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Sunday, 22 December, 2024
होमदेश‘राजकीय खजाने पर बोझ’ — हिमाचल प्रदेश में बंद होंगे 18 सरकारी होटल, HC ने आदेश में क्या कहा

‘राजकीय खजाने पर बोझ’ — हिमाचल प्रदेश में बंद होंगे 18 सरकारी होटल, HC ने आदेश में क्या कहा

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 25 नवंबर से इन संपत्तियों को बंद करने का निर्देश दिया है क्योंकि मौजूदा संचालन वित्तीय रूप से अव्यवहारिक है और एचपीटीडीसी की वित्तीय स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है.

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शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के स्वामित्व वाले 56 होटलों में से 18 को बंद करने का आदेश दिया. इन होटलों को वित्तीय नुकसान के कारण बंद किया गया है. कोर्ट ने इन होटलों को राज्य के खजाने पर असहनीय बोझ माना है.

बंद किए जाने वाले होटलों में पैलेस होटल (चैल),द कैसल (नग्गर) शामिल हैं.

न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने आदेश में एचपीटीडीसी की इन संपत्तियों को लाभदायक बनाने में असमर्थता की आलोचना करते हुए कहा, “इन संपत्तियों का संचालन जारी रखना स्वाभाविक रूप से राज्य के खजाने पर बोझ के अलावा और कुछ नहीं है और कोर्ट इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान ले सकता है कि राज्य में वित्तीय संकट मौजूद है, जिसे राज्य द्वारा न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध वित्त से संबंधित मामलों में प्रतिदिन प्रचारित किया जा रहा है.”

कोर्ट ने इन संपत्तियों को 25 नवंबर से बंद करने का निर्देश दिया और इस बात पर जोर दिया कि संचालन जारी रखना वित्तीय रूप से अव्यवहारिक हैं. आदेश में कहा गया, “यह सुनिश्चित करने के लिए कि इन होटलों के रखरखाव में पर्यटन विकास निगम द्वारा सार्वजनिक संसाधनों को बर्बाद न किया जाए, यह आदेश दिया जाता है कि पर्यटन विकास निगम की निम्नलिखित संपत्तियों को तत्काल बंद कर दिया जाए…”

यह राज्य सरकार की संपत्तियों से संबंधित इस हफ्ते हाई कोर्ट का दूसरा बड़ा फैसला है. इसी पीठ ने सोमवार को हिमाचल सरकार द्वारा बकाया राशि का भुगतान न किए जाने पर सेली हाइड्रो प्रोजेक्ट मामले में नई दिल्ली में हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश दिया था.

बकाया भुगतान

न्यायमूर्ति गोयल ने एचपीटीडीसी के पूर्व कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभों के भुगतान में देरी पर भी ध्यान दिया, जिसके कारण जय कृष्ण मेहता नामक व्यक्ति ने निगम के खिलाफ याचिका दायर की थी. 31 अगस्त, 2024 तक सेवानिवृत्त कर्मचारियों को देय राशि 35 करोड़ रुपये से अधिक हो गई.

कोर्ट ने निगम को निर्देश दिया कि वह इन संपत्तियों के बंद होने से मुक्त संसाधनों का उपयोग करके सेवानिवृत्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और मृतक कर्मचारियों के परिवारों के लिए धन जारी करने को प्राथमिकता दे.

न्यायाधीश ने एचपीटीडीसी की वित्तीय स्थिति में सुधार करने में प्रगति की कमी पर भी गौर किया. एचपीटीडीसी के प्रबंध निदेशक द्वारा प्रस्तुत हलफनामों की समीक्षा करते हुए न्यायमूर्ति गोयल ने कहा, “कोर्ट ने सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया और 17 सितंबर, 2024 को एक विस्तृत आदेश पारित किया. कोर्ट ने प्रतिवादियों से पर्यटन विकास निगम के संसाधनों को बढ़ाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की उम्मीद की, लेकिन इस आदेश के लिखे जाने तक, पर्यटन विकास निगम द्वारा उक्त दिशा में एक छोटा सा कदम भी नहीं उठाया गया है.”

छूटे अवसर

अदालत ने निगम की अधिभोग दरों और परिचालन दक्षता में सुधार करने में विफलता पर भी ध्यान दिया. पिछली कार्यवाही के दौरान, यह नोट किया गया था कि सुधारात्मक उपाय न करने पर अदालत को खराब प्रदर्शन करने वाली संपत्तियों को बंद करने का आदेश देने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.

यह फैसला एचपीटीडीसी के भीतर वित्तीय अनुशासन और संसाधन अनुकूलन की तत्काल ज़रूरत को रेखांकित करता है, जिसने बढ़ते परिचालन घाटे के बीच होटलों के अपने व्यापक पोर्टफोलियो का प्रबंधन करने के लिए संघर्ष किया है.

शिमला स्थित पर्यटन क्षेत्र के विशेषज्ञ अक्षय सूद ने कहा, “चूंकि, सरकार अदालत के आदेश के निहितार्थों से जूझ रही है, इसलिए बंद होने से राज्य के पर्यटन क्षेत्र पर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जो सार्वजनिक और निजी आतिथ्य बुनियादी ढांचे पर बहुत अधिक निर्भर करता है.”

बंद होने की कगार पर खड़े होटल

बंद किए जाने वाले होटलों में पैलेस होटल (चैल), होटल गीतांजलि (डलहौजी), होटल बाघल (दारलाघाट); होटल धौलाधर, होटल कुणाल धर्मशाला और होटल कश्मीर हाउस (धर्मशाला); होटल एप्पल ब्लॉसम (फागू), होटल चंद्रभागा (केलांग), होटल देवदार (खजियार), होटल गिरिगंगा (खड़ापत्थर), होटल मेघदूत (कियारीघाट), होटल सरवन (कुल्लू); होटल लॉग हट्स, होटल हडिम्बा कॉटेज और होटल कुंजुम (मनाली); होटल लिहागसा (मैकलोडगंज), द कैसल (नग्गर) और होटल शिवालिक (परवाणू) शामिल हैं, जिन्हें सोमवार तक बंद कर दिया जाएगा.

पिछली सुनवाई में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) को बकाया भुगतान न करने वाले सरकारी विभागों और निजी संस्थाओं के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था.

अदालत को बताया गया कि वसूली के कुछ प्रयासों के परिणाम तो मिले हैं, लेकिन काफी बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया है. 7 नवंबर तक कुल 2 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जमा की जा चुकी थी, जिसमें सरकारी विभागों से वसूले गए 1.68 करोड़ रुपये और निजी संस्थाओं से वसूले गए 47 लाख रुपये शामिल थे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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