नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं गुजरात के वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘अच्छे दिन’ का वादा कर सत्ता में आई थी, लेकिन कई रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि देश में सात से नौ करोड़ लोग बेरोजगार हैं।
देश में बेरोजगारी के मुद्दे पर ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने अन्य कार्यकर्ताओं के साथ केंद्र से महामारी के मद्देनजर इस मुद्दे से निपटने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया। संवाददाता सम्मेलन में शामिल लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा के शासन में बेरोजगारी बढ़ी है। मेवाणी ने कहा कि आंकड़े देश में बेरोजगारी की स्थिति बयां करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘अच्छे दिन’ का वादा किया और सत्ता में आए। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी से पहले चार से पांच करोड़ लोगों ने नौकरी गंवाई थी, लेकिन महामारी के दौरान 12 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई और लगभग तीन से चार करोड़ लोगों को कोई नौकरी नहीं मिली, जबकि शेष कुछ पाने में कामयाब रहे। आंकड़े बताते हैं कि सात से नौ करोड़ लोग बेरोजगार हैं।’’ पैनल के अन्य वक्ताओं ने बताया कि हाशिए पर रहने वाले वर्ग सबसे ज्यादा पीड़ित हैं।
एलजीबीटीआई कार्यकर्ता रुद्राणी छेत्री ने कहा कि ट्रांसवुमन को रोजगार पाने में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि समाज की उनके प्रति एक निश्चित धारणा है। उन्होंने कहा, ‘‘एक ट्रांसवुमन, जो योग्य है। वह नौकरी के सिलसिले में साक्षात्कार के लिए गई थी, लेकिन सुरक्षा गार्ड ने उसे कार्यालय में प्रवेश करने की अनुमति देने के लिए उससे यौन संबंध बनाने को कहा। उसकी आंखों में आंसू आ गए और वह वापस आ गई।’’ छेत्री ने कहा कि भले ही देश में ‘थर्ड जेंडर’ को मान्यता दी गई हो, लेकिन ऐसे लोगों के बारे में जागरूकता ‘‘स्कूल के स्तर पर’’ होनी चाहिए।
छात्र कार्यकर्ता आफताब आलम ने रेलवे द्वारा भर्ती परीक्षा में कथित अनियमितताओं का विरोध कर रहे नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा की। उन्होंने कहा, ‘‘क्या युवाओं को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है? जब छात्र डीयू (दिल्ली विश्वविद्यालय) में पढ़ते हैं, तो सभी जानते हैं कि वह एक बड़े विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हैं। यह शर्मनाक है कि उन्हें गांव लौटना पड़ता है, क्योंकि सरकार उनके लिए नौकरी सुनिश्चित नहीं कर पाती है।’’ आलम ने कहा कि इसके लिए सरकारें और व्यवस्था जिम्मेदार हैं।
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