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Friday, 22 November, 2024
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कमलनाथ सरकार के नसबंदी के फरमान पर बीजेपी का जवाब- क्यों न मुस्लिम इलाके से हो इसकी शुरुआत

सरकार ने कर्मचारियों के लिए हर महीने 5 से 10 पुरुषों के नसंबदी आपरेशन करना अनिवार्य किया था. आदेश में कहा है कि अगर कोई ऐसा नहीं करता है तो वह अपना वेतन भूल जाए. विवाद के बाद सरकार ने फैसला वापस ले लिया.

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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश की कांग्रेस शासित कमलनाथ सरकार ने ‘पुरुषों की नसबंदी’ को लेकर एक फरमान जारी किया है. राज्य सरकार ने सभी कर्मचारियों के लिए हर महीने 5 से 10 पुरुषों के नसंबदी आपरेशन करना अनिवार्य किया है. यही नहीं अपने फरमान में सरकार पुरुष मल्टी पर्पस हेल्थ वर्कर को कहा, वह स्वास्थ्य कर्मचारी जो वर्ष 2019-2020 में नसबंदी कार्यक्रम के अतंर्गत एक भी पुरुष नहीं जुटा पाता है वह अपना वेतन भूल जाएं, सरकार उनका वेतन भी  वापस लेगी साथ ही उन्हें अनिवार्य सेवानिवृ​त्ति भी देगी.

राज्य सरकार में स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने दिप्रिंट को बताया कि इस निर्देश को हमने वापस ले लिया है. सरकार ने इस आदेश को जारी करने वाली निदेशक छवि भारद्वाज का भी तबादला कर दिया है. छवि को राज्य सचिवालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी पद पर भेज दिया गया है.

इस मामले में राज्य के जनसंपर्क मंत्री ने कहा, यह एक नियमित आदेश है. इस तरह के निर्देश भाजपा सरकार के समय भी दिए जाते थे. इन दिनों लोगों में यह जागरुकता बढ़ रही है कि छोटा परिवार सुखी परिवार. किसी भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता पर दबाव नहीं बनाया जाएगा.

पुरुषों के बांध्याकरण (नसबंदी) को लेकर सरकार द्वारा जारी फरमान के बाद राजनीति तेज हो गई है. इस मामले में भारतीय जनता पार्टी ने कमलनाथ सरकार को घेरा है. प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता और पूर्व सांसद प्रो.चिंतामणि मालवीय ने दि​प्रिंट से कहा, ‘कमलनाथ सरकार अगर नसबंदी के प्रति वाकई गंभीर है तो उसे यह शुरुआत मुस्लिम क्षेत्रों में अभियान चलाकर करनी चाहिए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कर्मचारियों को भय दिखाना और दोहन करना ब्लेकमेल करने की श्रेणी में आता है. उनको नौकरी का भय दिखाकर प्रदेश सरकार केवल हिंदूओं की नसबंदी करवानी चाहती है.

भोपाल से भाजपा के पूर्व सांसद आलोक संजर ने कहा, ‘प्रदेश सरकार का काम है इस मामले में जनजागृति करवाएं. यह काम लोगों पर थोपा नहीं जा सकता है.’

‘अगर कर्मचारियों पर दबाव बनाया जाएगा तो ऐसी स्थिति में अपनी नौकरी और तनख्वाह बचाने के लिए ऐसे लोगों की नसबंदी कर देंगे जैसा की पहले के इमरजेंसी के दौरान किया गया था.’

उन्होंने कहा, ‘ऐसे काम टारगेट तय कर नहीं किए जा सकते.

 

वहीं इस मामले में प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने इमरजेंसी के दौर को याद किया है और कहा है कि क्या यह इमरजेंसी पार्ट-2 है. शिवराज ने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल है. क्या ये कांग्रेस का इमर्जेंसी पार्ट-2 है? एमपीएचडब्ल्यू के प्रयास में कमी हो, तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है.’

मध्यप्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्धाज द्वारा 11 फरवरी को जारी ​निर्देश में कहा गया है,’ एनएफएचएस-4 के प्रतिवेदन के अनुसार प्रदेश में केवल मात्र 0.5 प्रतिशत पुरुषों द्वारा ही नसबंदी अपनाई जा रही है.’

मध्यप्रदेश की राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक ने राज्य के सभी संभागीय आयुक्त, क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं, कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा है,’ जिले के समस्त एम.पी.डब्ल्यू द्वारा न्यूनतम 5 से 10 पुरुष नसबंदी के इच्छुक हितग्राहियों को मोबिलाईजेशन निर्धारित पुरुष नसबंदी स्थाई सेवा दिवस—केंद्रों पर सुनिश्चित किया जाए.’

आगे लिखा गया है, राज्य के ऐसे सभी एम.पी.डब्यू को चिन्हिृत किया जाए जिनके द्वारा वित्तीय वर्ष 2019—20 में एक भी पात्र पुरुष नसबंदी हितग्राही का मोबिलाईजेशन नहीं किया गया हो. ऐसे में ‘शून्य वर्क—आउटपुट’ को देखते हुए ‘नो वर्क नो पे’ के आधार पर इन सभी के वेतन पर रोक लगा दी जाए.

सरकार ने यह भी निर्देशित किया है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है तो सभी जिलों में कलेक्टर एनएचएम के मुख्यालय में एम.पी.डब्यू की अनिवार्य ​सेवानिवृत्ति की सिफारिश भेजे. यहां से आगे की कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य ​निदेशालय भेजा जाएगा. साथ ही अगले महीने 2019—20 में एक भी पुरुष नसबंदी नहीं करने वाले के खिलाफ सख्ती से कदम भी उठाए जाएं.

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