कोलकाता, 23 मार्च (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में हुई हिंसा और आगजनी में आठ लोगों के मारे जाने की घटना की फॉरेंसिक जांच के लिए दिल्ली सीएफएसएल को घटनास्थल से आवश्यक नमूने इकट्ठा करने का बुधवार को आदेश दिया।
अदालत ने राज्य सरकार को बृहस्पतिवार को अपराह्न दो बजे तक केस डायरी/रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। उसी समय अदालत मामले की दोबारा सुनवाई करेगी।
उच्च न्यायालय ने राज्य को सुनिश्चित करने को कहा है कि घटना स्थल से कोई छेड़छाड़ नहीं हो।
मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ इस मामले पर कल दोपहर दो बजे सुनवाई करेगी। पीठ ने स्वत: संज्ञान मामले और विभिन्न याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए पूर्वी बर्धमान के जिला जज की उपस्थिति में घटनास्थल पर सीसीटीवी लगाने और अगले आदेश तक रिकॉर्डिंग जारी रखने का निर्देश दिया।
अदालत ने दिल्ली की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (सीएफएसएल) को अविलंब घटनास्थल का दौरा करने और नमूने एकत्र करने का निर्देश दिया।
पीठ ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को पूर्वी बर्धमान के जिला जज से विमर्श करके गवाहों और आगजनी में घायल नाबालिग लड़के की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने निर्देश दिया कि इस घटना में मरे लोगों का कोई भी पोस्टमॉर्टम कराने के दौरान वीडियोग्राफी कराई जाए और राज्य सरकार से रिर्पोट देने को कहा कि क्या अबतक किए गए पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी कराई गई है या नहीं।
अदालत ने कहा कि इस मामले में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने और घटना के जिम्मेदार लोगों का पता लगाने और उचित सजा देने के लिए स्वत: संज्ञान वाली याचिका दर्ज की गयी है।
विभिन्न जनहित याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं ने हिंसा की घटना की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या किसी अन्य एजेंसी द्वारा कराये जाने की मांग की है, जिसका नियंत्रण राज्य सरकार के अधीन नहीं हो।
याचिकार्ताओं में से एक के अधिवक्ता रबिशंकर चटर्जी ने उच्च न्यायालय की देखरेख में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से मामले की जांच कराने का अनुरोध किया।
एक याचिकाकर्ता ने दावा किया कि बोगतुई गांव के लोग डर की वजह से गांव छोड़ कर जा रहे हैं और अदालत से अनुरोध किया कि वह पुलिस को विश्वास बहाल करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दें।
राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता एसएन मुखर्जी ने याचिका का पुरजोर विरोध किया और कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) मामले की जांच कर रही है और किसी अन्य एजेंसी को मामले को अंतरित करने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने अदालत को सूचित किया कि इस मामले में अबतक 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
मुखर्जी ने कहा कि जो हुआ वह खेदजनक है। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य का नागरिक होने के नाते मैं शर्मिंदा हूं ऐसी घटना हुई है।’’ महाधिवक्ता ने दावा किया कि उनके पास इस घटना पर टिप्पणी करने के लिए शब्द नहीं है।
केंद्रीय जांच एजेंसी का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल वाई जे दस्तूर ने कहा कि अगर अदालत आदेश देती है तो सीबीआई मामले की जांच करने को तैयार है।
मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी के हवाले करने का अनुरोध के साथ याचिक दायर करने वालों में शामिल एक याचिकार्ता के वकील कौस्तुभ बागची ने सवाल उठाया कि पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक जांच से पहले कैसे कह सकते हैं कि इसका राजनीति से संबंध नहीं है यह घटना निजी दुश्मनी के कारण हुई है।
एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता सब्यसाची चटर्जी ने कहा कि लोगों को बोगतुई जाने से रोका जा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सबूतों की रक्षा और संरक्षण के लिए किसी को घटनास्थल पर नहीं जाना चाहिए और जांच चल रही है।
गौरतलब है कि बीरभूम जिले के रामपुरहाट कस्बे के पास बोगतुई गांव में मंगलवार को तड़के घरों में आग लगने से आठ लोगों की झुलसकर मौत हो गई थी।
माना जा रहा है कि यह घटना सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पंचायत अधिकारी की हत्या के प्रतिशोध स्वरूप हुई थी।।
भाषा धीरज उमा
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