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भुवनेश्वर, 29 अगस्त (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि संसद और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के विधानमंडलों की अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण समितियां राजनीति से ऊपर उठकर काम करती हैं और उन्होंने सुझाव दिया कि वे समुदायों की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नीतियां व योजनाएं तैयार करने के लिए सिफारिशें दें।
बिरला ने यहां संसद और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के विधानमंडलों की अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण समितियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद यह टिप्पणियां कीं। यह पहली बार है कि इस तरह का राष्ट्रीय सम्मेलन दिल्ली से बाहर आयोजित किया जा रहा है।
बिरला ने यहां ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष फग्गन सिंह कुलस्ते की उपस्थिति में सम्मेलन का उद्घाटन किया।
ओडिशा विधानसभा की अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी और संसद तथा 19 राज्यों की समितियों के अध्यक्षों एवं सदस्यों सहित देश भर से लगभग 200 प्रतिनिधि इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
बिरला ने कहा, ‘‘ये समितियां राजनीतिक सीमाओं से ऊपर हैं। विभिन्न दलों के सदस्य इस समिति के सदस्य हैं और उन्हें योजनाओं, कार्यक्रमों और नीतियों के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सरकारों को सुझावों पर चर्चा व अनुशंसा करनी चाहिए। ये अनुशंसाएं बदलती परिस्थितियों और समुदायों के जीवन को बेहतर बनाने के तरीकों को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए। इसलिए, दो दिवसीय सम्मेलन निश्चित रूप से मुद्दों पर विचार-विमर्श करने में मददगार होगा।’’
उन्होंने कहा कि बदली हुई परिस्थितियों में भारत को ऐसे युवाओं को प्रशिक्षित करना चाहिए जो पूरे विश्व में नेतृत्व कर सकें।
लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं ने भी विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति की है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें गर्व है कि इसी धरती (ओडिशा) की एक आदिवासी महिला राष्ट्रपति के रूप में देश का नेतृत्व कर रही हैं और दुनिया को भारत के सामाजिक न्याय के बारे में बता रही हैं। यही हमारे लोकतंत्र की ताकत है।’’
पाढ़ी ने कहा कि दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य संवैधानिक सुरक्षा उपायों को मजबूत करना, सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाना और अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को सशक्त बनाने के लिए सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को साझा करना है।
सम्मेलन का विषय है ‘अनुसूचित जातियों और जनजातियों के कल्याण, विकास व सशक्तिकरण पर संसदीय और विधायी समितियों की भूमिका।’
बिरला ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मुझे संसद और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबंधी समितियों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए ओडिशा के भुवनेश्वर पहुंचकर बहुत खुशी हो रही है। मैंने राज्य राजभवन में माननीय राज्यपाल श्री हरि बाबू कंभमपति जी से मुलाकात की और हमने विभिन्न विषयों पर चर्चा की।’’
भाषा
गोला माधव
माधव
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