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Monday, 6 May, 2024
होमदेशटूटे वेंटिलेटर, नशे में डॉक्टर, हिंसक गार्ड- कोटा के अस्पताल की भयावहता को ऐसे याद करते हैं पीड़ित परिवार

टूटे वेंटिलेटर, नशे में डॉक्टर, हिंसक गार्ड- कोटा के अस्पताल की भयावहता को ऐसे याद करते हैं पीड़ित परिवार

कोटा के जेके लोन अस्पताल में 110 बच्चों की मौत एक राजनीतिक मोड़ ले रही है और परिवारों में शोक की लहर दौड़ रही है वहीं पीडियाट्रिक्स हेड का कहना है कि कोई लापरवाही नहीं हुई.

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कोटा: राजस्थान के बूंदी जिले में प्रवेश करते हुए तीन किलोमीटर लंबे गढ्ढे भरे सड़क के बाद केशोराय पठान तहसील पड़ता है. यहां 1 दिसंबर से कोटा के जेके लोन मदर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल में 110 बच्चों में से एक बच्चा जोगिंदर(9) के परिवार का घर है.

जोगिंदर की मौत 23 दिसंबर को हो गई थी जिस दिन उसकी मां अनीता मीणा, पिता लाल बिहारी और चाचा लोकेश उसे अस्पताल लेकर आए थे और सांस में दिक्कत की बात कही थी.

लोकेश ने दिप्रिंट को बताया कि अस्पताल की उदासीनता के कारण जोगिंदर की मौत हो गई.

Anita Meena lost her 9-year-old son Joginder at JK Lon Mother and Child Hospital in Kota
अनीता मीणा जिसने अपने 9 वर्षीय बेटे जोगिंदर को खोया है | प्रवीण जैन/दिप्रिंट

उन्होंने कहा, ‘डॉक्टर ने उसे दो वेंटिलेटर पर रखने की कोशिश की लेकिन दोनों में से कोई काम नहीं कर रहा था और न ही ऑक्सीज़न था. ये कैसे हो सकता है?’

डॉक्टरों ने कहा, ‘जोगिंदर को इंटुब्यूट किया, लेकिन फिर पंपिंग डिवाइस को ऑपरेट करने के बाद परिवार को सौंपा.’ ‘नर्सों ने हमें पंप करते देखा लेकिन एक बार भी मदद करने नहीं आईं.’

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Joginder's father Nand Kishore at the family's home in Rajasthan's Bundi district
जोगिंदर के पिता नंद बिहारी राजस्थान के बूंदी स्थित अपने घर में | प्रवीण जैन/दिप्रिंट

अनीता ने कहा, ‘उस रात हीं जोगिंदर का निधन हो गया, जो उसके परिवार को परेशान कर रहा था. ‘अगर वेंटिलेटर काम कर रहे होते, तो मेरे बेटे को शायद बचाया जा सकता था.’

जेके लोन मदर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल में बच्चों की मौतों की श्रृंखला राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के नेताओं के बीच एक फ्लैशप्वाइंट बन गई है, चिकित्सा सुविधा के अधिकारी परिवारों के आरोपों को नकारते हैं कि उनके बच्चों की मौत चिकित्सा लापरवाही और दोषपूर्ण उपकरणों से हुई थी.


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जेके लोन मदर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक्स के प्रमुख एएल बैरवा ने दिप्रिंट को बताया कि लापरवाही के दावे ‘1 फीसदी भी सही नहीं थे और किसी भी बच्चे की मौत में दोषपूर्ण उपकरणों की कोई भूमिका नहीं थी.’

इस बीच, परिवार खुद को दु:ख के साथ संघर्ष करते हुए पाते हैं, प्रत्येक के पास अस्पताल के कर्मचारियों के दुर्व्यवहार और खराब स्थिति की अपनी-अपनी कहानियां हैं.

बच्चों की मौत पर हो रही राजनीति

कोटा के अस्पताल में बच्चों की हो रही मौत ने पूरे देश में हंगामा मचा दिया है और हर धड़े के राजनेता इसपर अपनी बात रख रहे हैं.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान, मौतों को नियमित रूप से खारिज कर रहे हैं और यह संकेत देते हैं कि 2019 में 963 बच्चों की मौत भाजपा के कार्यकाल के दौरान हुई मौतों की संख्या से कम है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो कि इसी तरह की स्थिति का सामना अपने गढ़ गोरखपुर में देख चुके हैं जहां 2017 में रातोंरात 30 बच्चों की मौत हो गई थी, उन्होंने कहा कि कोटा में हुई मौतें सभ्य समाज, मानवीय मूल्यों और भावनाओं पर एक धब्बा है.

आदित्यनाथ ने ट्वीट किया, ‘यह बेहद दुखद है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा महिला होने के बावजूद माताओं की व्यथा को समझ नहीं पा रही हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यूपी में राजनीति करने के बजाय प्रियंका ने अगर पीड़ित माताओं को सांत्वना दी होती तो बेहतर होता.’

इस बीच, बसपा प्रमुख मायावती ने गहलोत को बर्खास्त करने की मांग की, जिनके बयानों से उन्हें अपने ही डिप्टी और साथी कांग्रेस सदस्य सचिन पायलट से भी प्रतिशोध मिला है.

राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने शनिवार को अस्पताल का दौरा किया और कहा, ‘कोई संख्या दिखाकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता.’

उन्होंने कहा, ‘हमें ये बात नहीं करनी चाहिए कि पहले क्या हुआ. जो वर्तमान में हुआ है हमें उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए.’

लोकसभा अध्यक्ष और भाजपा नेता ओम बिरला और कोटा से सांसद ने भी पीड़ितों के घरवालों से शनिवार को मुलाकात की और कार्रवाई करने का वादा किया. दिप्रिंट से बात करते हुए बिरला ने कहा, ‘सभी परिवारों में एक सामान्य बात यह है कि सभी गरीब परिवारों से आते हैं.’


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उन्होंने कहा, ‘मैं इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करना चाहता. मेरा ध्यान केवल सुविधाओं को ठीक करना और लोगों की मदद करना है.’

शराबी डॉक्टर और हिंसक गार्ड

ओम बिरला आसिम हुसैन के घर गए जिसकी 13 वर्षीय बेटी की मौत 29 दिसंबर को हो गई थी.

आसिम कहते हैं, ‘उनकी बेटी जब वह पैदा हुई थी तब वह अस्वस्थ थी.’

इसके बावजूद, उन्होंने कहा, ‘डॉक्टरों ने 18 दिसंबर को प्रसव के दो दिन बाद उसकी पत्नी और बेटी को छुट्टी दे दी. उन्होंने कहा कि उनकी दलील, सभी बहरे कानों पर पड़ी.’

Lok Sabha Speaker Om Birla speaks to the family of Asim Hussain, whose 13-day-old daughter died at JK Lon hospital
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला आसिम हुसैन के परिवार वालों से मिलते हुए | प्रवीण जैन/दिप्रिंट

उन्होंने कहा, ‘जब हम घर वापस आए, तो मेरी बेटी बिल्कुल शांत थी, वह रो भी नहीं रही थी, कोई दूध नहीं ले रहा था और केवल पांच दिनों में एक बार मूत्र किया.’

‘जब हम फिर से अस्पताल गए, तब तक बहुत देर हो चुकी थी, वह पूरी तरह नीली पड़ चुकी थी. उन्होंने कहा, ‘मुझे उसका नाम भी नहीं मिला.’

असीम ने दावा किया कि अस्पताल के डॉक्टरों ने काफी कहने पर उसको देखा और काफी खराब तरह से व्यवहार किया.

उनके चचेरे भाई इरफान, जिनके कम-से-कम एक महीने के बेटे को मस्तिष्क संक्रमण के लिए जेके लोन में वेंटिलेटर पर रखा गया है, ने दावा किया कि डॉक्टर ने एक बार आईसीयू नशे में प्रवेश किया था.

‘डॉक्टर … यहां तक ​​कि सीधे खड़े भी नहीं हो सकते थे और शराब के नशे में थे. वह बहुत शोर कर रहा था और नवजात बच्चों और माताओं को परेशान कर रहा था. कुछ अन्य लोगों और खुद मैंने उसके खिलाफ शिकायत करने के लिए उसे पुलिस स्टेशन ले जाने की कोशिश की लेकिन वह भाग गया. हमने फिर भी उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.’

कोटा से पचास किलोमीटर दूर, बुद्धराज और गुंटाबाई, जो राजगढ़ में एक जीर्ण-शीर्ण घर में रहते हैं, ने जेके लोन गार्डों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया.

समय से पहले प्रसव होने के बाद युगल ने 22 दिसंबर को अपने बच्चे को खो दिया. हालांकि, सीज़ेरियन सेक्शन वाली गुंटाबाई ने अस्पताल में रहना जारी रखा क्योंकि उसके टांके अभी ठीक नहीं हुए थे.


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27 दिसंबर को, दंपति ने कहा, ‘वे पानी और चाय लेने के लिए बाहर गए थे लेकिन उन्हें वापस जाने की अनुमति नहीं थी. उन्होंने कहा कि गार्ड, ने उन्हें बाहर निकलने के लिए कहा. बुद्धराज के अनुसार, ‘जब हमने इस बात पर आपत्ति जताई तब गार्ड ने मुझे और मेरी पत्नी दोनों को मारा.’

‘गार्ड ने मुझे पेट पर मारा और मेरी पत्नी को थप्पड़ मारा और फिर डॉक्टर को उसे जहर के साथ इंजेक्शन लगाने की धमकी दी. मैं डर गया और अगली सुबह भाग गया. मेरे पास मेरी बेटी की कोई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं है और टीकाकरण कार्ड अस्पताल के पास है.’

गुंटाबाई के टांके अभी भी ठीक होना बाकी हैं.

A child admitted at Kota's JK Lon Mother and Child Hospital
जेके लोन अस्पताल में वेंटिलेटर पर बच्चा | प्रवीण जैन/दिप्रिंट

निराशा का एक गहरा बादल परिवार वालों पर मंडरा रहा है और साथ हीं उनके बच्चों की मौत पूरे देश के लोगों के दिलों पर असर डाल रही है.

असीम ने कहा, ‘मैं महीने में 215 रुपये कमाता हूं, मैं क्या कर सकता हूं? कौन मेरी बात सुनेगा?. ‘कोई भी गरीबों की नहीं सुनता, लेकिन जब कोई अपराध होता है, तो सभी की निगाहें हमारी ओर मुड़ जाती हैं.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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