scorecardresearch
Sunday, 28 April, 2024
होमदेश'अपना इतिहास नहीं, दूसरों का मिटाने चले', नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर कांग्रेस ने PM पर साधा निशाना

‘अपना इतिहास नहीं, दूसरों का मिटाने चले’, नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर कांग्रेस ने PM पर साधा निशाना

यह नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी का नाम एक विशेष बैठक के बाद आया, जिसका नाम प्रधानमंत्री संग्रहालय और लाइब्रेरी सोसाइटी में बदलने का संकल्प लिया गया.

Text Size:

नई दिल्ली: केंद्र ने हाल ही में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) का नाम बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और सोसायटी करने का फैसला किया है. इसके बाद, कांग्रेस ने शुक्रवार को नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और लाइब्रेरी का नाम बदलने के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा.

केंद्र के इस फैसले पर वरिष्ठ नेता और कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी है. 59 वर्षों से अधिक समय से नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय एक वैश्विक बौद्धिक ऐतिहासिक स्थल और पुस्तकों एवं अभिलेखों का ख़ज़ाना घर रहा है. अब से इसे प्रधानमंत्री म्यूजियम और सोसायटी कहा जाएगा. पीएम मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के शिल्पकार के नाम और विरासत को विकृत करने, नीचा दिखाने और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे. अपनी असुरक्षाओं के बोझ तले दबा एक छोटे कद का व्यक्ति स्वघोषित विश्वगुरु बना फिर रहा है.

आगे बोले, जिनका कोई इतिहास ही नहीं है, वो दूसरों के इतिहास को मिटाने चले हैं. नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम बदलने के कुत्सित प्रयास से, आधुनिक भारत के शिल्पकार व लोकतंत्र के निर्भीक प्रहरी, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की शख़्सियत को कम नहीं किया जा सकता. इससे केवल बीजेपी-आरएसएस की ओछी मानसिकता और तानाशाही रवैये का परिचय मिलता है. मोदी सरकार की बौनी सोच, ‘हिन्द के जवाहर’ का भारत के प्रति विशालकाय योगदान कम नहीं कर सकती.

यह नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी का नाम एक विशेष बैठक के बाद आया, जिसका नाम प्रधानमंत्री संग्रहालय और लाइब्रेरी सोसाइटी में बदलने का संकल्प लिया गया. विशेष बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जो सोसायटी के उपाध्यक्ष भी हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

कार्यकारी परिषद, एनएमएमएलए के उपाध्यक्ष, सूर्य प्रकाश ने कहा, “इस सोसायटी के सामान्य निकाय द्वारा संकल्प का पारित होना कोई छोटा कदम नहीं है. यह लोकतंत्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए एक बहुत बड़ा कदम है. हमारे राष्ट्रीय राजनीतिक नेतृत्व को स्वीकार करें.”

“माननीय रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह, सोसायटी के उपाध्यक्ष ने अपने संबोधन में नाम में परिवर्तन के प्रस्ताव का स्वागत किया, क्योंकि अपने नए रूप में संस्था जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान और उनकी प्रतिक्रियाओं को प्रदर्शित करती है.

2016 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन मूर्ति परिसर में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय स्थापित करने का विचार प्रस्तावित किया था.

इस परियोजना को 25-11-2016 को आयोजित अपनी 162 वीं बैठक में कार्यकारी परिषद, एनएमएमएल द्वारा अनुमोदित किया गया था. पिछले साल 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री संग्रहालय को जनता के लिए खोल दिया गया था.

दिलचस्प बात यह है कि उद्घाटन के दौरान सरकार से निमंत्रण मिलने के बावजूद नेहरू-गांधी परिवार का कोई भी सदस्य समारोह में शामिल नहीं हुआ. पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सहित नेहरू-गांधी परिवार के तीन सदस्यों ने अतीत में भारतीय प्रधानमंत्रियों के रूप में कार्य किया है.


यहां पढ़ें: सिद्धारमैया सरकार ने पाठ्यपुस्तकों में किए बदलाव, धर्मांतरण विरोधी कानून को निरस्त करने को दी मंजूरी


share & View comments