मुंबई: मुंबई की झुग्गी बस्ती में रहने वाले 50 वर्षीय ऑटो-रिक्शा चालक लक्ष्मण गुप्ता ने गुरुवार सुबह 10 बजे करीब 15 सालों में पहली बार किसी सिनेमाघर में कदम रखा था. कुशन वाली सीटें और अत्याधुनिक साउंड क्वालिटी वाले वातानुकूलित थिएटर में बैठने का यह उनका पहला अनुभव था.
गुप्ता पश्चिमी मुंबई उपनगर सांताक्रूज के गोल्ड सिनेमा में 319 अन्य लोगों के साथ द कश्मीर फाइल्स देख रहे थे, जिनके टिकट की व्यवस्था भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पार्षद रेणु हंसराज ने की थी.
गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘पूरी फिल्म के दौरान एकदम पिन-ड्रॉप साइलेंस था. जैसे ही पिक्चर खत्म हुई, लोग क्रोधित और आक्रामक दिखाई दिए.’
गुप्ता ने कहा कि दर्शकों ने ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए, वहीं, कुछ लोगों ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भी नारे लगाए. कुछ लोगों के आंसू छलके तो कई अन्य ने तिरंगा फहराया. गुप्ता लगभग 50 अन्य ऑटो-रिक्शा चालकों के साथ-साथ अपने 24 वर्षीय बेटे को भी लेकर सिनेमा हॉल आए थे.
हंसराज की तरह पूरे महाराष्ट्र में भाजपा के कई नेता पूरे-पूरे सिनेमाघरों की बुकिंग करा रहे हैं, शो स्पांसर कर रहे हैं और भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अपने वार्ड और निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों को 1990 के दशक में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन वाली फिल्म द कश्मीर फाइल्स देखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
उन सभी का एक सुर में यही कहना है कि युवाओं को ‘कश्मीर का सच’ जानने की जरूरत है, और गुप्ता जैसे जो लोग फिल्म देखने का खर्च नहीं उठा सकते, ‘खासकर उन तक इसकी पहुंच होनी चाहिए.’
पिछले हफ्ते राज्य विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा की तरफ से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को एक ज्ञापन सौंपा गया था, जिस पर पार्टी के 92 विधायकों ने हस्ताक्षर थे. इस ज्ञापन में 11 मार्च को रिलीज द कश्मीर फाइल्स को कर-मुक्त करने का आग्रह किया गया था.
इस दौरान राज्य के वित्त मंत्री अजीत पवार ने कहा कि केंद्र को इस पर माल और सेवा कर (जीएसटी) माफ कर देना चाहिए, जिसके बाद भाजपा विधायकों ने सदन से वाकआउट किया.
भाजपा कार्यकर्ता और मुंबई में सेवा सारथी ऑटोरिक्शा टैक्सी एंड ट्रांसपोर्ट यूनियन के उपाध्यक्ष गुप्ता ने कहा, ‘यह फिल्म बहुत पहले ही रिलीज होनी चाहिए थी, लेकिन अगर मोदीजी नहीं होते तो इसे सेंसर बोर्ड की मंजूरी कभी नहीं मिलती.’
‘लोग अनुच्छेद 370 खत्म करने की अहमियत समझ रहे हैं’
मुंबई के अंधेरी वेस्ट के भाजपा विधायक अमित साटम ने रविवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र के फन रिपब्लिक थिएटर में फिल्म के दो पूरे शो यानी कुल 400 टिकट बुक कराए थे.
साटम ने दिप्रिंट को बताया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के एक नागरिक केतन कनकिया ने टिकटों को स्पांसर किया था. उन्होंने कहा, ‘हमने अपने बूथ प्रमुखों, पदाधिकारियों को टिकट बांटे. मैंने सोचा कि हमारे कार्यकर्ताओं, खासकर युवाओं को कश्मीर के बारे में सही तथ्यों को जानना चाहिए.’
हंसराज की तरफ से फ्री स्क्रीनिंग के लिए श्रृंगार फिल्म्स के श्याम श्रॉफ ने स्पांसर किया था.
हंसराज ने कहा, ‘हमने जिन लोगों को ये फिल्म दिखाई उनमें झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों से लेकर हमारे कार्यकर्ताओं तक, और जुहू और विले पार्ले जैसे समृद्ध इलाकों में रहने वाले लोग भी शामिल थे. माहौल एकदम भावनात्मक हो गया था. हम सब अभिभूत थे. हर कोई एक ही बात कह रहा था कि तथ्यों को कैसे छिपाया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है. लोग अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने का औचित्य समझने की कोशिश कर रहे थे.’ उनकी योजना इस तरह ही और लोगों के लिए भी फ्री स्क्रीनिंग की व्यवस्था करने की है.
एक नेता ने 10 शो बुक कराए, दूसरे ने स्टूडेंट डिस्काउंट दिलाया
‘सभी को यह देखना चाहिए कि कश्मीर में 1990 के दशक में क्या हुआ था, वह खूनी सच्चाई जिसने हिंदुओं की पहचान ही मिटा दी, हिंदुओं को क्या-क्या नहीं झेलना पड़ा, और हिंदू महिलाओं पर क्या बीती…’
यह महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में व्हाट्सएप पर सर्कुलेट किया गया एक मैसेज था, जिसमें उन लोगों के लिए द कश्मीर फाइल्स के मुफ्त शो का इंतजाम करने की बात कही गई थी जो मूवी टिकट नहीं खरीद सकते.
श्रीवर्धन फाउंडेशन नामक एक धर्मार्थ संगठन के बैनर तले मुफ्त शो की व्यवस्था किए जाने के पीछे औरंगाबाद के भाजपा नेता शिरीष बोरालकर हैं, जिन्होंने रविवार, सोमवार और मंगलवार के लिए शहर के चार सिनेमाघरों में 10 शो बुक कराए हैं.
बोरालकर ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘बहुत सारे युवा और अन्य लोगों ने मुझे फोन किया और मल्टीप्लेक्स में टिकट महंगे होने की बात कही. वे कहते हैं कि हम फिल्म देखना चाहते हैं, आप कैसे मदद कर सकते हैं. 1990 में मैं 23-24 साल का था, लेकिन मुझे इस बात की ठीक से जानकारी नहीं थी कि कश्मीर में वास्तव में क्या हुआ था. मैंने सोचा कि लोगों को इस इतिहास, लोगों के साथ हुए अन्याय के बारे में जानना चाहिए.’
बोरालकर ने कहा, ‘करीब 3,500 लोगों ने मुफ्त फिल्म दिखाने के लिए पंजीकरण के लिए हमसे संपर्क किया है, लेकिन हम अपनी ओर से जांच कर रहे हैं और उन लोगों को वरीयता दे रहे हैं जो वास्तव में टिकट नहीं खरीद सकते. हम कम से कम 1600-1700 लोगों के लिए फ्री स्क्रीनिंग की व्यवस्था करेंगे.’
अगले सप्ताहांत में उनकी औरंगाबाद जिले के औद्योगिक क्षेत्र वालुज में फिल्म की और फ्री स्क्रीनिंग की व्यवस्था करने की योजना है.
इस बीच, भाजपा विधायक नितेश राणे कॉलेज छात्रों को फिल्म टिकट पर सब्सिडी दिला रहे हैं.
राणे ने पिछले हफ्ते एक बयान में कहा था कि सोमवार से कॉलेज के छात्र सिंधुदुर्ग जिले के कंकावली स्थित ‘लक्ष्मी थिएटर’ में द कश्मीर फाइल्स के सुबह 9 बजे और दोपहर 12 बजे के शो सिर्फ 100 रुपये में देख सकते हैं.
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