कोलकाता: कोविड-19 से संक्रमित पाये जाने के बाद घर पर पृथकवास में रह रहे जाने माने बांग्ला कवि शंख घोष का बुधवार की सुबह निधन हो गया. उनके परिवार ने इस बारे में बताया.
घोष 14 अप्रैल को कोविड-19 से संक्रमित पाये गये थे.
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि 89 वर्षीय घोष डॉक्टरों की सलाह पर घर पर पृथक-वास में रह रहे थे.
घोष कई रोगों से पीड़ित थे. कुछ महीने पहले ही स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
शंख घोष के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक प्रकट किया और कहा कि बांग्ला तथा भारतीय साहित्य के प्रति उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा.
मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘बांग्ला और भारतीय साहित्य में योगदान के लिए शंख घोष को हमेशा याद किया जाएगा. उनकी कृतियों को खूब पढ़ा जाता था और उनकी सराहना भी की जाती थी. उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिजनों और मित्रों के प्रति मेरी संवेदनाएं.’
Shri Shankha Ghosh will be remembered for his contributions to Bengali and Indian literature. His works were widely read and admired. Saddened by his demise. Condolences to his family and friends. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 21, 2021
घोष को रवींद्रनाथ टैगोर की साहित्यिक विरासत को आगे बढ़ाने वाला रचनाकार माना जाता है. वह ‘आदिम लता – गुलमोमय’ और ‘मूर्ख बारो समझिक नै’ जैसी रचनाओं के लिए जाने जाते हैं.
विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखरता से अपनी बात रखने वाले घोष को 2011 में पूद्म भूषण से सम्मानित किया गया और 2016 में प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया.
अपनी पुस्तक ‘बाबरेर प्रार्थना’ के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला. उनकी रचनाओं का अंग्रेजी और हिंदी समेत अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ है.
घोष के परिवार में उनकी बेटियां सेमांति और श्राबंति तथा पत्नी प्रतिमा हैं.
साहित्यकार सुबोध सरकार ने कहा कि कोविड-19 ने ऐसे वक्त में घोष को छीन लिया जब उनकी सबसे अधिक जरूरत थी क्योंकि ‘राज्य फासीवाद के खतरे का सामना कर रहा है.’
सरकार ने कहा, ‘घोष मृदुभाषी थे लेकिन उनकी कलम की धार तेज थी. उन्होंने हमेशा असहिष्णुता के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने मुक्त एवं स्वतंत्र सोच के लिए सभी विमर्शों और आंदोलनों में हिस्सा लिया.’
घोष का जन्म छह फरवरी 1932 को चंद्रपुर में हुआ था जो अब बांग्लादेश में है.
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