रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बोगस राशन कार्डों की कराई जा रही जांच से साफ हो गया है कि एक ओर जहां 2013 और 2016 के बीच 14 लाख से भी ज्यादा फर्जी पीडीएस कार्ड बनवाये गए वहीं विभागीय अधिकारियों द्वारा 2700 करोड़ से भी ज्यादा की चपत सरकारी खजाने को लगाई गई है. राज्य आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की जा रही जांच से दिप्रिंट की रिपोर्ट जिसमे पिछली सरकार द्वारा 14 लाख से ज्यादा फर्जी राशन कार्ड बनाने का खुलासा पहले ही कर दिया गया था.
फर्जी राशन कार्ड मामले में खुलासा छत्तीसगढ़ ईओडब्लू द्वारा खाद्य विभाग के अज्ञात अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ किए गए एफआईआर से हुआ. ईओडब्लू के अधिकारियों ने बताया कि अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक निरस्त राशनकार्डो में वितरित चावल की सब्सिडी की गणना की गयी जिसके आधार पर इन तीन वर्षों मैं कुल 11 लाख टन से अधिक चावल निरस्त किये राशनकार्डो पर वितरित किया जाना बताया गया है और इससे राज्य शासन को 2718 करोड़ रुपयों का चूना लगा है.
बोगस राशन कार्ड और कालाबजारी
प्रदेश मे सितम्बर 2013 तक कुल 72,32 लाख राशनकार्ड बनाये गये. उपरोक्त राशन कार्ड बनाये जाने से पहले 2011 की आर्थिक सामाजिक जनगणना में 56,50,724 परिवार थे. उपरोक्त आधार पर निर्धारित 56,50,724 में से सामान्य परिवार की संख्या को घटाकर (लगभग 20 प्रतिशत) पात्रता अनुसार राशनकार्ड बनाये जाने थे जो लगभग 45 लाख राशन कार्ड होना चाहिए किंतु वर्ष 2013 के अंत तक कुल 71,30,393 राशन कार्ड बनाये गये. जांच अधिकारियों के अनुसार इससे यह साफ हो गया की विभाग द्वारा इस दौरान लगभग 14.80 लाख राशनकार्ड बोगस बनाया गया था.
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ईओडब्लू की जांच में खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष सितंबर 2013 एवं अक्टूबर 2013 में 72,3000 राशनकार्ड के लिये कमशः 2,23,968 एम.टी, 2,27,020 मिट्रिक टन चावल का आबंटन जारी किया गया. माह नवंबर और दिसंबर 2013 में कमशः 70.66 लाख और 70.62 लाख राशनकार्ड के लिये कमशः 2,18,974 मिट्रिक टन और 2,23,401 मिट्रिक टन चावल जारी किया गया जो कि 2011 में दर्शित परिवारों की संख्या से करीब 14.16 लाख ज्यादा थी.
ईओडब्लू ने अपने अब तक की जांच में यह स्पष्ट पाया है कि यदि प्रदेश का सारे परिवारों का राशनकार्ड बना दिया जाता तो भी राशनकार्डो की संख्या 56 लाख से ज्यादा नहीं हो सकती थी. इससे यह साफ हो जाता होता है कि लगभग 15 लाख राशनकार्डो में जो चावल वितरित होना दिखाया गया है वह खुले बाजार में ऊंची कीमत में बिकवाया गया है.
10 लाख कार्ड छपे नहीं लेकिन गुमनाम ग्राहकों मिल गए
ईओडब्लू के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार खाद्य विभाग के रिकॉर्ड की जांच में साबित हो रहा कि विभाग द्वारा सितंबर 2013 से दिसम्बर 2013 तक लगभग 70 लाख से अधिक राशनकार्डों पर चावल एवं अन्य वस्तु का आंबटन किया गया बताया गया है, जबकि इस अवधि में विभाग द्वारा 62 लाख से अधिक राशनकार्ड छापे भी नहीं गये थे.
नाम न देने की शर्त पर एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस तरह यह सीधे तौर पर साबित हो रहा है कि करीब 10 लाख बोगस बनाये गये राशनकार्डो पर पीडीएस चावल और अन्य खाद्दान्न सामग्रियों का वितरण वैध रूप से नहीं हुआ जिसकी जिम्मेदारी संचालनालय स्तर के अधिकारियों की थी जिनको राशन कार्ड जनसंख्या के आधार आबंटन करना था.’
वह आगे बताते हैं, ‘जांच में पाया गया है कि दिनांक 06.10.2013 तक 62 लाख राशनकार्ड जिलों में भेजे गए थे. जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस दिनांक तक केवल 62 लाख कार्ड ही प्रिंट हुए थे.’
नियमतः इन्हीं राशनकार्डो पर आबंटन एवं वितरण किया जाना था किन्तु इस तिथि के पहले ही माह सितंबर और अक्टूबर में 72.03 लाख राशनकार्ड के लिये 2.23968 मेट्रिक टन चांवल आवंटित कर दिया गया जब 10 लाख राशनकार्ड प्रिंट भी नहीं हुए.
अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा पद का दुरुपयोग
अधिकारियों द्वारा की गई जांच में पाया गया कि खाद्यान्न से राशन दुकानों तक पहुंचाने तथा वितरण के सत्यापन का दायित्व संचालनालय खाद्य विभाग रायपुर के साथ -साथ विभिन्न जिलों में खाद्य विभाग के विभिन्न कर्मचारियों अधिकारियों के हाथों में होता है. इसके साथ-साथ यह जिम्मेदारी सम्पूर्ण प्रदेश मे परिवहनकर्ता एजेन्सी की भी है. इस प्रकार संचालनालय खाद्य विभाग रायपुर के अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा अपने-अपने पदों का दुरूपयोग और आपस में मिलकर आपराधिक षडयंत्र कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बोगस राशनकार्ड का निर्माण किया गया.
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इन कार्डो को असल बता कर इन पर खाद्यान्न का विवरण दर्शाया गया और कथित हितग्राहियों को राशन कार्ड वितवण किये बिना धोखाधड़ी कर शासन को करोड़ों रूपयों का आर्थिक नुकसान किया गया तथा उक्त कृत्य से स्वयं के साथ साथ अन्य लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाया गया.
अपराध दर्ज
ईओडब्लू के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग ने दिप्रिंट को बताया, ‘आरोपीयों पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम (भ्रनिअ) 1988 यथा संशोधित भ्रनिअ (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा 7(C) एवं धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी भादवि के अंतर्गत दण्डनीय अपराध का होना पाये जाने से अज्ञात लोकसेवकों के विरुद्ध अपराध क्रमांक 13/2020 पंजीबद्ध कर लिया गया है.’
‘ईओडब्लू के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के अनुसार विवेचना के दौरान लोकसेवकों की पी डी एस घोटाले में भूमिका की जांच की जायेगी.’
नाग ने दिप्रिंट से यह भी कहा, ‘शिकायत के आधार पर जांच की गई है और की जा रही है. घोटाले की पुष्टि होने पर अपराध पंजीबद्ध किया गया. अब घपले के जिम्मेदारों का पता लगाया जाएगा.’