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Saturday, 4 May, 2024
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कोरोना रोगियों के शवों को परिवार को सौंपने वाला पहला राज्य बना बंगाल, अंतिम संस्कार की राख इकट्ठा करने की मिली अनुमति

जून में बंगाल पहला ऐसा राज्य था जिसने अस्पतालों द्वारा मुहैया कराए गए मास्क और पीपीई किट पहनाते हुए, अंतिम संस्कार से पहले परिवार के सदस्यों को 30 मिनट तक मृतक को देखने की अनुमति दी थी.

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल भारत का पहला ऐसा राज्य होगा जो मृतक कोविड-19 रोगियों के शवों को अंतिम सम्मान के लिए सीलबंद बॉडी बैग्स में उनके परिवारों को सौंपेगा, साथ ही उन्हें अंतिम संस्कार की राख इकट्ठा करने की भी अनुमति देगा.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि मृतक शरीर को परिवार को बैग्स में सौंपा जाए जिसमें चेहरे को पारदर्शी रखा जाए.

ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल की सरकार ने इस बीच, संबंधित प्राधिकरण को एक आवेदन प्रस्तुत करने के बाद रिश्तेदारों को अंतिम संस्कार की राख इकट्ठा करने की अनुमति दी है. नगर निकायों ने फैसला किया है कि मृतक के परिजनों को श्मशान के उप-रजिस्टर को एक आवेदन लिखना होगा, तब जाकर एक सील बॉक्स में राख मिलेगी.

जून में बंगाल पहला ऐसा राज्य था जिसने अस्पतालों द्वारा मुहैया कराए गए मास्क और पीपीई किट पहनाते हुए, अंतिम संस्कार से पहले परिवार के सदस्यों को 30 मिनट तक मृतक को देखने की अनुमति दी थी.


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अदालत का आदेश

कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी.बी. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी कोविड-19 रोगियों के परिजनों को शव सौंपने की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे.

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इस कदम की अनुमति देते हुए, पीठ ने कहा कि उसने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शव प्रबंधन पर दिशानिर्देशों और राज्य द्वारा निर्धारित प्रक्रिया पर विचार किया था.

कोर्ट ने कहा, ‘जब शव का पोस्टमार्टम आवश्यक नहीं है, तो अस्पताल की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद मृतक के परिजनों को तत्काल शव सौंप दिया जाएगा. शरीर को एक बॉडी बैग में सुरक्षित किया जाना चाहिए, जिसका चेहरा अंत में अधिमानतः पारदर्शी होना चाहिए और जिसके बाहरी हिस्से को उचित रूप से साफ किया जाएगा ताकि मृत शरीर को ले जाने वाले लोगों के लिए जोखिम को कम किया जा सके.’

इसमें कहा गया है कि ‘धार्मिक अनुष्ठानों, जैसे धार्मिक लिपियों का पाठ, पवित्र जल छिड़कना, अनाज की पेशकश करना और ऐसे अन्य क्रियाएं जिनमें शरीर को छूने की आवश्यकता नहीं है’ की अनुमति दी जानी चाहिए. अंतिम समय में बैग के चेहरे वाले हिस्सों को श्मशान या दफन करने वाले जमीन पर कर्मचारियों द्वारा खोल दिया जाएगा. लेकिन अदालत ने अंतिम संस्कार के बड़े आयोजन के लिए मना किया है.’

अदालत ने कहा कि ये ‘संपूर्ण दिशानिर्देश’ नहीं हैं. राज्य या स्थानीय सरकार विशेषज्ञों द्वारा सलाह के अनुसार उचित उपाय कर सकते हैं.


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सहानुभूति भरा कदम

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बंगाल सरकार ने विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद परिवारों को श्मशान से घर की राख लेने की अनुमति देने का निर्णय लिया था और यह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए था.

कोलकाता नगर निगम के प्रशासकों के बोर्ड के उपाध्यक्ष अतीन घोष ने दिप्रिंट को बताया कि यह निर्णय एक ‘सहानुभूति’ वाला कदम था.

घोष ने कहा, ‘हमने कुछ दिनों पहले रिश्तेदारों और परिवारों से अपने प्रियजनों की राख इकट्ठा करने के लिए अनुरोध स्वीकार करना शुरू कर दिया है.’

शवों को सौंपने के अदालत के आदेश के बारे में घोष ने कहा, ‘अभी हमें आदेश को देखना बाकी है. जब हम आदेश पढ़ेंगे और विशेषज्ञों के साथ इस पर चर्चा करेंगे तभी हम इस पर टिप्पणी करने की स्थिति में होंगे.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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