लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस की इमरजेंसी सर्विस ‘डायल 112’ अब लोकल कनेक्ट बढ़ाने के लिए भोजपुरी, अवधी, बुंदेली, ब्रज व पहाड़ी भाषा में भी जनता से संवाद करेगी. दरअसल यूपी में ये पांच क्षेत्रीय भाषाएं काफी प्रचलित हैं, ऐसे में आम जनता से अपना कनेक्ट बढ़ाने के लिए यूपी पुलिस ने ये निर्णय लिया है.
इमरजेंसी सर्विस ‘डायल 112’ के ऑफिस में 19 कम्यूनिकेशन अधिकारियों को चुना गया है जो कि शिफ्ट वाइज़ लोगों की समस्याओं को क्षेत्रीय भाषा में सुनेंगे.
दिप्रिंट से बातचीत में यूपी पुलिस के एडीजी-112 असीम अरुण ने बताया कि कई बार ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का फोन आता है और वे अपनी क्षेत्रीय भाषा में समस्याएं बताते हैं तो कई बार कम्यूनिकेशन गैप भी हो जाता है. ऐसे में उनकी सहूलियत के लिए हमने क्षेत्रीय भाषा में संवाद करने का फैसला लिया है. इसके लिए बकायदा एक टीम बनाई गई है जिसमें 19 वॉलंटियर्स हैं. इन्हें भोजपुरी, अवधी, बुंदेली, ब्रज व पहाड़ी भाषा की जानकारी है. ये इसी भाषा में उनसे संवाद करेंगे.
असीम के मुताबिक, यूपी में पुलिस को अपनी समस्या बताने के लिए हिंदी के अलावा सबसे अधिक कॉल भोजपुरी भाषा में आती हैं. इनमें अधिकतर कॉल पूर्वी यूपी से होती हैं. वहां के ग्रामीण क्षेत्रों में भोजपुरी भाषा काफी प्रचलित है.
असीम ने बताया कि सीएम योगी की सलाह पर ये इनीशिएटिव लिया गया है. दरअसल वे पिछले दिनों ‘1090 महिला हेल्पलाइन’ के ऑफिस गए थे जहां उन्होंने अधिकारियों से सवाल किया कि अगर पूर्वांचल की कोई ग्रामीण महिला क्षेत्रीय भाषा में अपनी समस्या बताए तो यहां बैठे टेलीकॉलर्स उसे कैसे समझेंगे. इसके बाद यूपी पुलिस ने फैसला लिया कि यूपी की पांच प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं को समझने वाले वॉलंटियर्स की टीम बनाई जाएगी.
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रोजाना 15-17 हजार लोग करते हैं कॉल
यूपी पुलिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, प्रतिदिन 15-17 हजार लोग ‘112’ पर कॉल कर पुलिस की सहायता मांगते हैं. इनमें क्षेत्रीय भाषाओं में मदद मांगने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक होती है.
यूपी में हिंदी के अलावा इन क्षेत्रीय भाषाओं का काफी प्रचलन है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र के शिकायतकर्ताओं को जब उनकी ही भाषा में 112 की ओर से जवाब दिया जायेगा तो शिकायतकर्ता में पुलिस के प्रति अपनेपन का भी आभास होगा.
डायल 112 से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि 112 की ओर से ऑडिया-वीडियो क्लिप भी रिलीज किए जाएंगे जो कि सैंपल की तरह होगा कि कैसे अब शिकायतकर्ता अपनी क्षेत्रीय भाषा में पुलिस से संवाद कर सकता है. अभी हिंदी व अंग्रेजी के अलावा फिलहाल 5 क्षेत्रीय भाषाओं में कॉल रिसीव की जाएंगी.
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