नई दिल्ली: मणिपुर के इंफाल में हिंसा के एक नए दौर में, बुधवार को पुलिसकर्मियों सहित 60 से अधिक लोग घायल हो गए, क्योंकि घाटी से दो युवाओं के कथित अपहरण और हत्या के मामले में पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ प्रदर्शन कर रही भीड़ हिंसक हो गई.
छात्रों सहित भीड़ ने कथित तौर पर एक पुलिसकर्मी पर हमला किया और हथियार छीन लिए, साथ ही सरकारी कार्यालयों और एक राजनीतिक नेता के घर पर हमला किया, एक पुलिस जिप्सी को आग लगा दी और बैरिकेड्स भी तोड़ दिए. इससे राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति और खराब हो गई है, जहां मई की शुरुआत से आदिवासी कुकी और गैर-आदिवासी मैतेई समुदायों के बीच जातीय झड़पें देखी जा रही हैं.
एक खुफिया सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, “राज्य में विभिन्न प्रकार के हिंसक आंदोलन किए जा रहे हैं, जिनमें प्रदर्शन और रैलियां शामिल हैं. भीड़ ने थौबल में भाजपा कार्यालय को आग लगाने की कोशिश की, पेट्रोल बमों का उपयोग करके पुलिस चौकियों पर हमला किया, इंफाल में डीसी (उपायुक्त) कार्यालय को आग लगाने की कोशिश की, पथराव किया और कर्मियों पर हमला करने के लिए गुलेल का इस्तेमाल भी किया.”
हिंसा के बाद, घाटी में कर्फ्यू, जिसमें पहले ढील दी गई थी, फिर से लागू कर दिया गया और लगभग पांच महीने बाद शनिवार को बहाल की गई मोबाइल डेटा सेवाओं को एक बार फिर पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “घाटी में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किए गए और, जैसे ही वे हिंसक हो गए, सुरक्षा बलों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए न्यूनतम बल का इस्तेमाल किया. हालांकि, अनियंत्रित भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और इसलिए आंसू गैस के गोले दागकर उन्हें पीछे हटाना पड़ा.”
पुलिस ने कहा कि भीड़ ने “सुरक्षा बलों के खिलाफ लोहे के सामान और पत्थरों” का इस्तेमाल किया.
अधिकारी ने आगे कहा, “भीड़ बेहद हिंसक थी. मणिपुर पुलिस इस तरह की कार्रवाई की निंदा करती है और ऐसे उपद्रवियों से निपटने के लिए सख्त कदम उठाएगी. हथियारों की बरामदगी और बदमाशों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.”
सूत्रों ने बताया कि मणिपुर पुलिस ने “उपद्रवियों” के खिलाफ कई मामले दर्ज किए हैं और चोरी किए गए हथियारों की बरामदगी के लिए छापेमारी की है.
मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट बहाल होने के कुछ दिनों बाद, दो मैतेई छात्रों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आईं, जो 6 जुलाई को ट्यूशन कक्षाओं के लिए जाने के बहाने अपने घर से निकलने के बाद लापता हो गए थे.
तस्वीरों में दो छात्रों को एक सशस्त्र समूह के अस्थायी जंगल शिविर के घास वाले परिसर में बैठे हुए दिखाया गया है. उनके पीछे दो आदमी बंदूकें लेकर खड़े हैं. अगली फोटो में उनके शव जमीन पर गिरे हुए नजर आ रहे हैं.
उनके लापता होने के तुरंत बाद, 19 वर्षीय हेमनजीत विएटिमबॉय और 17 वर्षीय लड़की के परिवारों ने कई बार पुलिस से संपर्क किया और साथ ही खुद भी सुराग की तलाश की. हालांकि, हर बार दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था कि पुलिस ने उन्हें “स्थिति सामान्य होने” का इंतज़ार करने के लिए कहकर लौटा दिया.
उनकी तस्वीरें वायरल होने के तुरंत बाद, मणिपुर सरकार ने कहा कि मामला पहले ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया है और जांच जारी है.
सूत्रों ने बताया कि उक्त मामले में जांच की “निगरानी” करने के लिए एक विशेष निदेशक, एक संयुक्त निदेशक और चार अन्य सहित सीबीआई के छह वरिष्ठ अधिकारियों की एक अतिरिक्त टीम को मणिपुर भेजा गया था.
हालांकि, इस मामले ने विवाद को जन्म दे दिया है, इंफाल में मैतेई ने पुलिस पर कुकियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है और किशोरों के परिवारों के लिए न्याय की मांग की है.
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कानून-व्यवस्था बिगड़ने से जांच प्रभावित हो रही है
इससे पहले 21 सितंबर की एक घटना में, पांच मैइतियों की गिरफ्तारी के विरोध में इंफाल घाटी के पांच जिलों के पुलिस स्टेशनों के बाहर लाठियों और गुलेल से लैस स्थानीय लोगों की एक बड़ी भीड़ इकट्ठा हुई थी, जो कथित तौर पर 16 सितम्बर अत्याधुनिक हथियारों के साथ पुलिस की वर्दी में घूमते हुए पकड़े गए थे.
भीड़ ने संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, बैरिकेड तोड़ दिए और पुलिसकर्मियों के घरों में आग लगाने का भी प्रयास किया. तनाव तब बढ़ गया जब स्थानीय पुलिस, दंगा नियंत्रण बल और असम राइफल्स सहित कर्मियों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया.
मणिपुर 3 मई से जातीय हिंसा के चक्र में फंस गया है. दिप्रिंट द्वारा देखे गए पुलिस आंकड़ों के अनुसार, तब से 200 से अधिक लोग मारे गए हैं, 1,200 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और 50,000 से अधिक लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है. राज्य में कानून-व्यवस्था बहाल करने की चुनौती लगातार बनी हुई है.
आंकड़ों के अनुसार इतने बड़े पैमाने पर हिंसा और 6,500 से अधिक मामले दर्ज होने के बीच, केवल 280 गिरफ्तारियां हुई हैं. अधिकांश मामलों में जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है, स्थानीय लोगों के प्रतिरोध और आक्रामक स्थानीय विरोध के कारण बाधा उत्पन्न हुई है, जिससे पहले से ही अनिश्चित स्थिति और खराब हो गई है.
(संपादन: अलमिना खातून)
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