इंदौर, 28 फरवरी (भाषा) मध्यप्रदेश के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के एक अपशिष्ट निपटान संयंत्र में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे में से 10 टन अपशिष्ट को परीक्षण के तौर पर नष्ट करने के लिए भस्मक में डाले जाने की तैयारी अंतिम दौर में है और निपटान की इस प्रक्रिया के पूरे होने में करीब 72 घंटे लगने का अनुमान है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कारखाने के कचरे के निपटान के परीक्षण को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर अंजाम दिया जा रहा है।
प्रदेश सरकार के मुताबिक यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में इस बंद पड़ी इकाई के परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और ‘अर्द्ध प्रसंस्कृत’ अवशेष शामिल हैं।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के मुताबिक इस कचरे में सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव अब ‘‘लगभग नगण्य’’ हो चुका है।
बोर्ड के मुताबिक, फिलहाल इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी तरह के रेडियोधर्मी कण भी नहीं हैं।
धार के जिलाधिकारी प्रियंक मिश्रा ने संवाददाताओं को बताया कि यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे का निपटारा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्र और राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तय मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के मुताबिक किया जा रहा है।
उन्होंने बताया, ‘‘कचरे को भस्मक में डालने की तैयारियां चल रही हैं। इस कचरे को जलाने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी।’’
मिश्रा ने बताया कि कचरे को भस्म किए जाने की प्रक्रिया का पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र के बाहर सजीव वीडियो प्रसारण भी किया जा रहा है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया,‘‘यूनियन कार्बाइड कारखाने के पांच तरह के कचरे को पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र में मिक्सर से उचित अनुपात में मिलाया गया है। इसके 10 टन हिस्से को भस्मक में डाला जाना है। इससे पहले, भस्मक को खाली चलाकर इसका तापमान 850 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचाया जा रहा है।’
द्विवेदी ने बताया कि 10 टन कचरे को परीक्षण के तौर पर जलाकर नष्ट करने में लगभग 72 घंटे लगेंगे। उन्होंने बताया कि कचरे को नष्ट किए जाने की प्रक्रिया के अलग-अलग चरणों के दौरान निकलने वाली राख, ठोस अवशेषों, पानी और गैसों का भी उचित निपटारा किया जाएगा।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि इस कचरे के निपटान की प्रक्रिया शुरू होने के बीच पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर हैं।
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे को निपटान की योजना के तहत सूबे की राजधानी से करीब 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर में एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान संयंत्र में दो जनवरी को पहुंचाया गया था।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन ने 18 फरवरी को दिए आदेश में कहा था कि सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए 27 फरवरी को 10 टन कचरे का पहला परीक्षण किया जाए और इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है, तो चार मार्च को दूसरा परीक्षण और 10 मार्च को तीसरा परीक्षण किया जाए। उच्च न्यायालय ने कहा था कि उसके सामने तीनों परीक्षणों की रिपोर्ट 27 मार्च को पेश की जाए।
उच्चतम न्यायालय ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े अपशिष्ट को धार जिले के पीथमपुर में एक निजी कम्पनी के संचालित संयंत्र में स्थानांतरित करने और उसका निपटान करने के मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप से बृहस्पतिवार, 27 फरवरी को इनकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ ने यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकले अपशिष्ट के निपटान के परीक्षण पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया था।
भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कारखाने का कचरा पीथमपुर लाए जाने के बाद इस औद्योगिक क्षेत्र में कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने इस कचरे के निपटान से इंसानी आबादी और आबो-हवा को नुकसान की आशंका जताई है जिसे प्रदेश सरकार ने सिरे से खारिज किया है।
प्रदेश सरकार का कहना है कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के सुरक्षित निपटान के पक्के इंतजाम हैं।
भाषा हर्ष नरेश मनीषा
मनीषा
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