मुम्बई: अगर सब कुछ योजना के मुताबिक़ रहा, तो मुम्बई के बच्चे अगले साल जून से बिना किसी ख़र्च के, इंटरनेशनल बैकलॉरिएट (आईबी) और कैम्ब्रिज बोर्ड (आईजीसीएसई) के साथ संबद्ध पब्लिक स्कूलों में पढ़ सकेंगे.
बृहन्मुम्बई नगर निगम (बीएमसी) अपने बीएमसी स्कूलों को, जिन्हें अब मुम्बई पब्लिक स्कूल कहा जाता है, दो इंटरनेशनल बोर्ड्स के साथ संबद्ध करना चाह रहा है.
बीएमसी शिक्षा अधिकारी राजू तड़वी ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमने इस पर बातचीत शुरू कर दी है, और हमारी योजना हर वॉर्ड में एक स्कूल की है, और ये बोर्ड नर्सरी से 10वीं क्लास तक होंगे’.
बीएमसी शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने, जो इस परियोजना के साथ जुड़े हैं, नाम छिपाने की शर्त पर कहा कि फिलहाल कैम्ब्रिज बोर्ड के साथ बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है.
कैबिनेट मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे का ये एक ड्रीम प्रोजेक्ट है, और बीएमसी अधिकारियों के साथ मिलकर, वो खुद इन बोर्ड्स के साथ बात कर रहे हैं.
नवंबर मध्य में ठाकरे की ऐनी मिशेलिडू से बात हुई थी, जो कैम्ब्रिज पार्टनरशिप फॉर एजुकेशन की प्रमुख हैं. शिक्षाविद और एक्सपर्ट फ्रांसिस जोज़फ भी कैम्ब्रिज को बीएमसी के साथ जोड़ने में सक्रिय हैं.
Taking forward the agenda of having the @CambridgePfE Board in @mybmc schools, we met with Annie Michailidou to create a working group for education reforms at various levels in Maharashtra. Thankful to @Francis_Joseph for his support on linking Cambridge to @mybmc pic.twitter.com/jrUd6G28Qm
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) November 16, 2021
अब बीएमसी ने प्रस्ताव को प्रशासनिक मंज़ूरी के लिए पेश किया है. एक बार ये मंज़ूरी मिल जाए, तो फिर इसे सदन की शिक्षा समिति के समक्ष रखा जाएगा, और उसके बाद काम शुरू हो सकता है.
लेकिन जानकारी रखने वाले अधिकारी ने कहा, कि उन्होंने अगले साल जून तक स्कूल को शुरू करने की ठान रखी है. प्रशासन ने मटुंगा में एलके वाघजी म्युनिसिपल स्कूल के पास जगह भी चिन्हित कर ली है. ये एक नई बनी हुई बिल्डिंग होगी. योजना ये है कि जून 2022 तक नर्सरी से 5वीं तक की शुरुआत कर दी जाएगी.
जहां तक आईबी बोर्ड का सवाल है, अधिकारी ने कहा कि बीएमसी के भीतर ही, बातचीत अभी शुरुआती दौर में है.
This morning, we had an interaction with the IB Board @iborganization for its PYP, MYP, DP programs in @mybmc schools.
We want our students to have the options of SSC, CBSE, ICSE, Cambridge and IB, to ensure quality and equality in education.
(1/n)— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) December 17, 2021
CBSE, ICSE स्कूल पहले ही खुले हैं
बीएमसी ने पहले ही केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से जुड़े 11 स्कूल शुरू कर दिए हैं, और काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशन (सीआईएससीई) के लिए भी एक स्कूल है, जिसे अभी संबद्ध किया जाना है.
Our 11 Mumbai Public Schools of BMC have received affiliation from CBSE. This news is truly wonderful as it further strengthens our dream to provide quality education in BMC schools. pic.twitter.com/Cpz43lPvzw
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) December 15, 2021
एक घरेलू सहायक जयश्री धांगर ने अपनी दो बेटियों- मीनाक्षी को पहली में, और नेहा को छठी में- माहिम इलाक़े के वुलेन मिल मुम्बई पब्लिक स्कूल में दाख़िल कराया है. सीआईसीएसई बोर्ड से संबद्ध ये शहर अकेला, और देश का एकमात्र निगम स्कूल है.
उसकी दोनों बेटियां पहले राज्य बोर्ड से संबद्ध एक स्कूल में थीं, लेकिन जयश्री जो कर्नाटक के एक गांव से है, चाहती थी कि उसके बच्चे किसी प्रतिस्पर्धी बोर्ड में पढ़ें.
धांगर ने कहा, ‘मैंने ज़्यादा पढ़ाई नहीं की है, लेकिन मैं चाहती थी कि मेरे बच्चे अच्छी शिक्षा पाएं, इसलिए मैंने उन्हें इस स्कूल में दाख़िल किया’. उसने आगे कहा, ‘मुझे तो अंग्रेज़ी भी नहीं आती, लेकिन अब मेरी बच्चियां मुझे वो सब सिखाती हैं, जो उनके टीचर उन्हें पढ़ाते हैं’.
आम अवधारणा ये है कि निगम के स्कूलों में केवल निचली आर्थिक पृष्ठभूमि के बच्चे आते हैं. लेकिन सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों के आने से ये टूट सकती है.
रिद्धि साल्वे जो एक गृहिणी है, उसका एक बेटा ऋषिकेश साल्वे है जो छठी क्लास में है. वो पहले सीबीएसई से संबद्ध एक निजी स्कूल सस्वती विद्या मंदिर में पढ़ता था जो माहिम में है, लेकिन पिछले साल लॉकडाउन से पहले उसे वुलेन मिल स्कूल में दाख़िला मिल गया.
रिद्धि साल्वे ने कहा, ‘मेरा सिर्फ एक बेटा है और हमारे सामने एक सवाल था, कि क्या हम अपने इकलौते बेटे को इस स्कूल में भेजें. निजी स्कूल से सरकारी स्कूल में शिफ्ट होने को लेकर बहुत सारे सवाल थे. लेकिन फिर प्रिंसिपल से बात करने के बाद, मैंने सोचा कि चलिए एक साल के लिए मौक़ा लेकर देखते हैं, और अगर ये अच्छा नहीं निकला, तो हम वापस वहीं चले जाएंगे’.
लेकिन अब साल्वे बेहद ख़ुश हैं, और उनकी वापस निजी स्कूल में जाने की कोई इच्छा नहीं है.
स्मिता कुर्लीकर भी ख़ुश हैं जिनके दो बच्चे स्कूल में हैं- एक दूसरी क्लास में और दूसरा छठी में. उन्होंने कहा कि निजी स्कूल बहुत महंगे हैं, 60,000-65,000 रुपए वार्षिक की रेंज में, जिसके अलावा दूसरे ख़र्चे हैं, जैसे किताबें, स्टेशनरी, नोटबुक्स, रुमाल, जिनमें 5000-6000 रुपए और लग जाते हैं. पब्लिक स्कूल में ये सब बिना किसी पैसे के मिलता है.
कुर्लीकर ने कहा,‘शुरू में मुझे बस ये डर था कि चूंकि ये एक बीएमसी स्कूल है, इसलिए पता नहीं कि शिक्षक नियमित रूप से पढ़ाएंगे या नहीं, लेकिन महामारी के बाद से मैं देख रही हूं, कि कैसे हर रोज़ क्लास हो रही है, और नेटवर्क तथा दूसरी समस्याओं के बावजूद, अभी तक कोई हिस्सा मिस नहीं हुआ है’.
दिप्रिंट ने जिन शिक्षकों से बात की उनका कहना था, कि शिक्षक अच्छे से प्रशिक्षित हैं और अतिरिक्त प्रयास करते हैं, कि हर छात्र विषय को समझ ले भले ही उसके लिए अलग से ट्यूशन लेने हों, या किसी बच्चे को अलग से तवज्जो देनी हो. उन्होंने कहा कि शिक्षक सुनिश्चित करते हैं कि हर पृष्ठभूमि का बच्चा- राज्य बोर्ड या सीबीएसई जैसे किसी भी बोर्ड से- जिन्हें पढ़ाई को संभालना मुश्किल हो रहा है, वो सब आपस में सहमत हों.
यह भी पढ़ें : नंबरों की असमानता के चलते पसंदीदा कॉलेज, सरकारी नौकरी नहीं खोएंगे राज्य बोर्ड के छात्र, जल्द आएगी SOP
निगम स्कूलों की रीब्रांडिंग
फरवरी 2020 में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने, अपने बेटे और कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे के साथ बीएमसी स्कूलों की नई पहचान को प्रकट किया-मुम्बई पब्लिक स्कूल.
उसी साल, बीएमसी ने सीबीएसई और आईसीएसई से मुम्बई में कुल 12 स्कूलों के लिए संबद्धता मांगी. दस इमारतें नई बनी हुईं थीं, जबकि दो का नवीनीकरण किया गया था.
शिक्षा अधिकारी राजू तड़वी ने कहा कि 2,900 करोड़ के वार्षिक शिक्षा बजट से, इन स्कूलों पर क़रीब 170 करोड़ रुपए ख़र्च किए गए थे. तड़वी ने कहा, ‘पढ़ाई का पूरा ख़र्च बीएमसी वहन कर रही है, और हम सभी बच्चों को उच्च क्वालिटी की शिक्षा निशुल्क दे रहे हैं’.
उन्होंने कहा कि यही कारण है कि इस साल, इन 12 स्कूलों को 4,000 सीटों के लिए लगभग 10,000 आवेदन प्राप्त हुए, और क़रीब 2,000 लोगों ने निजी तौर पर पूछताछ की. इसलिए दाख़िले लॉटरी सिस्टम के ज़रिए किए गए.
फिलहाल, हर कक्षा के लिए 40 छात्रों पर एक टीचर का अनुपात है, और हर क्लास में केवल एक डिवीज़न है.
उप-शिक्षा अधिकारी संगीता तेरे ने बताया, कि टीचर्स के इन बोर्ड्स में आवेदन देने के लिए चार पैनल बने हुए थे, जिनमें हर एक में तीन-तीन सदस्य थे- दो बोर्ड सदस्य और एक बीएमसी सदस्य-जिनका काम प्रक्रिया की निगरानी करना था. लिखित टेस्ट, इंटरव्यू, और ग्रुप डिसकशन से गुज़रने के बाद ही शिक्षकों की नियुक्ति की गई.
अब दो और अंतर्राष्ट्रीय बोर्ड्स के आने से पेरेंट्स बहुत ख़ुश हैं. साल्वे ने कहा, ‘ये एक सुनहरा मौक़ा है जो सरकार ने हमें दिया है, और हम बहुत ख़ुश हैं’.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)