नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी को साथ आने का न्योता दिया। हालांकि चौधरी ने लगे हाथ इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और साथ ही केंद्र व राज्य की सत्ताधरी पार्टी को विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर से अधिक समय तक चले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों की याद दिलाई।
दरअसल, तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थितियों को भाजपा के और अनुकूल बनाने के प्रयासों के तहत वरिष्ठ भाजपा नेता एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को इलाके के जाट नेताओं से संवाद किया।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में रालोद के समाजवादी पार्टी (सपा) से गठबंधन का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि जयंत चौधरी ‘‘गलत घर’’ में चले गए हैं।
यह बैठक दिल्ली से भाजपा के सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा के आवास पर हुई और इसे ‘‘सामाजिक भाईचारा बैठक’’ का नाम दिया गया था।
वर्मा ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को भाजपा गठबंधन में आने का प्रस्ताव दे दिया और कहा कि भाजपा के दरवाजे उनके लिए खुले हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह बात तय है कि चुनाव बाद भाजपा की सरकार बनेगी। जयंत चौधरी ने एक अलग रास्ता चुना है। जाट समाज के लोग उनसे बात करेंगे, उन्हें समझाएंगे। चुनाव के बाद संभवनाएं हमेशा खुली रहती हैं। हमारा दरवाजा आपके लिए खुला है।’’
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘राजनीति में संभावनाएं हमेशा खुली रहती हैं। किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। चुनाव के बाद देखेंगे कि क्या संभावना बनती है। हम तो चाहते थे कि हमारे घर में आएं पर उन्होंने कोई दूसरा घर चुना है।’’
बैठक में जाट समुदाय के करीब 250 से अधिक प्रबुद्ध वर्ग के लोग और अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभुत्व रखने वाले नेताओं के अलावा भाजपा के उत्तर प्रदेश के प्रभारी व केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान और सांसद सत्यपाल सिंह भी शामिल हुए।
भाजपा के इस खुले प्रस्ताव पर जयंत चौधरी ने तत्काल प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने ट्वीट कहा, ‘‘न्योता मुझे नहीं, उन +700 किसान परिवारों को दो जिनके घर आपने उजाड़ दिए!!’’
ज्ञात हो कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय की भूमिका हमेशा अहम होती है और वह परिणामों को प्रभावित करने की ताकत रखता है। इस क्षेत्र में रालोद का खासा प्रभाव है। जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं जबकि उनके पिता दिवंगत अजीत सिंह भी केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं। इस बार के चुनाव में रालोद ने सपा से गठबंधन किया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शाह ने जाट नेताओं को संबोधित करते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कानून व व्यवस्था में सुधार से लेकर किसानों की समस्याओं के मद्देनजर केंद्र व राज्य की भाजपा सरकारों की ओर से लिए गए निर्णयों का उल्लेख किया।
सूत्रों के मुताबिक शाह ने यह भी कहा कि भाजपा ने तीन-तीन जाट नेताओं को राज्यपाल बनाया और सबसे अधिक विधायक और सांसद दिए तथा अलीगढ़ में एक विश्वविद्यालय का नाम प्रमुख जाट नेता राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर रखा।
बैठक में शामिल एक नेता के मुताबिक शाह ने जाट नेताओं से विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिताने की अपील करते हुए कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश से ही राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा और जाट समुदाय ने हमेशा उनकी अपील का सम्मान किया। वह चाहे 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव हों या फिर 2017 का विधानसभा चुनाव।
बैठक के बाद निकले कई जाट नेताओं ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि उनकी ओर से जाट आरक्षण, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को ‘‘भारत रत्न’’ देने सहित किसानों के अन्य मुद्दे उठाए गए और शाह ने इन मुद्दों को पूरा करने का उन्हें आश्वासन दिया।
बैठक में शामिल भाजपा के बड़े नेताओं ने इस बात को स्वीकार किया कि जाट आरक्षण का मुद्दा उठा जरूर था लेकिन शाह के आश्वासन की बात पर उन्होंने स्पष्टता से कुछ नहीं कहा।
केंद्रीय मंत्री व भाजपा के जाट चेहरे संजीव बालियान ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा जाट समाज बहुत बड़ा है और उसने हमेशा भाजपा का साथ दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहूं तो समाज के कुछ लोग आए थे…हमने बातचीत की है…उन्होंने अपनी बात रखी है… एक संवाद हुआ है… अच्छा संवाद रहा।’’
उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री हमेशा जाट समाज को बुलाते हैं और कभी भी चुनाव हो तो उनसे बात भी करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘… और हमारा आपस में लाड प्यार भी है।’’
जाट आरक्षण के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘बात आई थी… उसमें गृह मंत्री जी ने अपनी बात रखी है… इसको लेकर कुछ मीटिंग की है।’’
बैठक में शामिल बागपत से भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह से एक समाचार चैनल ने पूछा कि क्या अमित शाह ने जाट आरक्षण पर कोई आश्वासन दिया है, तो उन्होंने कहा, ‘‘अगर कहा है तो विश्वास करना चाहिए उनकी बातों पर… वह जो कहते हैं, उसे करते हैं।’’
डेढ़ घंटे से भी अधिक समय तक चली बैठक के बाद निकले कमोबेश सभी जाट नेताओं ने यही कहा कि उनकी ओर से अन्य मुद्दों के साथ जाट आरक्षण के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया और अमित शाह ने उसे पूरा करने का आश्वासन दिया।
ऐसे ही एक नेता ने अमित शाह को ‘‘चौधरी अमित शाह’’ से संबोधित किया और कहा कि उन्होंने वादा किया है ‘‘जो कमी रह गई है, उसे भी पूरा करेंगे’’।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में 10 फरवरी को 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान होगा। इसमें शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर जिले प्रमुख हैं।
दूसरे चरण में 14 फरवरी को नौ जिलों की 55 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इसमें सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा, पीलीभीत प्रमुख जिले हैं।
पहले दोनों चरणों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में मतदान होगा। पिछले चुनावों में भाजपा ने इस इलाके में अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन इस बार किसान आंदोलन की वजह से क्षेत्र के किसानों और जाट समुदाय में भाजपा के खिलाफ नाराजगी देखने को मिली है।
ज्ञात हो कि किसानों, जाटों और दलितों के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी अच्छी है। हर चुनाव में भाजपा पर इस इलाके में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश के आरोप लगते रहे हैं।
इस बार भाजपा की ओर से ‘पलायन’ और ‘‘80 बनाम 20’’ जैसे मुद्दों को उठाकर ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है। अमित शाह ने पिछले दिनों कैराना का दौरा कर इन मुद्दों को धार देने की भी कोशिश की।
शाह बृहस्पतिवार को मथुरा और गौतमबुद्धनगर नगर में घर-घर प्रचार अभियान करेंगे। वह मथुरा में बांके बिहारी मंदिर में पूजा अर्चना भी करेंगे। इसी दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बागपत और गाजियाबाद में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान थामेंगे। शाह 29 जनवरी को सहारनपुर और उसके बाद अन्य जिलों का भी दौरा करेगे।
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