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Saturday, 21 December, 2024
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बेंगलुरू को कुछ ही समय में मिल सकता है दूसरा एयरपोर्ट लेकिन कुछ बाधाओं को दूर करना होगा

कर्नाटक सरकार का कहना है कि वह कैम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के ऑपरेटर बीआईएएल के साथ कंसेशन एग्रीमेंट आगे बढ़ाने को तैयार है लेकिन शर्त यह है कि वह एचएएल एयरपोर्ट को भी फिर से सक्रिय और संचालित करे.

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बेंगलुरू: कर्नाटक कैबिनेट ने पिछले हफ्ते फैसला किया कि वह कैम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए बेंगलुरू इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (बीआईएएल) के साथ कंसेशन एग्रीमेंट 30 साल तक बढ़ाएगी, बशर्ते कंपनी शहर के पुराने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) एयरपोर्ट को भी फिर से सक्रिय कर वहां से परिचालन शुरू करे.

देवनहल्ली शहर के बाहरी इलाके में बने कैम्पेगौड़ा एयरपोर्ट का काम शुरू कर देने के बाद शहर के मध्य स्थित एचएएल एयरपोर्ट 2008 में बंद हो गया था. यात्रियों की सुविधा के लिए एचएएल एयरपोर्ट को फिर शुरू करने की मांग लंबे समय से की जा रही है.

हालांकि, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और बीआईएएल के बीच हस्ताक्षरित समझौता यही कहता है कि 30 मार्च 2008 को नया एयरपोर्ट चालू हो जाने के बाद एचएएल एयरपोर्ट से आने-जाने वाली सभी नागरिक उड़ान सेवाओं को बंद कर दिया जाएगा. समझौते का ही एक अन्य क्लॉज कहता है कि अगले 25 साल की अवधि यानी मई 2033 तक नए एयरपोर्ट के 150 किलोमीटर के दायरे में किसी भी प्रतिद्वंदी वाणिज्यिक एयरपोर्ट के संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी.

मौजूदा समय में एचएएल एयरपोर्ट का उपयोग केवल सैन्य, चार्टर्ड और वीआईपी उड़ानों के लिए होता है. हालांकि, उपमुख्यमंत्री सी.एन. अश्वथ नारायण ने दिप्रिंट से कहा कि अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो एचएएल एयरपोर्ट से घरेलू/कम दूरी की उड़ानें शुरू हो सकती हैं ताकि कैम्पेगौड़ा एयरपोर्ट पर भी यात्रियों का दबाव कम किया जा सके.

उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से बीआईएएल को एचएएल एयरपोर्ट फिर सक्रिय करने का विकल्प देने का मतलब है कि उसे 150 किलोमीटर के दायरे में किसी भी वाणिज्यिक एयरपोर्ट को काम करने की अनुमति न देने वाला क्लॉज खत्म करना होगा.

बीआईएएल ने अभी तक सरकार के नए प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया नहीं दी है और जब दिप्रिंट ने फोन कॉल के जरिये संपर्क साधा तो उसने आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.


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एचएएल एयरपोर्ट बंद क्यों हुआ

एचएएल हवाई अड्डा 1980 से 2008 तक 28 साल व्यावसायिक उपयोग में रहा और इसका संचालन भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के हाथों में था. यहां से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों उड़ानें संचालित होती थीं.

आईटी बूम आने के साथ ही बेंगलुरू आने-जाने वाले हवाई यात्रियों की संख्या अचानक बढ़ गई थी और एक समय में केवल छह उड़ानों को संचालित करने में सक्षम एचएएल एयरपोर्ट पर मुश्किलें होने लगीं. 2007 के अंत तक यात्री संख्या प्रति वर्ष 36 लाख से बढ़कर 85 लाख तक पहुंच गई थी. और चूंकि यह एयरपोर्ट चारों तरफ आवासीय परिसरों से घिरा था इसमें रनवे या बुनियादी ढांचे के विस्तार की कोई गुंजाइश नहीं थी.

यही वजह थी कि शहर के बाहर देवनहल्ली में एक बड़े नए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विकास के लिए 4,000 एकड़ भूमि आवंटित की गई.

हालांकि, कैम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण भी बहुत आसान काम नहीं था. इसे लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए कि एचएएल एयरपोर्ट खुला रखा जाए. कर्नाटक हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि सरकार पर्याप्त बुनियादी ढांचा प्रदान करने में विफल रही है. नए एयरपोर्ट की आधिकारिक लॉन्चिंग से कुछ घंटे पहले ही इसे हाई कोर्ट से हरी झंडी मिली थी.


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लोग एचएएल एयरपोर्ट क्यों खुलवाना चाहते हैं

एचएएल एयरपोर्ट फिर खोलने की मांग जोर पकड़ने की एक बड़ी वजह यह है कि सिटी सेंटर से कैम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की दूरी लगभग 40 किमी है. लंबी दूरी और बेंगलुरू की सड़कों पर भीड़भाड़ के कारण कई यात्री अपनी उड़ानों के समय तक एयरपोर्ट नहीं पहुंच पाते हैं.

कैम्पेगौड़ा एयरपोर्ट तक आने या जाने के लिए सस्ती सार्वजनिक परिवहन की कमी भी एक बड़ी समस्या है. मेट्रो की सुविधा नहीं है, इसलिए यात्रियों को टैक्सी या बस लेनी पड़ती है. और यात्री जिस साधन से आए-जाएं उसी आधार पर उन्हें कीमत चुकानी पड़ती है जैसे टैक्सी के लिए 800-1,500 रुपये लगते हैं या बस से आने-जाने पर 250-400 रुपये खर्च होते हैं. यात्री संख्या और विमान परिचालन की दृष्टि से भारत के तीसरे सबसे व्यस्त एयरपोर्ट पर प्रवेश करने के लिए 90 रुपये का टोल शुल्क अलग से लगता है.

इसके उलट एचएएल हवाई अड्डा सिटी सेंटर के पास है और हालांकि बंद होने के पहले भी इसके चारों ओर की सड़कें वाहनों के लिहाज से काफी व्यस्त रहती थीं लेकिन यहां तक पहुंचना आसान होना यात्रियों के लिए एक बड़ी सुविधा मानी जाती है.

कर्नाटक के मुख्य सचिव टी.एम. विजय भास्कर ने इस साल के शुरू में मीडिया को बताया था कि सरकार छोटी दूरी की उड़ानों के लिए एचएएल एयरपोर्ट का इस्तेमाल करना चाहती है. उन्होंने कहा था, ‘हमारी राय है कि 500 किलोमीटर की दूरी तक घरेलू उड़ानों को यहां से संचालित किया जा सकता है जिससे यात्रियों को काफी सुविधा हो जाएगी.’


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फिर खोलने पर बात शुरू

एचएएल एयरपोर्ट फिर सक्रिय करने पर तीन मुख्य हितधारकों- कर्नाटक सरकार, एचएएल और बीआईएएल के बीच बात इस साल जनवरी में शुरू हुई थी.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह बातचीत इस वजह से नाकाम हो गई क्योंकि बीआईएएल इस पर अड़ा रहा कि एचएएल एयरपोर्ट फिर खोलने से उसका राजस्व संग्रह घट जाएगा.

पहचान उजागर न करने की शर्त पर एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘यही वजह है कि हमने सुझाव दिया कि एचएएल एयरपोर्ट के संचालन का जिम्मा भी बीआईएएल ही संभाल ले. जैसा कि उनका दावा है कि इससे प्रतिस्पर्द्धा होगी और बेंगलुरू को इसका फायदा मिलेगा.’

अधिकारी ने आगे कहा, ‘एक अन्य पहलू जिस पर विचार की जरूरत है कि हर दो साल में आयोजित होने वाले एयरो शो के दौरान एयरपोर्ट का संचालन काफी प्रभावित होता है. एयरो शो राज्य के लिए बेहद अहम है और एचएएल उस दौरान यात्री दबाव को दूर कर सकता है.’

हालांकि कैप्टन जी.आर. गोपीनाथ, जिन्होंने भारत में पहली सस्ती उड़ान सेवा एयर डेक्कन शुरू की थी और एचएएल को फिर सक्रिय करने के लिए पीआईएल दाखिल करने वालों में शामिल हैं, ने फिर दोहराया है कि एचएएल एयरपोर्ट और कैम्पेगौड़ा एयरपोर्ट के बीच प्रतिस्पर्द्धा होनी चाहिए. उनका कहना है कि बीआईएएल को ही दोनों एयरपोर्ट का संचालन करने के लिए केवल एकाधिकार को बढ़ावा देने वाला होगा.

गोपीनाथ ने दिप्रिंट को बताया, ‘एचएएल एयरपोर्ट को फिर से एएआई या किसी अन्य ऑपरेटर के जरिये ही खोला जाना चाहिए और इसे बीआईएएल के साथ प्रतिस्पर्द्धा करनी चाहिए. सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में एकाधिकार उपभोक्ता हितों के खिलाफ है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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