नई दिल्ली: बिहार के मतदाता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 15 साल के लंबे कार्यकाल के कारण थका हुआ महसूस कर रहे हैं. लेकिन उनके घटते महत्व के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी भी बरकरार है.
यह भाजपा नेताओं द्वारा किए गए आकलन का एक हिस्सा था, जो विधानसभा चुनाव से पहले उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने से पहले और लोगों के मूड को भांपने के लिए 25 से 28 अगस्त के बीच विभिन्न जिलों में कराया गया था.
विधानसभा पर्यवेक्षक, नेताओं ने यह भी कहा कि चुनावों में एनडीए की जीत के लिए नीतीश कुमार को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर अधिक आक्रामक हमला करना होगा.
भाजपा ने 90 पर्यवेक्षकों को भेजा, जो पार्टी के महासचिव, एमएलसी और उपाध्यक्ष थे. ताकि भाजपा के संभावित उम्मीदवारों और उनकी जीत की संभावनाओं के बारे में आकलन किया जा सके. इन पर्यवेक्षकों को उन निर्वाचन क्षेत्रों से जानकारी एकत्र करने के लिए कहा गया, जो न केवल भाजपा द्वारा, बल्कि उसके सहयोगी जद (यू) और एलजेपी द्वारा भी प्रतिनिधित्व किया जाता है.
इन पर्यवेक्षकों ने मंडल और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के अलावा विभिन्न जिलों में अपने 4 दिवसीय प्रवास के दौरान राजनीतिक कार्यकर्ताओं के विभिन्न वर्गों के साथ मुलाकात की है. मूल्यांकन के बाद पर्यवेक्षकों ने पार्टी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव और उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित केंद्रीय और राज्य भाजपा नेताओं के साथ बैठकें कीं और अपनी प्रतिक्रिया साझा की.
बांका जिले के एक पर्यवेक्षक और भाजपा नेता ने कहा, ‘पार्टी में बूथ प्रमुख से लेकर जिला अध्यक्षों, विधायकों (पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं) और विधानसभा प्रभारियों तक के लिए कई प्रतिक्रिया तंत्र हैं. हम अपने संभावित उम्मीदवारों और गठबंधन के उम्मीदवारों की स्थिति का आकलन करने के लिए विभिन्न जिलों में गए, किसी भी गठबंधन के उम्मीदवारों के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी और लोगों का समग्र मूड को समझने के लिए गए थे. हमें विभिन्न लोगों से मिलने के लिए जिलों में एक रात बिताने और लोगों के मूड को समझने के लिए कहा गया था.’
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लोग नीतीश से थके हुए हैं, लेकिन मोदी की लोकप्रियता बरकरार है
विभिन्न जिलों का दौरा करने वाले भाजपा नेताओं ने पार्टी के केंद्रीय नेताओं से कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व के बारे में लोगों में चिंता है और कोरोना और बाढ़ ने इसे और बढ़ाया है.
भाजपा नेता ने कहा, ‘राजद पर हमला करने में नीतीश को अधिक आक्रामक होना चाहिए. हालांकि, पीएम की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है, लेकिन भाजपा को अपने गठबंधन की जीत के लिए और अधिक कार्य करना होगा.
पार्टी पर्यवेक्षकों ने दावा किया कि अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के बावजूद भाजपा के लिए सकारात्मक राजनीतिक माहौल है. नेता ने कहा, कोविड-19 परीक्षण किट और अन्य सुविधाओं की अनुपलब्धता के खिलाफ प्रारंभिक नाराजगी थी, लेकिन अब यह थम गया है.’
एक अन्य पर्यवेक्षक ने दिप्रिंट को बताया, ‘लोगों ने कहा कि मोदी जी ने हमें बचाने के लिए लॉकडाउन लागू किया है, उन्होंने हमें वापस आने के लिए गाड़ियां प्रदान की हैं, उन्होंने खाद्यान्न भेजा है. लेकिन सरकारी अधिकारियों ने हम तक नहीं पहुंचने दिया.’
मुख्यमंत्री के बारे में पूछे जाने पर, नीतीश कुमार के बारे में उत्साह का अभाव था. हालांकि उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में, नीतीश जी ने उनकी मदद करने के लिए प्रयास किए हैं. लेकिन अंततः उन्होंने कहा कि अगर भाजपा अपनी सीटों पर नहीं लड़ रही है, तो जदयू को वोट देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
एक तीसरे नेता, जिन्होंने पांच निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा किया, ने कहा कि उच्च जातियां कुमार के लिए वोट नहीं करना चाहती हैं, लेकिन पीएम मोदी के लिए देना चाहते हैं.
उन्होंने बताया कि ‘पिछड़ी जाति में, नीतीश ने अपने 15 वर्षों के शासन के बावजूद विश्वास नहीं खोया है. लेकिन भाजपा के लिए सवर्णों के वोट जेडी (यू) को दिलवाना एक चुनौती होगी, क्योंकि अगर वे वोट देने नहीं आते हैं, तो यह हमारी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. हमने केंद्रीय नेतृत्व को यह प्रतिक्रिया दी है, लेकिन एक बार जब पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार शुरू किया तो स्थिति सामान्य हो जाएगी.
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विकल्प के अभाव में लोग नीतीश को वोट देंगे
दूसरे पर्यवेक्षक ने दिप्रिंट को बताया कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि नीतीश कुमार बिहार में सबसे बड़े नेता हैं. लेकिन इस समय उनकी सबसे बड़ी ताकत उनका खुद का शासन नहीं है, बल्कि ‘मोदी के साथ उनका गठबंधन और लालू की अनुपस्थिति’ है.
हालांकि, लालू की मौजूदगी से ध्रुवीकरण में मदद मिलती है, लेकिन इस बार नीतीश को अपनी गिरती लोकप्रियता के कारण बीजेपी की जरूरत है और लोग एक मजबूत नेता की अनुपस्थिति में नीतीश को वोट देंगे, न कि उनके लिए.
भाजपा के एक जिला अध्यक्ष ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में बाबुओं की सरकार चल रही थी. उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि बीडीओ, एसडीएम ने भी विधायकों की बात नहीं सुनी. यह मॉडल तभी काम करता है जब शासन भ्रष्टाचार मुक्त हो और डिलीवरी फुलप्रूफ हो, नीतीश के पिछले कार्यकाल के विपरीत इस बार स्थिति ऐसी नहीं है.
नेता ने कहा, ‘उनकी (कुमार की) पूरी कोशिशों के बावजूद परेशानी नेतृत्व में नहीं बल्कि शासन में थी. लोग इन दिनों आकांक्षी हैं. बेहतर कानून और व्यवस्था, सड़क संपर्क, नौकरी, उद्योग और बेहतर शिक्षा चाहते हैं. ये कारण हैं, जो उनके चुनाव में महत्वपूर्ण होंगे.’
राजद के बारे में बात करते हुए एक भाजपा उपाध्यक्ष ने कहा कि लालू की अनुपस्थिति के बावजूद मुस्लिम-यादव निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी की पकड़ बरकरार है. राजद प्रमुख इस समय चारा घोटाले के सिलसिले में रांची में जेल की सजा काट रहे हैं.
उन्होंने दावा किया कि कई लोगों में लालू के प्रति सहानुभूति है. लेकिन जब लोग वोट देने जाएंगे, तो वे विकल्प के अभाव में नीतीश को वोट देंगे.
एनडीए के माध्यम इस बार यह निश्चित है कि मोदी का गुडविल इस बार नीतीश की मदद करेगा. बीजेपी को और फुटवर्क करना होगा. अगर हम स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ते तो हम काफी बेहतर स्थिति में होते, लेकिन नेतृत्व ने हमें एनडीए के सभी उम्मीदवारों के लिए जीत सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है.
जिम्मा भाजपा कार्यकर्ताओं पर है
23 अगस्त को बिहार भाजपा की राज्य कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कार्यकर्ताओं से कहा कि भाजपा गठबंधन पर सभी गठबंधन उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने का जिम्मा है. बाद में, उन्होंने 29 अगस्त को आयोजित बिहार बीजेपी सांसदों की बैठक के दौरान भी यही अपील दोहराई.
भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच कुमार के प्रति बढ़ती असंतोष को देखते हुए डिप्टी सीएम मोदी ने पिछले सप्ताह भाजपा कार्यकर्ताओं को शांत करने की मांग करते हुए कहा कि बिहार में कोई भी पार्टी अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है और इसके बारे में कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए और कहा कि ‘गठबंधन राज्य की वास्तविकता है.’
सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने जेडी (यू) के नेतृत्व के साथ भी आकलन साझा किया है और यही एक कारण था कि नीतीश कुमार ने सोमवार को अपनी पहली मेगा वर्चुअल रैली की, जिसके दौरान उन्होंने लालू के 15 साल के जंगल राज पर हमला किया.
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