धार/ इंदौर, 13 फरवरी (भाषा) मध्यप्रदेश के भोपाल में चार दशक पहले हुई गैस त्रासदी के बाद से बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन खतरनाक कचरे से भरे 12 कंटेनर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र की एक अपशिष्ट निपटान इकाई में बृहस्पतिवार को ट्रकों से उतारे गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
इन कंटेनरों से लदे ट्रकों के दो जनवरी को पीथमपुर पहुंचने के बाद से इस औद्योगिक क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और तब से ये ट्रक अपशिष्ट निपटान इकाई के परिसर में खड़े थे।
ट्रकों से कंटेनर उतारे जाने के बाद प्रशासन ने भरोसा दिलाया कि यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटारे के बारे में कोई भी फैसला लेते वक्त ‘पूरी पारदर्शिता’ बरती जाएगी।
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था।
इस घटना में कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग की जारी प्रेस विज्ञप्ति में इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) दीपक सिंह के हवाले से बताया गया ,‘‘यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के कंटेनर पीथमपुर में सुरक्षा के सभी मानदंडों का पालन करते हुए ट्रकों से उतारे गए हैं।”
उन्होंने बताया कि यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान की योजना की दिशा में सभी संबंधित पक्षों को भरोसे में लेने के बाद ही आगे बढ़ा जा रहा है।
सिंह ने बताया कि इस कचरे के निपटारे की प्रक्रिया के बारे में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में आगामी दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
इस बीच, धार के जिलाधिकारी प्रियंक मिश्रा ने पीथमपुर में एक निजी कंपनी की चलाई जा रही अपशिष्ट निपटान इकाई का दौरा किया। मिश्रा ने बताया कि यूनियन कार्बाइड के कचरे से भरे कंटेनरों को ट्रक से जमीन पर उतारना आवश्यक था और जन प्रतिनिधियों की सहमति के बाद पूरी पारदर्शिता के साथ इस काम को अंजाम दिया गया।
जिलाधिकारी ने लोगों से यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटारे के बारे में किसी भी प्रकार की भ्रामक जानकारी न फैलाने की अपील की।
उन्होंने बताया, “पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई की पूरे 24 घंटे निगरानी की जा रही है। वहां सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं जिसका फुटेज कोई भी जन प्रतिनिधि देख सकता है।’’
मिश्रा ने बताया कि यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटारे के बारे में शासन-प्रशासन जो भी निर्णय लेगा, वह ‘पूरी पारदर्शिता’ के साथ लिया जाएगा। यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन कचरा दो जनवरी को पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई लाया गया था।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने छह जनवरी को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए छह सप्ताह के भीतर कदम उठाए।
यह कचरा पीथमपुर लाए जाने के बाद से इस औद्योगिक क्षेत्र में रुक-रुक कर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने इस कचरे के निपटान से इंसानी आबादी और आबो-हवा को नुकसान की आशंका जताई है जिसे प्रदेश सरकार ने सिरे से खारिज किया है।
प्रदेश सरकार का कहना है कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के सुरक्षित निपटान के पक्के इंतजाम हैं।
प्रदेश सरकार ने इस कचरे के निपटान की प्रक्रिया को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए पिछले दिनों पीथमपुर और इसके आस-पास के स्थानों पर ‘जन संवाद’ कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं।
प्रदेश सरकार के मुताबिक, यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में इस बंद पड़ी इकाई के परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और ‘सेमी प्रोसेस्ड’ अवशेष शामिल हैं।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के मुताबिक इस कचरे में सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव अब ‘‘लगभग नगण्य’’ हो चुका है। बोर्ड के मुताबिक, फिलहाल इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी तरह के रेडियोएक्टिव कण भी नहीं हैं।
भाषा सं. दिमो हर्ष जितेंद्र
जितेंद्र
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