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Saturday, 21 December, 2024
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भाजपा बोली- सपा-बसपा गठबंधन असैद्धांतिक था, इसे टूटना ही था

भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के लोगों ने इस गठबंधन को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और इसका नतीजा है कि इसका पतन हुआ है.

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नई दिल्लीः मायावती द्वारा आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव अकेले लड़ने के फैसले के बाद भाजपा ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में ‘अप्रत्याशित’ सपा-बसपा गठबंधन टूटना तय था क्योंकि इसे लोगों ने खारिज कर दिया है.

भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने एएनआई से बातचीत में कहा कि ‘एसपी-बीएसपी एक गैर-सैद्धांतिक गठबंधन है. उत्तर प्रदेश के लोगों ने इस गठबंधन को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और इसका नतीजा है कि इसका पतन हुआ है.’ उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए राज्य में ‘महागठबंधन’ का गठन किया गया था. उन्होंने कहा, ‘यह सुविधा और मजबूरी का गठबंधन था जिसे मोदी जी को फिर से पीएम बनने से रोकने के लिए तैयार किया गया था.’


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उपचुनावों में मायावती के अकेले जाने के फैसले को ‘प्रेडिक्टेबल ‘ बताते हुए राव ने कहा, ‘यह घोषणा ऐसी है जिसकी हमने महीनों पहले भविष्यवाणी की थी. पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में कहा था कि यह सुविधा का गठबंधन है. यह आत्मकेंद्रित गठबंधन है.’

बता दें कि इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने कहा था उनके सहयोगी समाजवादी पार्टी के वोट आधार ने लोकसभा चुनावों में गठबंधन का समर्थन नहीं किया और उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों के लिए अकेले उपचुनाव लड़ने के अपने फैसले की घोषणा कर दी.

हालांकि, उन्होंने कहा कि यह अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ उनके गठबंधन का ‘स्थायी विराम’ नहीं है.
मंगलवार को एएनआई से बात करते हुए, मायावती ने कहा, ‘यह एक स्थायी ब्रेक नहीं है. अगर हमें लगता है कि भविष्य में सपा प्रमुख अपने राजनीतिक काम में सफल होते हैं, तो हम फिर से एक साथ काम करेंगे. लेकिन अगर वह सफल नहीं होते हैं, तो हमारे लिए अलग-अलग काम करना अच्छा होगा. इसलिए हमने अकेले उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है.’

वहीं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है, ‘हम राजनीतिक मजबूरियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते. यूपी में लोकसभा चुनाव के नतीजों में, समाजवादी पार्टी का आधार वोट, यादव समुदाय ने पार्टी का समर्थन नहीं किया. यहां तक कि सपा के मजबूत दावेदारों को भी हार मिली.’

बसपा और सपा ने अपने दशकों पुराने दुश्मनी को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में गठबंधन बनाने के लिए किनारे किया था. बसपा ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा और सपा ने 37 पर, जबकि आरएलडी, एक कनिष्ठ सहयोगी, राज्य में तीन संसदीय क्षेत्रों पर चुनाव लड़ी थी. बीएसपी ने 10 और एसपी ने 5 सीटें जीती हैं वहीं आरएलडी एक भी सीट नहीं जीत सकी.

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