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Thursday, 19 December, 2024
होमदेशबीजेपी के पुराने नेताओं ने मप्र उपचुनावों से पहले सिंधिया पर कसा तंज कहा- ‘हम विस्थापित कश्मीरी पंडितों की तरह हैं’

बीजेपी के पुराने नेताओं ने मप्र उपचुनावों से पहले सिंधिया पर कसा तंज कहा- ‘हम विस्थापित कश्मीरी पंडितों की तरह हैं’

सिंधिया पिछले महीने में इंदौर और ग्वालियर क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने इंदौर में बीजेपी नेताओं को लुभाने में मुख्य भूमिका निभाई है.

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नई दिल्ली: भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की पार्टी के नेताओं तक पहुंचने की कोशिशों ने मुश्किलों को बढ़ा दिया है. पार्टी के पुराने के नेताओं के एक वर्ग में पूर्व कांग्रेसी और उनके 22 समर्थकों के शामिल होने पर नाराजगी जताई है.

सिंधिया राज्य का दौरा कर रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश में 24 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. कांग्रेस के पूर्व 22 विधायक चुनाव मैदान में हैं. हालांकि, अभी तारीखों की घोषणा की जानी बाकी है, लेकिन सिंधिया की साख दांव पर अधिक है क्योंकि कोई भी सेटबैक भाजपा में उनकी संभावनाओं को प्रभावित करेगा.

इस प्रकार, सिंधिया पिछले महीने में इंदौर और ग्वालियर क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने इंदौर में बीजेपी नेताओं को लुभाने में मुख्य भूमिका निभाई है, जैसा कि दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था. लेकिन यह कहानी ग्वालियर में पूरी तरह से अलग है जहां कभी पार्टी कैडर उनका विरोध करता था.


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ग्वालियर में पुरानी सतह

सिंधिया पिछले सप्ताह केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ ग्वालियर में थे. ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में 24 में से 16 सीटें आती हैं, जहां सिंधिया का भारी दबदबा है.

लेकिन सोशल मीडिया पर कार्य की व्यापकता का पता चला. पूर्व सांसद और एक लंबे समय के प्रतिद्वंद्वी जयभान सिंह पवैया ने सिंधिया पर एक ट्वीट किया, उसी समय सिंधिया ग्वालियर शहर में थे. पवैया एक प्रसिद्ध सिंधिया आलोचक हैं और ज्योतिरादित्य और उनके पिता माधवराव सिंधिया दोनों के खिलाफ संसदीय चुनाव लड़ चुके हैं.

उन्होंने ट्वीट किया, सांप के दो जीभ होती हैं और आदमी के एक , सोभाग्य से हम तो मनुष्य हैं न. राजनीति में वक्त के साथ दोस्त और दुश्मन तो बदल सक्ते हैं मगर जो सेद्धान्तिक़ मुद्दे मेरे लिए कल थे वे आज भी हैं. जय श्री राम.

पवैया चुनाव अभियान समिति के सदस्य हैं, जिसे भाजपा ने 22 उम्मीदवारों की मदद के लिए बनाया है, लेकिन राज्य इकाई के सूत्रों ने उनके ट्वीट को देखते हुए कहा शायद ही उन्होंने प्रचार किया है.

आक्रोश इस तथ्य से उपजा कि भाजपा के पुराने नेताओं के राजनीतिक करियर को संकट में डालते हुए 22 कांग्रेसियों को मैदान में उतारना पड़ा है.

मिसाल के तौर पर, पवैया को अब सिंधिया निष्ठावान नेता प्रद्युम्न सिंह तोमर के लिए प्रचार करना है, जो राज्य के ऊर्जा मंत्री हैं. तोमर ने 2018 के विधानसभा चुनावों में पवैया को हराया था, तब वह मध्य प्रदेश के तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में उच्च शिक्षा मंत्री थे. तोमर ने भी एक बार पवैया को ‘मेकअप मंत्री’ कहा था, क्योंकि उनके पोशाक हमेशा जूते से मेल खाते थे.

ग्वालियर ग्रामीण से तोमर के साथ, पवैया को सिंधिया के साथ बैठक के लिए बुलाया गया था, लेकिन सूत्रों ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आग्रह पर केवल अंतिम समय पर गए.

मुख्यमंत्री भी कोई मौका नहीं ले रहे हैं क्योंकि उनकी सरकार उपचुनावों बची है. चौहान और बीजेपी आलाकमान ने पहले ही प्रभात झा, माया सिंह और गौरी शंकर शेजवार जैसे सिंधिया आलोचकों को विद्रोहियों के खिलाफ प्रचार के लिए मनाने में कामयाबी हासिल कर ली है, लेकिन प्रतिरोध बना हुआ है.

हालांकि, सिंधिया निष्ठावान लोगों का कहना है कि उन्हें जीतने के लिए वास्तव में भाजपा के नेताओं को भी साथ लेने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन वे उन्हें विरोधी भी नहीं बनाना चाहते हैं.

‘इंदौर क्षेत्र में, सिंधिया अपने समर्थकों की जीत सुनिश्चित करने के लिए कैलाश विजयवर्गीय, सुमित्रा महाजन और अन्य भाजपा नेताओं पर निर्भर हैं. ग्वालियर में, उनके अधिकांश विधायकों की जीत सुनिश्चित करने के लिए उनका काफी प्रभाव है, लेकिन उठापटक को कम करने के लिए, वह भाजपा नेताओं के पास पहुंच रहे हैं.

सिंधिया के लॉयलिस्ट ने कहा, हालांकि इस क्षेत्र में, वह इस समय एक अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं. ‘महाराज’ को प्रचार करने की ज़रूरत नहीं है. लेकिन वह पार्टी में नए हैं और बीजेपी आलाकमान का विश्वास जीतने के लिए उन्हें अपना दमखम दिखाना होगा.

प्रतिरोध बना हुआ है

अन्य भाजपा नेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपनी भावनाओं को स्पष्ट किया है. भाजपा के पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी, हाटपिपलिया निर्वाचन क्षेत्र में सिंधिया के वफादार मनोज चौधरी के लिए चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं.

पूर्व मंत्री दीपक, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार चौधरी से हार गए थे. वह भाजपा की चुनाव समिति के सदस्य भी हैं.

दीपक ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारी स्थिति कश्मीरी पंडितों की तरह है, जो अपने देश में विस्थापित हो चुके हैं. हम अपनी ही पार्टी में विस्थापित हो गए हैं. एक नई दुल्हन का स्वागत बहुत ऊर्जा के साथ किया जा रहा है लेकिन समारोहों में, एक पुरानी दुल्हन को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. मैं सीएम और पार्टी अध्यक्ष से मिला हूं लेकिन हमारी चिंताओं का समाधान नहीं किया गया है. हमारा गौरव और भविष्य दांव पर है.’

उन्होंने कहा, ‘भाजपा के कई पूर्व विधायक नजरअंदाज महसूस कर रहे हैं.’ आलाकमान ने कुछ आश्वासन दिए हैं लेकिन उनके दिल में अभी भी कई घाव हैं.’

हालांकि , भाजपा उपाध्यक्ष प्रभात झा ने कहा, ‘अधिकांश कार्यकर्ता जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. यदि कुछ में कोई नाराजगी है, तो पार्टी उनके संपर्क में रहेगी.’

उन्होंने कहा कि उपचुनाव की घोषणा होते ही हर कोई जीत के लिए काम करेगा. भाजपा सरकार को सत्ता में बनाए रखने के लिए हर किसी को समझने की जरूरत है, तभी उनकी शिकायतों को समायोजित किया जाएगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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