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Monday, 14 July, 2025
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ट्यूशन कक्षा छोड़ने पर डांटे जाने के बाद घर से भागे भाई-बहन हरिद्वार में ई-रिक्शा चालक के घर मिले

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(सौम्या शुक्ला)

नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) ट्यूशन कक्षा छोड़ने पर डांटे जाने से परेशान होकर दिल्ली स्थित अपने घर से भागे दो भाई-बहनों को हरिद्वार में ढूंढ लिया गया और उन्हें एक ई-रिक्शा चालक के घर से बचा लिया गया। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

ई-रिक्शा चालक के अनुसार, भाई-बहनों ने कहा कि वे अनाथ हैं और उन्हें मदद की जरूरत है, इसलिए उसने उन्हें अपने घर में रखा।

उन्होंने बताया कि 21 जून को सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 16 वर्षीय लड़की और उसका सात वर्षीय भाई ट्यूशन कक्षा छोड़ने पर डांटे जाने के बाद गुस्से में बाहरी दिल्ली के निहाल विहार इलाके में स्थित अपने घर से चले गए थे।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि उनके माता-पिता ने 22 और 23 जून की मध्य रात्रि करीब 1:30 बजे निहाल विहार पुलिस थाने में मामले की सूचना दी। उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 137(2) (अपहरण) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस उपायुक्त (बाहरी) सचिन शर्मा ने बताया, ‘शुरुआती जांच में बच्चों के घर के पास लगे सीसीटीवी फुटेज से कोई सुराग नहीं मिला। हालांक, बाद में टीम को बच्चों के एक ऑटोरिक्शा में सवार होने की तस्वीरें मिलीं, जो उनके बताए गए विवरण से मेल खाती थीं।’

ऑटो का पंजीकरण नंबर पापू नामक व्यक्ति के पास पाया गया, जिसने पुलिस को बताया कि उसने बच्चों को आईएसबीटी कश्मीरी गेट पर छोड़ा था और उनको अपना फोन नंबर भी दिया।

पप्पू ने बताया कि बच्चों को आईएसबीटी पर उतारते समय उसने अपना फोन नंबर दिया था और बस में चढ़ने के बाद उन्हें सूचित करने को कहा था।

डीसीपी ने कहा, ‘बच्चों ने हरिद्वार जाने वाली बस में सवार नितिन शर्मा नाम के एक व्यक्ति के फोन का इस्तेमाल ऑटो चालक को फोन करने के लिए किया।’

उन्होंने बताया कि संपर्क करने पर नितिन शर्मा ने पुलिस को बताया कि उन्होंने दोपहर 12:08 बजे रेवाड़ी डिपो से बस ली थी और दो बच्चों ने उनके फोन से कॉल किया था।

उन्होंने बताया कि ‘(नितिन) शर्मा ने बताया कि वह बस से आखिरी स्टॉप से पहले पर उतरे और बस अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गई।’

अधिकारी ने बताया कि बस के चालक और परिचालक का नाम पता कर लिया गया और उनकी जांच की गई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने पुष्टि की है कि रात 9:30 बजे दो बच्चे उनकी बस से उतरे थे।

डीसीपी ने बताया कि आश्रय स्थलों, अतिथि गृहों और धार्मिक स्थलों की जमीनी स्तर पर जांच करने के लिए एक और पुलिस दल हरिद्वार भेजा गया। शुरुआती रुकावटों के बावजूद हरिद्वार में लगे सीसीटीवी फुटेज में बच्चों को ई-रिक्शा में सवार होते देखा गया।

पुलिस ने ई-रिक्शा चालक की पहचान स्थानीय निवासी विक्की के रूप में की। उसने पुलिस को बताया कि बच्चे हरिद्वार बस स्टैंड पर उसके पास आए थे और दावा किया था कि वे अनाथ हैं और उन्हें मदद की जरूरत है।

डीसीपी ने कहा, ‘लंबी मशक्कत के बाद नाम, पता और फोन नंबर का पता लगा लिया गया।’

विक्की ने पुलिस को बताया कि भाई-बहनों ने उसे बताया कि उनके माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं और उन्होंने अनुरोध किया कि वह उनके लिए कुछ काम का प्रबंध कर दे।

इसलिए वह उन्हें अपने घर ले गया, जहां वह अपने बेटे और बेटी के साथ रहता था।

भाषा

शुभम माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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