नई दिल्ली: मोदी सरकर ने लेबर रिफॉर्म संबंधित बिल संसद से पारित करवा लिया है. लेकिन इन विधेयकों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक के अनुषांगिक संगठन भारतीय मजदूर संघ ने अपना विरोध दर्ज किया है.
संगठन का कहना है कि सरकार ने भारतीय मजदूर संघ की मांगों पर ध्यान नहीं दिया. इन सभी बिल पर सदन में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए थी जो नहीं हुई.’
इस मामले में अब भारतीय मजदूर संघ 2 से 4 अक्टूबर के बीच तीन दिवसीय एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस आयोजित भी करने जा रहा है. इसमें 3000 सदस्य शामिल होंगे. इस बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी.
भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार ने दिप्रिंट से कहा, ‘केंद्र सरकार ने लेबर कोड संबंधित सभी बिल बहुत ही जल्दबाजी में संसद से पारित किए हैं. इस पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए थी जो नहीं हो सकी. हम इसका विरोध करते है.’
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पवन कुमार ने आगे कहा, ‘सोशल सिक्योरिटी कोड और ओएसएस कोड का लाभ अंतिम मजदूर तक मिलना चाहिए जो इस कानून में मिलता हुआ नहीं दिख रहा है. बिल में देश के सभी कर्मचारियों और मजदूरों को ESI और EPFO की सुविधाएं मिलनी चाहिए लेकिन सरकार हमारी इस मांग को अपने बिल में शामिल नहीं किया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘देश के हर मजदूर को समाजिक सुरक्षा का फायदा मिलना चाहिए लेकिन सरकार ने ये नहीं किया. हमने मांग की थी कि सोशल सिक्योरिटी कोड के तहत मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था यूनिवर्सलाइज करनी चाहिए.’
पवन कुमार ने बताया, ‘हम लगातार केंद्र सरकार से मांग कर रहे थे कि कोड ऑन ऑक्यूपेशनल सेफ्टी में जो सुरक्षा के प्रावधान है, वर्करों के लिए उसे भी यूनिवर्सलाइज किया जाए. लेकिन सरकार ने जो बिल संसद से पारित करवाया उसमें हजार्ड इंडस्ट्री में सुरक्षा सिर्फ उन मजदूरों को दी जाएगी, जो उन निकायों मजदूरों निश्चित संख्या से अधिक काम करते है.
उन्होंने कहा, ‘इस बिल में स्ट्राइक के इश्यू को भी बहुत रेलमपेल कर दिया है. हमने जो मांगे रखी थी वैसा कुछ भी नहीं हुआ. इस तरह के कई तरह के मुद्दे है. जिन पर आगामी बैठक में चर्चा भी कर आगे की रणनीति तय की जाएंगी.’
बुधवार को राज्यसभा में मजदूरों और कामगारों से जुड़े तीन बिल उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 सदन में ध्वनि मत से पास हो गए है. ये तीनों ही बिल लोकसभा से भी पारित हो चुके है.