडल भट्टाचार्य ने कहा, “(सीबीआई) ने आरोपों के संबंध में बैरकपुर के उप-विभागीय अधिकारी और विशेष शाखा, बैरकपुर में एक डीसीपी से पूछताछ की. उत्तर 24 परगना में चार मामलों में दस्तावेज़ जाली थे. सीबीआई के पास सीआईडी रिपोर्ट की कॉपी है जिसमें अनियमितताओं का ज़िक्र किया गया है. हम विदेशी नागरिकों की भर्ती से इनकार नहीं कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई सबूत नहीं मिला है. सीबीआई को सेना में कोई अनियमित भर्तियां भी नहीं मिली हैं, बाकी की जांच चल रही है.”
बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जिनके पास राज्य में गृह विभाग भी है, ने कहा कि अगर त्वरित जांच के लिए ऐसी जानकारी राज्य के साथ साझा की जाती है तो वे आभारी होंगी. उन्होंने कहा, “जब मुझे ऐसी जानकारी मिलती है तो मैं तुरंत जांच की मांग करता हूं. कुछ दिन पहले बीएसएफ अधिकारी की वेशभूषा में एक व्यक्ति ने हथियार के साथ मेरे आवास तक पहुंचने की कोशिश की. पुलिस को शुरू में लगा कि वह एक वरिष्ठ अधिकारी है, तभी पता चला कि उसका मकसद गलत था, लेकिन चूंकि इसकी जांच चल रही है, इसलिए मैं इसके बारे में नहीं बोलूंगी.”
उन्होंने कहा, “ऐसे लोग हमारे आसपास घूमते हैं. नागरिकों को जागरूक होना चाहिए. बंगाल में कोई भी घटना घटती है तो हमारी सरकार कड़ी कार्रवाई करती है. मेरा मानना है कि पुलिस स्वतंत्र रूप से काम करेगी. मुझे पुलिस को धमकाया जाना या खंड विकास अधिकारियों को धमकाया जाना पसंद नहीं है.”
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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