कोलकाता, 30 जनवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल के वन मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक ने रविवार को बैरकपुर इलाके में महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अर्जुन सिंह के साथ मंच साझा करने से इनकार कर दिया।
मलिक, राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बगल में बैठे हुए थे लेकिन बैरकपुर के सांसद के पहुंचने पर वह अचानक मंच से उतर गए। यह पूछे जाने पर कि वह (मलिक) मंच से क्यों उतर गये, वह राज्यपाल से कथित तौर पर यह कहते सुने गये, ‘‘एक पेशेवर हत्यारा आपके बगल में बैठ रहा है। इसके विरोध में मैं मंच छोड़ रहा हूं। मैं आम लोगों के साथ बैठने जा रहा हूं।’’
मलिक ने बैरकपुर में शनिवार को अज्ञात हमलावरों द्वारा तृणमूल कांग्रेस नेता गोपाल मजूमदार की हत्या की पृष्ठभूमि में यह टिप्पणी की। सत्तारूढ़ दल ने आरोप लगाया है कि हत्या के पीछे मुख्य रूप से सिंह का हाथ था, जबकि भाजपा सांसद ने घटना को तृणमूल के अंदरूनी कलह का परिणाम बताया है।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मजूमदार की हत्या के सिलसिले में रविवार सुबह भाजपा नेता बिजय मुखोपाध्याय को गिरफ्तार किया गया। घर लौटते समय मजूमदार को गोली मारी गई थी और कई बार चाकू से वार किया गया था।
सिंह ने कहा, ‘‘हम महात्मा गांधी द्वारा प्रचारित लोकतंत्र और अहिंसा में विश्वास करते हैं। यह तृणमूल है जो हमारे खिलाफ हिंसा कर रही है और अपनी ही पार्टी के सदस्यों को गुटबाजी में मार रही है।’’ हालांकि, मलिक की गतिविधि पर उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
बाद में मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं प्रोटोकॉल के अनुसार राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहा था। लेकिन, मंच पर हत्याओं के सरगना के साथ नहीं बैठ सकता था, जिसके खिलाफ हमने आरोप लगाये हैं और जांच लंबित है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं कार्यक्रम को बीच में छोड़ कर नहीं गया। मैं आम लोगों के बीच बैठा रहा।’’
भाजपा नेता देबजीत सरकार ने पलटवार करते हुए कहा कि तृणमूल बेबुनियाद आरोप लगा रही है और उसे सरकारी समारोह में एक जन प्रतिनिधि के ‘‘चरित्र हनन’’ में शामिल होने का कोई अधिकार नहीं है। पुलिस के अनुसार, 2019 से सिंह के खिलाफ दंगा और सशस्त्र हमलों सहित 20 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
भाजपा सांसद ने दोहराया कि उनके खिलाफ ये सभी मामले गलत हैं और कोई भी मामला अदालत में साबित नहीं हुआ है। सिंह ने पूर्व में कहा था, ‘‘तृणमूल ने ये आरोप लगाए क्योंकि मैंने पार्टी छोड़ दी और उत्तर 24 परगना में संगठन को चुनौती दी।’’
भाषा सुरभि रंजन
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