मुंबई, 26 फरवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने लवासा हिल स्टेशन परियोजना के लिए दी गई अनुमति पर कोई आदेश पारित करने से शनिवार को इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि सरकारी तंत्र पर राकांपा प्रमुख शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले के प्रभाव व दबदबे के कारण इसका विकास हुआ।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने अधिवक्ता नानासाहेब जाधव द्वारा दायर एक जनहित याचिका का निपटारा किया, जिसमें लवासा के विकास के लिए विकास आयुक्त (उद्योग) द्वारा दी गई विशेष अनुमति को अमान्य, मनमानी, अनुचित और राजनीतिक पक्षपात पर आधारित घोषित करने की अपील की गई थी।
अदालत ने अपने आदेश में लवासा हिल स्टेशन परियोजना को ”शरद पवार के दिमाग की उपज” बताया।
अदालत ने आदेश में कहा, ”याचिकाकर्ता की याचिका का मूल बिंदु यह है कि पवार परिवार के सदस्य अपनी राजनीतिक स्थिति के कारण बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली लोग हैं और सरकारी तंत्र पर उनके राजनीतिक प्रभाव व दबदबे के इस्तेमाल से लवासा हिल स्टेशन परियोजना का विकास हुआ।”
जनहित याचिका में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार, उनकी बेटी व लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले और शरद के भतीजे व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को प्रतिवादी के रूप में नामजद किया गया था। हालांकि, जवाब में केवल अजीत पवार ने हलफनामा दाखिल किया।
जनहित याचिका में निजी हिल स्टेशन लवासा के लिए जमीन खरीदने के मकसद से लेक सिटी कॉरपोरेशन को दी गई विशेष अनुमति को रद्द करने की मांग की गई थी।
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जोहेब माधव
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